नई दिल्ली:जेएनयू कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित की "मुफ्तखोर" वाली टिप्पणी पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने निशाना साधा है. जेएनयूएसयू ने कुलपति पर विश्वविद्यालय को निशाना बनाने वाली कुछ फिल्मों की "निंदनीय कहानियों" को संबोधित करने में विफल रहने का आरोप लगाया है. वीसी को लिखे पत्र में संघ ने उन पर "कैंपस में राजनीतिक रूप से पसंदीदा समूहों द्वारा प्राप्त भव्य सुविधाओं" को "सुविधाजनक रूप से" नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.
जेएनयूएसयू ने कहा कि यहां असली मुफ्तखोर कौन है? क्या यह छात्र और संकाय हैं, जो अकादमिक उत्कृष्टता के लिए प्रयास कर रहे हैं. या शायद आप हैं, जो कुलपति के कार्यालय पर कब्जा कर रहे हैं. करदाताओं के पैसे से वेतन कमा रहे हैं. जबकि, विश्वविद्यालय समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहे हैं?" बता दें, एक साक्षात्कार में कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने कहा था कि जेएनयू में "मुफ्तखोरों" की समस्या है.
कुलपति ने यह भी कहा था कि प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक संगठनों के उभरने के साथ JNU में वामपंथी सरकार कमजोर हो गई है. उसे हाथ मिलाने के लिए मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि वह स्वतंत्र रूप से चुनाव जीतने के लिए संघर्ष कर रही है.
जेएनयूएसयू ने वीसी से आग्रह किया कि वह छात्रों को "मुफ्तखोर" बताने वाले अपने बयान पर आत्ममंथन करें. संघ ने पंडित पर पक्षपात करने और परिसर में आरएसएस समर्थित कार्यक्रमों की अनुमति देने का भी आरोप लगाया. जेएनयूएसयू ने कहा कि हमारे वीसी गर्व से दावा करते हैं कि वह जेएनयू के पूर्व छात्र हैं, लेकिन उन्हें परिसर में कुछ 'मुफ्तखोरों' के बारे में मीडिया से बात करने में कोई शर्म नहीं आती है. वह परिसर में कुछ राजनीतिक रूप से पसंदीदा समूहों द्वारा प्राप्त भव्य सुविधाओं को आसानी से नजरअंदाज कर देती हैं.
संघ ने जवाब में आगे कहा, "करदाताओं के पैसे का उपयोग वास्तव में शिक्षा और अनुसंधान के लिए किया जाना चाहिए, न कि शैक्षणिक गतिविधियों की आड़ में वैचारिक एजेंडा का प्रचार करने के लिए. जेएनयूएसयू ने पंडित पर घटिया फैकल्टी की भर्ती करने का आरोप लगाया और कहा, "हम मुफ्तखोर नहीं हैं. आप घटिया फैकल्टी की भर्ती करके करदाताओं का पैसा बर्बाद कर रहे हैं."
छात्र संगठन ने पत्र में यह भी कहा कि यह शर्मनाक है कि इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र होने के नाते आपने परिसर में बस्तर की स्क्रीनिंग की अनुमति दी है. एक फिल्म जो खुले तौर पर सार्वजनिक दृष्टि से जेएनयू छात्रों को मारने का आह्वान करती है. ये फिल्में न केवल हमारे समुदाय को गलत तरीके से पेश करती हैं बल्कि हानिकारक रूढ़िवादिता को भी कायम रखती हैं. बता दें, जेएनयू कैंपस में सुधीर मिश्रा द्वारा निर्देशित फिल्म की शूटिंग 6 अप्रैल से चल रही है, जिसका जेएनयू छात्र संघ लगातार विरोध कर रहा है.