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इस रामलीला के अंग्रेज भी थे दीवाने, जानिए 148 साल पहले शुरू हुए मंचन का क्या है इतिहास

इस बार 100 ड्रोन से दिखाएंगे प्रभु श्री राम की लीला, सन 1877 में शुरू हुई थी परेड रामलीला

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 4 hours ago

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100 ड्रोन से दिखाएंगे प्रभु श्री राम की लीला (photo credit- Etv Bharat)

कानपुर: देशभर में नवरात्र के त्यौहार के साथ ही रामलीला का मंचन भी शुरू हो जाता है. कानपुर में भी हर वर्ष 100 से अधिक अलग-अलग जगहों पर रामलीला का भव्य आयोजन किया जाता है. लेकिन शहर के परेड में होने वाली रामलीला का अपना एक अलग ही महत्व है. यहां की रामलीला की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि एक समय अंग्रेज भी इस रामलीला के बेहद दीवाने थे. वह भी इसे बड़े चाव से देखने के लिए आते थे. यहां पर होने वाली रामलीला एक भी अपने आप में 148 वर्षों का इतिहास समेटे हुए हैं. आजादी से पूर्व शुरू हुई इस रामलीला में समय के साथ-साथ काफी बदलाव भी हुए. आज यहां पर होने वाली रामलीला हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है. हर वर्ष यहां लाखों की संख्या में लोग रामलीला और रावण का दहन देखने के लिए पहुंचते हैं.

सन 1877 में शुरू हुई थी परेड रामलीला:शहर के परेड मैदान में होने वाले रामलीला का मंचन बेहद अद्भुत और आकर्षक है. यहां की रामलीला 147 साल पुरानी है. इस साल 148 में बार रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. एक दौर था जब कानपुर पर ब्रिटिश हुकूमत का राज था. उस दौर में भी यहां पर रामलीला बड़े ही धूमधाम से आयोजित होती थी. अंग्रेज अफसर इस रामलीला के इतने दीवाने थे, कि वह देर शाम से ही अपने परिवार के साथ इस रामलीला को देखने के लिए पहुंच जाते थे. उन्हें यहां पर होने वाली रामलीला का मंचन काफी ज्यादा पसंद आता था. वह यहां पर बैठकर अपने परिवार के साथ लुत्फ भी उठाते थे.

यू तो कानपुर में कई जगहों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है. लेकिन, कानपुर के परेड मैदान में होने वाली रामलीला अपने आप में बेहद खास मानी जाती है. इस रामलीला को देखने के लिए कानपुर शहर ही नहीं, बल्कि कई जिलों से लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. समय के साथ-साथ यहां पर होने वाली रामलीला में कई बदलाव भी हुए हैं. एक दौर था, जब इस कमेटी में केवल पांच सदस्य थे. लोगों के बैठने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं हुआ करती थी. लोग यहां पर खड़े होकर इस रामलीला का आनंद लेते थे. लेकिन, आज की बात की जाए, तो इस कमेटी में करीब 500 से अधिक सदस्य है.



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148 साल पहले शुरु हुआ थ मंचन:148 साल पहले श्री रामलीला समिति रजिस्टर्ड परेड के नाम से इस रामलीला का मंचन शुरू हुआ. जिसकी शुरुआत महाराज प्रयाग नारायण तिवारी ने की थी. हर वर्ष यहां पर होने वाली रामलीला की तैयारी कई दिनों पहले से ही शुरू कर दी जाती है.यहां पर आकर्षक लाइटें,साउंड और काफी साज सजावट के साथ ही लोगों के बैठने की समुचित व्यवस्था भी की जाती है. इस रामलीला में किरदार निभाने के लिए काफी दूर-दूर से कलाकार भी आते हैं. यहां पर होने वाली रामलीला का प्रसारण सोशल मीडिया के माध्यम से भी किया जाता है।


पहली बार 100 ड्रोन आसमान में दिखाएंगे प्रभु राम की लीला:श्री रामलीला कमेटी परेड के प्रशासनिक संयोजक प्रवीण अग्रवाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया, कि 148 सालों से इस रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. परेड ग्राउंड में होने वाली इस रामलीला को देखने के लिए अंग्रेज भी आते थे. इतना ही नहीं, बड़े चाव से उनके द्वारा इस रामलीला का आयोजन भी कराया जाता था. उन्होंने बताया कि, इस बार जो लोग दशहरे पर यहां आने वाले हैं, उन्हें एक आकर्षक ड्रोन शो देखने को मिलेगा.उनका दावा है, कि यह ड्रोन शो में यूपी में दूसरी बार कराया जा रहा है. इससे पहले यह ड्रोन शो सिर्फ कुंभ के मेले में हुआ था.अब दूसरा कानपुर के परेड में इसका भव्य रूप से आयोजन किया जा रहा है. यहां 100 ड्रोन आसमान में जाकर प्रभु की अलग-अलग प्रतिमाएं बनाएंगे और प्रभु की लीला को दर्शाएंगे. इस ड्रोन शो को 2 किलोमीटर की रेंज में लोग अपने घरों से भी देख सकेंगे.



यहां पर किरदारों को पहनाते है सोने के आभूषण:शहर के परेड ग्राउंड में होने वाली रामलीला में कलाकारों को मंचन के दौरान असली सोने के आभूषण पहनाए जाते हैं. यहां रामलीला के दौरान मुख्य पात्र भगवान श्री राम, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, भरत, सीता और हनुमान असली सोने के मुकुट और आभूषण धारण करते हैं. यह परंपरा सैकड़ो वर्षों से ऐसे ही चले आ रही है. सोने के आभूषण रामलीला कमेटी के हैं. इन आभूषणों का प्रयोग हर साल रामलीला के मंचन के दौरान किया जाता है.

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