कानपुर: देशभर में नवरात्र के त्यौहार के साथ ही रामलीला का मंचन भी शुरू हो जाता है. कानपुर में भी हर वर्ष 100 से अधिक अलग-अलग जगहों पर रामलीला का भव्य आयोजन किया जाता है. लेकिन शहर के परेड में होने वाली रामलीला का अपना एक अलग ही महत्व है. यहां की रामलीला की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि एक समय अंग्रेज भी इस रामलीला के बेहद दीवाने थे. वह भी इसे बड़े चाव से देखने के लिए आते थे. यहां पर होने वाली रामलीला एक भी अपने आप में 148 वर्षों का इतिहास समेटे हुए हैं. आजादी से पूर्व शुरू हुई इस रामलीला में समय के साथ-साथ काफी बदलाव भी हुए. आज यहां पर होने वाली रामलीला हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है. हर वर्ष यहां लाखों की संख्या में लोग रामलीला और रावण का दहन देखने के लिए पहुंचते हैं.
सन 1877 में शुरू हुई थी परेड रामलीला:शहर के परेड मैदान में होने वाले रामलीला का मंचन बेहद अद्भुत और आकर्षक है. यहां की रामलीला 147 साल पुरानी है. इस साल 148 में बार रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. एक दौर था जब कानपुर पर ब्रिटिश हुकूमत का राज था. उस दौर में भी यहां पर रामलीला बड़े ही धूमधाम से आयोजित होती थी. अंग्रेज अफसर इस रामलीला के इतने दीवाने थे, कि वह देर शाम से ही अपने परिवार के साथ इस रामलीला को देखने के लिए पहुंच जाते थे. उन्हें यहां पर होने वाली रामलीला का मंचन काफी ज्यादा पसंद आता था. वह यहां पर बैठकर अपने परिवार के साथ लुत्फ भी उठाते थे.
यू तो कानपुर में कई जगहों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है. लेकिन, कानपुर के परेड मैदान में होने वाली रामलीला अपने आप में बेहद खास मानी जाती है. इस रामलीला को देखने के लिए कानपुर शहर ही नहीं, बल्कि कई जिलों से लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. समय के साथ-साथ यहां पर होने वाली रामलीला में कई बदलाव भी हुए हैं. एक दौर था, जब इस कमेटी में केवल पांच सदस्य थे. लोगों के बैठने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं हुआ करती थी. लोग यहां पर खड़े होकर इस रामलीला का आनंद लेते थे. लेकिन, आज की बात की जाए, तो इस कमेटी में करीब 500 से अधिक सदस्य है.
इसे भी पढ़े-गंगा-जमुनी तहजीब की रामलीला; यहां सलमान खान बनते हैं राम, सीता के किरदार में ढल जाते हैं फरहान अली