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पांच साल बाद फिर लौटा 'कांगो', जोधपुर की एक महिला की मौत, अलर्ट मोड पर स्वास्थ्य विभाग

जोधपुर में पांच साल बाद कांगो फीवर का मामला सामने आया है. इसमें एक महिला की मौत हो गई है.

कांगो फीवर का मामला
कांगो फीवर का मामला (ETV Bharat Jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 9, 2024, 12:49 PM IST

Updated : Oct 9, 2024, 7:22 PM IST

जोधपुर : करीब पांच साल बाद जोधपुर में एक बार फिर कांगो फीवर (सीसीएचएफ) का मामला समाने आया है. पीड़ित महिला की मौत हो चुकी है. अहमदबाद से रिपोर्ट मिलने के बाद स्वास्थ्य महकमा मृतका के निवास स्थान पर पहुंचा है. आस पास के लोगों और परिजनों के खून के सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं.

कांगो फीवर से मौत के बाद लिए संपर्क में आने वालों के सैंपल (ETV Bharat Jodhpur)

डिप्टी सीएमएचओ डॉ प्रीतम सिंह ने बताया कि जोधपुर ग्रामीण क्षेत्र के नांदडा कलां निवासी 51 वर्षीय महिला गत दिनों बीमार हुई थी, जिसे परिजन उपचार के लिए अहमदाबाद लेकर गए थे. वहां पर उसका निधन हो गया. परिजनों ने शव को गांव लाकर अंतिम संस्कार कर दिया है. पूणे से कांगो फीवर की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद क्षेत्र से सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं. पशुओं की भी जांच की जा रही है. मृतक महिला पशुपालन से जुड़ी हुई थी. पशुओं के साथ रहने वालों को कांगाे फीवर का खतरा अधिक होता है. पशुओं की चमड़ी से चिपके रहने वाला 'हिमोरल' नामक परजीवी इस रोग का वाहक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कांगो फीवर से संक्रमित होने पर बुखार के एहसास के साथ शरीर की मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना और सिर में दर्द, आंखों में जलन और रोशनी से डर जैसे लक्षण पाए जाते हैं.

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2014 में आया था पहला मामला :जोधपुर में साल 2014 में पहला केस क्रीमियन-कांगो हेमोरेजिकफीवर (सीसीएचएफ) का आया था, जिसमें रेजिडेंसी रोड स्थित निजी अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ को कांगो हुआ और मौत हो गई थी. इसके बाद 2019 में तीन बच्चों में लक्षण नजर आए थे. साथ ही एम्स में दो रोगियों की मौत हुई थी. अब पांच साल बाद जोधपुर से सटे नांदडा गांव में मामला समाने आया है, जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है.

यह है कारण: कांगो फीवर यानी क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार, यह जानवरों के शरीर पर रहने वाली टिक के काटने से होता है. इससे बचने के लिए खास तौर से जानवरों के बाड़े में कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए. जानवरों के आसपास रहने वालों को खुले में घूमते समय, शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने चाहिए. जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, ऐसे लोगों को लगातार जानवरों के आसपास नहीं रहना चाहिए.

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यह हैं लक्षण: इस वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड औसतन 3 से 7 दिनों तक होता है. शुरूआती लक्षण सामान्य बुखार की तरह होते हैं. लेकिन बाद में धीरे-धीरे मांसपेशियों में दर्द, अकड़न और चक्कर आना शुरू हो जाता है. उल्टी, गले में खराश, पेट में दर्द और मूड में उतार-चढ़ाव होता है. 2 से 4 दिन के बाद मरीज डिप्रेशन का शिकार होने लगता है. वायरस का असर शरीर में फैलता है, तो अंदर ही अंदर रक्तस्त्राव होता है जो गुर्दे और लीवर को प्रभावित करता है. समय रहते एंटीवायरल ट्रीटमेंट नहीं मिलता है, तो रोगी मौत होने की आशंका ज्यादा होती है.

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पशुओं की टिक के सैंपल लिए: डिप्टी सीएमएचओ डॉ प्रीतमसिंह ने बताया कि महिला के घर में पशुपालन था. 10 गाएं हैं. इन पर रहने वाली टिक के नमूने लिए हैं. इसके अलावा पशुओं के रक्त के नमूने भी एकत्र किए गए हैं. महिला 30 सितंबर को बीमार हुई थी. जिसके बाद शहर के निजी अस्पताल में भर्ती हुई. कुछ समय बाद सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां से तीन दिन पहले अहमदबाद लेकर गए. जहां उसकी मृत्यु हो गई. स्वास्थ्य विभाग इस दौरान मरीज के संपर्क में आने वालों पर दो सप्ताह तक नजर रखेगा. अगर किसी में लक्षण पाए जाते है, तो उपचार से जोड़ा जाएगा.

Last Updated : Oct 9, 2024, 7:22 PM IST

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