भोपाल।कलयुग का भागीरथ कह लीजिए आप उन्हें. पेशे से वैज्ञानिक योगेन्द्र कुमार सक्सेना की जिद सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. योगेन्द्र ने एक नदी को गोद लिया है. उस नदी को जो अब पूरी तरह सूख चुकी है. जिद ये है कि इस नदी को फिर जिंदा करना है. होशंगाबाद में बहने वाली पलकमती नदी जो अब बारहमासी नहीं रही. योगेन्द्र उस नदी का जीवन लौटाने में जुटे हुए हैं. 52 किलोमीटर के क्षेत्र में बहने वाली नदी की संधों से पानी रिसने भी लगा है.
कौन हैं योगेन्द्र और क्या है नदी गोद लेने की कहानी
पेशे से वैज्ञानिक योगेन्द्र कुमार सक्सेना असल में प्रकृति को सहेजने के काम में जुटे हुए हैं. पहले उन्होंने पेड़ो को बचाने गौ काष्ठ तैयार किए. अब एक नदी को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया. योगेनद्र ने तय किया कि वे नर्मदापुरम में बहने वाली पलकमती नदी को जीवित करेंगे. पहले मन बनाया और दफ्तर से छुट्टी लेकर पलकमती के किनारे पहुंच गए. सूखी हुई नदी में जान फूंक पाना इतना आसान भी नहीं था. कभी बारहमासी नदी पलकमती अब केवल बारिश के दिनों में हरियाती है.
डॉ योगेन्द्र कुमार सक्सेना कहते हैं, 'देखिए जब इस नदी के बारे में जाना और पता चला कि कैसे इस नदी के सूख जाने के साथ इसके आस पास के गांव में भी ग्राउण्ड वॉटर खत्म हो गया है. तो काम की शुरुआत में सबसे पहले जरुरी था कि कैसे गांव वालों को एकजुट किया जाए.सबसे पहले मैंने यही किया कि वो समझे एक गांव को पुनर्जीवित करने की जरुरत क्यों हैं.'
कहां बहती है पलकमती, क्यों सूखी
52 किलोमीटर के करीब नर्मदापुरम जिले में बहने वाली पलकमती नदी का बड़ा हिस्सा सुहागपुर इलाके में आता है. इसके आस पास करीब 36 गांव हैं. जो कभी इसके पानी का इस्तेमाल करते रहें होंगे. योगेन्द्र बताते हैं कि इसे नर्मदा की बहन कह लीजिए, लेकिन असल में पलकमति जैसी छोटी नदियों से ही गांव का तालाबों का वॉटर रिचार्ज होता है. धरती के भीतर क ग्राउंड लेवल बढ़ता है. ये दुर्भार्यपूर्ण है कि अत्याधिक दोहन से एक बारहमासी नदी सूख गई.