प्रयागराजःमहाकुंभ में बस कुछ ही दिन बचे हैं. इससे पहले साधु-संत महाकुंभ क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं.इसी कड़ी में शनिवार को सबसे बड़े अखाड़े पंचदशनाम जूना अखाड़ा ने महा कुम्भ मेला क्षेत्र में भूमि पूजन किया.
अखाड़े के पदाधिकारियों के साथ ही देश भर से आये साधु संतों की मौजूदगी में भैरव अष्टमी के दिन विधि विधान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच 52 हाथ की धर्म ध्वजा स्थापित की गयी. जूना अखाड़े के साथ ही पंच अग्नि अखाड़ा और आवाहन अखाड़े ने भी मेला क्षेत्र में विधि विधान के साथ अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की है. इन तीनों अखाड़ों की धर्म ध्वजा की स्थापना हाइड्रा की मदद से गई है. जिससे कई घंटों में खड़ी होने वाली धर्मध्वजा कुछ ही घंटों में स्थापित हो गयी.
संतों से जानिए धर्म ध्वजा का महत्व. (Video Credit; ETV Bharat) ध्वज के छत्र छाया में बसता है अखाड़े का शिविरःगौरतलब है कि सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा करने के लिए अखाड़ों का गठन किया गया था. अखाड़ों की धर्मध्वजा को सनातन का प्रतीक माना जाता है. इसी की क्षत्र छाया में महाकुम्भ में लगने वाला अखाड़े का शिविर बसाया जाता है. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरी गिरि ने बताया कि धर्मध्वज 52 शक्ति पीठों का स्वरूप मानते हुए उनका आह्वान कर स्थापित किया जाता है. धर्मध्वजा की स्थापना के साथ ही पूजा पाठ के साथ भोग लगाना शुरू कर दिया जाता है. भैरव अष्टमी के दिन जूना अखाड़े के साथ ही आह्वान और अग्नि अखाड़े ने भी धर्मध्वजा की स्थापना की है. धर्मध्वजा की स्थापना के साथ ही अखाड़े के ईष्ट देव की पूजा कर सभी संतों ने धर्म ध्वज को प्रणाम कर महाकुंभ के सकुशल सम्पन्न होने की कामना की है.
महाकुंभ परिसर में ध्वजा स्थापित करते हुए. (Photo Credit; ETV Bharat) लंबाई-चौड़ाई और ऊंचाई में भी ध्वज 52 हाथःमहंत हरी गिरि ने बताया कि जूना अखाड़े को भैरव अखाड़े के नाम से भी जाना जाता है. उनके अखाड़े में भैरव की पूरे विधि विधान के साथ पूजा पाठ का उत्सव जैसा कार्यक्रम मनाया जाता है. धर्म ध्वजा की स्थापना के साथ ही उसमें 52 शक्ति पीठों का आह्वान कर स्थापित किया गया है. इसी कारण उनकी धर्म ध्वजा ऊंचाई लेकर उसके ध्वज के लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई में भी 52 का ही समावेश किया गया है. 52 हाथ ऊंचे धर्मध्वजा में लगे कपड़े का आकार भी इसी तरह से बनाया जाता है कि वो तीनों तरफ से उसमें 52 अंक का ही समावेश हो. इस 52 शक्तिपीठों के स्वरूप वाले धर्मध्वजा की रक्षा के लिए जूना अखाड़ा भैरव का भी आह्वान करता है. क्योंकि जहां पर भी शक्ति का वास होता है, वहां उनकी रक्षा के लिए भैरव भी रहते हैं. इसी कारण से जूना अखाड़ा की तरफ से भैरव अष्टमी के दिन अभिजीत मुहूर्त में धर्मध्वजा की स्थापना महाकुम्भ मेला क्षेत्र में अपने शिविर में की है.
मेला क्षेत्र में भंडारा. (Photo Credit; ETV Bharat) धर्म ध्वजा के नीचे होता धार्मिक आयोजनःइसी तरह से जूना अखाड़ा की महामंडलेश्वर देव्या गिरि ने बताया कि धर्मध्वजा की स्थापना के साथ ही ध्वज में देवी देवताओं का वास हो जाता है. जिसके बाद से नियमित पूजा आरती का कार्य प्रारंभ कर दिया जाता है. धर्म ध्वजा के नीचे बैठकर संत महात्मा पूजा-पाठ, जप-तप और हवन जैसे धार्मिक आयोजन करना प्रारंभ कर देते हैं.
गायत्री माता की आराधन कर अग्नि अखाड़े ने धर्म ध्वजा स्थापित कीःपंच अग्नि अखाड़े ने भी धर्म ध्वजा की स्थापना की है. अग्नि अखाड़े के संतों महंतों ने मिलकर विधि विधान के साथ अखाड़े की इष्टदेवी माता गायत्री की आराधना कर धर्म ध्वजा की स्थापना की. पंच अग्नि अखाड़े के सचिव महंत नीलेश चैतन्य ब्रह्मचारी ने बताया कि शनिवार को सन्यासियों के तीन अखाड़े की धर्म ध्वजा की स्थापना की गयी है. तीनों अखाड़े ने संगम की पावन धरती पर मां गंगा की गोद में धर्म ध्वज स्थापना की. उन्होंने बताया कि धर्म ध्वजा सनातन धर्म का प्रतीक है और उसकी रक्षा करने के सदियों पहले अखाड़े के गठन किया गया था. अखाड़ों में धर्म ध्वजा की स्थापना से लेकर उसकी विधिवित पूजा अर्चना की परंपरा सदियों से चली आ रही है. महाकुम्भ मेले में भले ही अस्थायी तौर पर साधु संत वास करते हैं. लेकिन जहां पर भी अखाड़े कुंम्भ जैसे आयोजन के लिए डेरा डालते हैं, वहां पर सनातन धर्म के प्रतीक धर्मध्वजा की स्थापना करने के साथ ही उसके पूजा-पाठ, भोग, आरती की व्यवस्था की जाती है. अखाड़े की आराध्य देवी गायत्री माता हैं, जिनकी सभी साधु संत पूजा अर्चना करते हैं.
सदियों पुरानी परंपरा निभाईःपंच दशनाम आवाहन अखाड़ा के थानापति महंत विजय पुरी महाराज ने बताया कि शनिवार को सदियों पुरानी परंपरा के मुताबिक उन्होंने पंचदशनाम जूना अखाड़ा और अग्नि अखाड़े के साथ ही आवाहन अखाड़े के लिए भूमि पूजन किया. उन्होंने बताया कि उनके आवाहन अखाड़े के ईष्टदेव सिद्ध गणेश भगवान है. शनिवार को आवाहन अखाड़े ने भी धर्मध्वजा की स्थापना पूरे उत्साह और उल्लास के साथ किया. धर्म ध्वजा की स्थापना होने के साथ उनके अखाड़े से जुड़े देश विदेश में जो भी नागा संन्यासी, मठाधीश,महामंडलेश्वर जब संगम आएंगे और अस्थायी रूप से शिविर में रहना शुरू करेंगे. इसी को देखते हुए अखाड़े की सम्पूर्ण व्यवस्था के लिए धर्मध्वजा की स्थापना कर दी गयी है. उन्होंने बताया कि सदियों से सनातन धर्म की रक्षा के लिये अखाड़े आगे खड़े रहे हैं. देश पर हुए आताताइयों के हमलों के दौरान भी सनातन धर्म की रक्षा के लिए अखाड़े आगे रहे हैं. शंकराचार्य ने धर्म की रक्षा के लिए आवाहन किया था. तभी से आवाहन अखाड़ा धर्म की रक्षा करता रहा है. उनके अखाड़े में नागाओं की सेना रही है, जो हमेश धर्म की रक्षा करने का काम करती है.
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