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झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड: खोया बच्चा मिला तो अब अस्पताल से गायब हुई पत्नी नहीं मिल रही

Jhansi Medical College Incident : जिलाधिकारी का दावा सभी माता-पिता के बच्चे मिल गई हैं. अब कोई भी बच्चा गायब नहीं है.

झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड के प्रभावित.
झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड के प्रभावित. (Photo Credit : ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 4 hours ago

झांसी : झांसी मेडिकल काॅलेज के निक्कू वॉर्ड में हुए अग्निकांड ने करीब 11 बच्चों की जिंदगी छीन ली है. परिजन के सामने ही उनके नवजात जलते रहे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की कोई जुगत और तरकीब काम नहीं आई. इस घटना में लापरवाही किसकी और कितनी थी, फिलहाल जांच के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन दुर्घटना के शिकार परिजन विभिन्न कारणों से अभी तक इधर-उधर भटक रहे हैं.

झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड के पीड़ित. देखें खबर (Video Credit : ETV Bharat)

गरौठा थाना क्षेत्र के ग्राम गोरपुरा निवासी कृपाराम अपनी बहन शीला के साथ पत्नी शांति की डिलीवरी के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे. 7 नवंबर को मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग में पत्नी ने एक लड़के को जन्म दिया. डिलीवरी के बाद से ही बच्चे को झटके से आने लगे थे. जिससे उसे निक्कू वॉर्ड में भर्ती करा दिया गया था. कृपा राम के अनुसार अगले दिन पत्नी बिना किसी को कुछ बताए मेडिकल कॉलिज से कहीं चली गई, जबकि बच्चा वहीं भर्ती रहा. इसके बाद कृपाराम के पास किसी ऑटो वाले का कॉल आया कि तुम्हारी पत्नी रास्ता भटक गई है और हमारे पास है. इसके बाद से उसका फोन बंद है. कृपा राम की शिकायत पर पुलिस ने बस स्टैंड के पास लगे सीसीटीवी कैमर चेक कराए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. इधर, शुक्रवार को हुए अग्निकांड में बच्चा गायब हो गया. कृपाराम अब पत्नी के बाद अपने बच्चे की तलाश में भटक रहा है.

आखिरकार मिला बच्चा

अग्निकांड के बाद मेडिकल कॉलिज प्रशासन के पास रेस्क्यू में बचाया गया एक ऐसा बच्चा भी था, जिसके परिजन नहीं मिल रहे थे. रिकॉर्ड खंगालने पर बच्चे के हाथ पर लगे टैग के आधार पर उसकी मां को फोन लगाया गया. झांसी के रक्सा क्षेत्र के बामेर निवासी लक्ष्मी-महेन्द्र नाम के दंपती ने जवाब दिया कि वह तो अपने बच्चे के साथ एक नर्सिंग होम में हैं. अधिकारियों ने उन्हें बुलाया और मेडिकल कॉलिज में भर्ती बच्चे को दिखाया तो उसकी ताई वंदना व मां लक्ष्मी ने तुरन्त उसे पहचान लिया. वह उनका ही बच्चा था.

वंदना ने बताया कि आग लगने के बाद वह अपना बच्चा समझ कर उसे उठा कर वॉर्ड से बाहर आ गई थी. इसके बाद बच्चे को लेकर वह और उनकी देवरानी लक्ष्मी नर्सिंग होम में उपचार करा रहे थे. जिसके इलाज में उन्होंने पैसा भी खर्च किया. उन्होंने ईश्वर व अधिकारियों का आभार जताया कि उन्हें अपना बच्चा सही सलामत वापस मिल गया.

दूसरी ओर लक्ष्मी-महेन्द्र के पास से मिले बच्चे को कृपाराम व उनकी बहन शीला ने पहचान लिया. वह उन्हीं का बच्चा था. कृपाराम ने बताया कि बच्चा तो मिल गया, मगर उसकी पत्नी का अभी तक कुछ पता नहीं चल रहा है. कृपाराम ने बताया कि उसकी शादी एक साल पहले बिहार निवासी शांति से हुई थी. पत्नी मानसिक रूप से डिस्टर्ब थी और कुछ भी बता पाने में असमर्थ है. उसकी गुमशुदगी नवाबाद थाने में दर्ज कराई है. जिलाधिकारी ने बताया कि जिन माता-पिता के बच्चे मिले नहीं थे, उन सभी के बच्चे मिल गए हैं. उनकी पहचान भी परिजनों ने स्वयं की है. अब कोई भी बच्चा गायब नहीं है.

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