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दुर्ग के टीचर कामता साहू ने पढ़ाई को बनाया ईजी, खेल खेल में ऐसे सीखा रहे शिक्षा का पाठ - बच्चों में जगा रहे शिक्षा की अलख

Teaching Through Innovation In Bhilai: भिलाई खुर्सीपार में बच्चों को नवाचार के माध्यम से कामता साहू पढ़ा रहे हैं. खास बात ये है कि बच्चे भी इनके पढ़ाने के तरीके को आसानी से समझ रहे हैं.

Teaching Through Innovation In Bhilai
शिक्षा की अलख जगा रहे कामता साहू

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 25, 2024, 6:25 PM IST

Updated : Jan 25, 2024, 8:27 PM IST

खेल खेल में ऐसे सीखा रहे शिक्षा का पाठ

भिलाई:बच्चों को सही तरीके से शिक्षित करना एक बड़ी चुनौती होती है. शिक्षक बच्चों को पढ़ाने और पाठ समझाने के लिए नया नया तरीका अख्तियार करते हैं. ताकि बच्चों को पाठ्यक्रम समझने में दिक्कत न हो. कई शिक्षक तो खेल खेल में बच्चों को समझाते हैं. ऐसे ही एक शिक्षक भिलाई के खुर्सीपार में हैं. वो नवाचार के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं, ताकि बच्चों को समझने में कोई दिक्कत न हो.

इस तरह सीखा रहे बच्चों को:दरअसल, भिलाई के खुर्सीपार प्राथमिक शाला में पदस्थ सहायक शिक्षक कामता साहू बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाते हैं. इसके लिए उन्होंने कई तरह का नवाचार किया है. जैसे अंकों की पहचान के लिए वे गतिविधि आधारित शिक्षा के तहत जमीन पर चाक से डब्बा बनाते हैं और अंकों को लिख देते हैं. बच्चों को टेबल याद कराने के लिए वो खुद गाना गाते हैं और बच्चों को भी गाने के लिए कहते हैं. जसगीत के माध्यम से वे बच्चों को अंग्रेजी वर्णमाला भी सिखाने की कोशिश करते हैं.

इंटरनेट पर अपलोड करते हैं नवाचार के वीडियो: इस शिक्षक ने अलग-अलग तरह से किए नवाचार से करीब दो दर्जन वीडियो भी बना रखे हैं, जिसे इंटरनेट पर अपलोड करने के साथ ही अपने अन्य शिक्षक साथियों को भेजते हैं. उन्होंने शिक्षकों का एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बना रखा है. खुर्सीपार प्राथमिक शाला क्रमांक-एक जोन-दो में पदस्थ सहायक शिक्षक कामता साहू इस स्कूल में साल 2014 से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चे श्रमिक क्षेत्र से हैं. पहली से पांचवीं तक संचालित इस स्कूल में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या भी काफी अधिक है. प्रत्येक कक्षा में 60 से 70 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं.

जानिए क्या कहते हैं शिक्षक कामता साहू: इस बारे में शिक्षक कामता साहू का कहना है कि, "कक्षा पहली के बच्चों को अक्षर ज्ञान कराना बड़ी चुनौती होती है. इसलिए ये बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाना पसंद करते हैं. मैंने अंग्रेजी वर्णमाला एबीसीडी पर जसगीत बनाया है. जसगीत के माध्यम से बच्चों को ए से जेड तक पढ़ाता हूं. अंग्रेजी वर्णमाला को सीखने के लिए बच्चे भी शिक्षक के साथ जसगीत गाते हैं. क्ले के माध्यम से भी अंग्रेजी वर्णमाला सिखा रहा हूं. गीत के माध्यम से बच्चों को हिंदी की मात्राएं भी सिखाता हूं. जिन बच्चों की पढ़ाई में रुचि नहीं रहती है. उनमें भी वे खेल और गीत के माध्यम से रुचि पैदा करने की मेरी कोशिश रहती है."

शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार देना भी जरूरी है. उन्हें तीज-त्योहारों के बारे में बताने के साथ ही बड़ों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना है. यह भी सिखाने का प्रयास किया जा रहा है. -कामता साहू, शिक्षक

बता दें कि बच्चों में अभिव्यक्ति क्षमता विकास की दिशा में भी कामता साहू काम करते हैं. कामता साहू मास्टर ट्रेनर के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. उन्होंने 50 शिक्षकों को तीन दिवसीय एफएलएन का प्रशिक्षण भी दिया है. एससीईआरटी शंकर नगर रायपुर में शिक्षकों को प्रेरित करने वाले गीत, "हम शिक्षक हैं. हम शिक्षा की तस्वीर बदल देंगे" गीत की प्रस्तुति भी दे चुके हैं. कोरोना काल के दौरान भी उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को गतिविधि आधारित शिक्षा दी है.

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Last Updated : Jan 25, 2024, 8:27 PM IST

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