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कारगिल विजय दिवस: जब ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर की गोद में शहीद हुए थे कर्नल विश्वनाथन, खत नहीं पढ़ पाए थे मेजर राजेश अधिकारी... - Kargil Vijay Diwas 2024 - KARGIL VIJAY DIWAS 2024

Kargil Vijay Diwas Story: 26 जुलाई को देशभर में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. कारगिल युद्ध में 527 भारतीय जवानों ने देश के लिए सर्वोत्तम बलिदान दिया था. इसमें हिमाचल के 52 बहादुर वीर सपूत भी शहीद हुए थे. कारगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि किस तरह से उनकी बटालियन ने कारगिल विजय के लिए रास्ता तैयार किया था.

KARGIL VIJAY DIWAS 2024
कारगिल विजय दिवस (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 11:11 AM IST

Updated : Jul 26, 2024, 11:25 AM IST

मंडी: हिमाचल प्रदेश का इतिहास अपने सैनिकों के पराक्रम, वीरता, शौर्य और बलिदानों के लिए जाना जाता है. कारगिल संघर्ष में देश के वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया. कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में हिमाचल के वीर जवानों ने अपना अदम्य शौर्य प्रदर्शित किया. इस संघर्ष में हिमाचल प्रदेश के 52 बहादुर सैनिक शहीद हो गए.

26 जुलाई का दिन हर साल देशभर में कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. कारगिल युद्ध के जांबाज योद्धाओं में एक नाम ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर का भी आता है, जिन्हें कारगिल युद्ध का हीरो भी कहा जाता है. ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर मंडी जिले के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले नगवाईं गांव के निवासी हैं. इनके नेतृत्व वाली 18 ग्रेनेडियर ने ना केवल टाइगर हिल और तोलोलिंग पर विजय पताका फहराया था, बल्कि कारगिल युद्ध की जीत का रास्ता भी तैयार किया था.

खड़ी चढ़ाई, माइनस तापमान, कैसे फतह की चोटी?

ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि 20 मई 1999 को तोलोलिंग की चोटी पर कब्जा करने के लिए चढ़े तो पता चला कि एक-दो नहीं बल्कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी फौज यहां मौजूद है. 8 हजार फीट की ऊंचाई और पथरीली सीधी चढ़ाई, माइनस डिग्री तापमान में छिपने के लिए सिर्फ पत्थर थे. 12 और 13 जून की रात को तोलोलिंग चोटी को फतह कर लिया गया. तोलोलिंग की भयानक लड़ाई 22 दिन तक लड़ी गई और उसके बाद हमारी यूनिट द्रास सेक्टर की सबसे कठिन चोटी टाइगर हिल की तरफ बढ़ी और कड़े संघर्ष के बाद उसे भी फतह कर लिया. ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि 18 ग्रेनेडियर के 2 राजपूताना राइफल्स के साथ मिलकर टाइगर हिल और तोलोलिंग पर विजयी पताका फहराने के बाद ही कारगिल विजय का रास्ता साफ हुआ था. 18 ग्रेनेडियर को ही सबसे ज्यादा 52 वीरता पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं.

साथियों के साथ ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (ETV Bharat)

दुश्मन से निपटने के बाद ही पढूंगा खत

ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि युद्ध के दौरान एक दिन मेजर राजेश अधिकारी को घर से एक खत आया, लेकिन उन्होंने उसे यह कह कर पढ़ने से मना कर दिया कि पहले दुश्मनों से निपट लूं उसके बाद खत पढूंगा. पूरी रात वो युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते रहे और मेजर राजेश अधिकारी की टीम ने युद्ध में फतह कर ली, लेकिन खत पढ़ने के लिए वो जीवित नहीं रहे और देश के लिए बलिदान हो गए.

ब्रिगेडियर की गोद में सर रखे शहीद हो गए थे कर्नल विश्वनाथन

ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि तोलोलिंग हिल को हासिल करने के लिए लड़ाई जारी थी, लेकिन इस दौरान मेजर राजेश अधिकारी समेत 25 वीर जवान शहादत का जाम पी चुके थे. ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर के मोर्चा संभालते ही कर्नल विश्वनाथन भी आगे बढ़ गए, इस दौरान वो गंभीर घायल हो गए और गिर पड़े. एक तरफ भारी बर्फबारी हो रही थी, तो दूसरी तरफ दुश्मन गोलियां दाग रहा था. इस दौरान ब्रिगेडियर खुशाल द्वारा कर्नल विश्वनाथन के शरीर को एक पत्थर के नीचे लाया गया और उन्हें सहलाने लगे, लेकिन वो उनकी गोद में ही शहीद हो गए.

मंडी जिले के 11 वीर जवानों ने शहादत का पिया था जाम

3 महीने चले इस कारगिल युद्ध में 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 1367 जख्मी हुए थे. मंडी जिले के 11 वीर जवानों ने शहादत का जाम पिया था. जिसमें कैप्टन दीपक गुलेरिया, नायक अशोक कुमार, ग्रिनेडियर पूर्ण चंद, नायक मेहर सिंह, सिपाही टेकचंद, नायक सरवन कुमार, ग्रिनेडियर नरेश कुमार, नायब सुबेदार खेमचंद राणा, हवलदार कृष्ण चंद, सिपाही राजेश चौहान, सिपाही हीरा सिंह शामिल हैं.

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Last Updated : Jul 26, 2024, 11:25 AM IST

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