रांची: राज्य के पूर्व शिक्षामंत्री और लातेहार से झामुमो के विधायक बैद्यनाथ राम ने अब चुप्पी साध ली है. इस दौरान उन्होंने धुर्वा स्थित अपने सरकारी आवास में रहने के बावजूद मीडिया से दूरी भी बना ली है.
मंत्री नहीं बनाए जाने पर विरोध में विधायक ने की थी आवाज बुलंद
16 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन सरकार के कैबिनेट विस्तार में मंत्री बनते-बनते रह गए बैद्यनाथ राम लगातार विरोध में आवाज बुलंद कर रहे थे. उन्होंने मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के दिल्ली से लौटने तक अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि अगर उन्हें मंत्री बनाने पर फैसला नहीं लिया जाता तो वह बड़ा निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगे. बैद्यनाथ राम के अल्टीमेटम का डेडलाइन समाप्त हो चुका है. ऐसे में अब आगे बैद्यनाथ राम का रूख क्या होगा यह जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की, लेकिन विधायक मीडिया के सामने नहीं आएं.
विधायक के सरकारी आवास का दरवाजा सुबह से ही था बंद
कल तक अनुसूचित जाति से जुड़े सामाजिक संगठनों और मीडिया से खुलकर बात करने वाले बैद्यनाथ राम ने अब चुप्पी साध ली है. उनके धुर्वा स्थित सरकारी आवास संख्या 35 के दरवाजे सोमवार सुबह से ही बंद हैं और कहा यह जा रहा है कि विधायक जी की तबीयत थोड़ी नासाज है, गले में खरास है. इस कारण वह आज कुछ भी नहीं बोल पाएंगे.
क्या है पूरा मामला, क्यों भड़के थे बैद्यनाथ राम
दरअसल ,16 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायकों की जो सूची थी उसमें दूसरे नंबर पर लातेहार से झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम का भी नाम था. उन्हें मंत्री पद की शपथ लेने का वारंट और न्योता भी मिल चुका था, लेकिन अंतिम समय में बैद्यनाथ राम का नाम मंत्री की सूची से हटा दिया गया और लातेहार विधायक मंत्री बनते बनते रह गए. अंतिम समय में मंत्री नहीं बनाए जाने को राज्य के दलित समाज के अपमान से जोड़ते हुए बैद्यनाथ राम ने यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस के दवाब के सामने नेतृत्व को कमजोर नहीं पड़ना चाहिए था. मुख्यमंत्री को अपने लिए फैसले पर स्टैंड रहना चाहिए था.