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श्री राम का वंशज जयपुर राजपरिवार, अयोध्या की सुरक्षा और संवारने के किए काम

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 22, 2024, 1:55 PM IST

Updated : Jan 22, 2024, 2:09 PM IST

जयपुर राज परिवार भगवान राम के पुत्र कुश का वंशज है. नाथावतों के इतिहास में इनकी पूरी वंशावली भी दी हुई है, जिसके अनुसार वर्तमान में 309वीं पीढ़ी चल रही है. भगवान श्री राम के वंशजों की जयपुर राज परिवार सबसे बड़ी गद्दी है. इसके पीछे बड़े बेटे को राज मिलने की परंपरा भी कही जा सकती है. देखिए पूरी रिपोर्ट...

Jaipur royal family descendants of Ram
श्री राम का वंशज जयपुर राजपरिवार

श्री राम का वंशज जयपुर राजपरिवार, जानिए पूरी कहानी...

जयपुर. भगवान श्री राम की राजधानी अयोध्या के प्रति जयपुर राज परिवार यानी कछवाहा वंश की गहरी श्रद्धा रही है. सवाई जयसिंह ने सन 1717 में अवध के नवाब बरहान उल मुल्क शहादत खान से अयोध्या में 983 एकड़ जमीन खरीद कर अपने नाम से जयसिंह पुरा बसाया था. अयोध्या के बसूरपुर, सिरसा और बाग फतेहबक्ष भी जयपुर के ही अधिकार में रहे. अयोध्या में राम जन्म भूमि को आक्रांताओं से बचाने में के लिए जयपुर के बालानंद मठ के निर्मोही अखाड़ा के योद्धा संतों की अयोध्या में सैनिक छावनी कायम की गई थी. यही नहीं, जयपुर में सिटी पैलेस स्थित कपड़द्वारा में अयोध्या, राम जन्मभूमि और हनुमान गढ़ी के के दुर्लभ मान चित्र आज भी मौजूद है, जो जयपुर राज परिवार की ओर से अयोध्या के लिए किए गए काम का वृतांत खुद बताते हैं.

वर्तमान में 309वीं पीढ़ी : इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि जयपुर राज परिवार भगवान राम के पुत्र कुश का वंशज है. नाथावतों के इतिहास में इनकी पूरी वंशावली भी दी हुई है, जिसके अनुसार वर्तमान में 309वीं पीढ़ी चल रही है. यहां पचरंगा झंडे से पहले राज परिवार के झंडे में कचनार के पेड़ का चिह्न था. भगवान श्री राम की तरह ही जयपुर राज परिवार भी शमी वृक्ष की पूजा करता आया है. यहां दशहरा बड़े जोर-शोर से मनाते हैं. वाल्मीकि रामायण में जिस तरह का वृतांत राम दरबार का बताया जाता है, इस तरह का दरबार जयपुर राज परिवार का भी सजता था.

राम का वंशज जयपुर राजपरिवार

जयसिंह ने अयोध्या में करवाए कई निर्माण कार्य : उन्होंने बताया कि जब राम जन्मभूमि पर किसी और धर्म का स्थान बन गया, जयपुर राज परिवार को रास नहीं आया, लेकिन सवाई जयसिंह के समय जयपुर राज परिवार के पास शक्ति भी थी, तो उन्होंने अयोध्या में परकोटा, धर्मशाला, घाट व भोजन शालाएं बनवाई. इसके अलावा नागा साधुओं को सुरक्षा की दृष्टि से स्थाई रूप से वहां बसाया गया. फारूक शाह के समय अवध के नवाब से जमीन खरीदी, जहां वर्तमान में बड़े रघुनाथ जी की छावनी, मणिराम दास जी की छावनी, विद्या कुंड बने हुए हैं. जन्म स्थान और रामकोट भी इसी का हिस्सा थे. हालांकि रामकोट का कोई अंश अब बचा हुआ नहीं है. इन सभी व्यवस्थाओं के लिए जयपुर राज परिवार की ओर से बाकायदा पैसा जाता था और मुगल कोर्ट में कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए वकील मुक़र्रर किया हुआ था, जो मुगल कोर्ट, जयपुर राज परिवार और नागा साधुओं के बीच कोऑर्डिनेशन का काम करता था.

वर्तमान में भगवान राम के वंश की 309वीं पीढ़ी

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मुख्य त्योहार रामनवमी : भगत ने बताया कि राम के मंदिर के प्रति जयपुर राज परिवार का हमेशा से अलग दृष्टिकोण रहा है. यहां आमेर में सीताराम द्वारा, सिटी पैलेस में सीताराम द्वारा, गलता तीर्थ में नयनाभिराम विग्रह लगाए गए. यही नहीं चांदपोल का राम मंदिर जैसा विग्रह पूरे विश्व में कहीं नहीं है, जो जीवंत प्रतीत होता है. जयपुर का मुख्य त्योहार भी रामनवमी ही हुआ करता था. इसी दिन राज परिवार की ओर से सैनिकों को पदवी दी जाती थी. अच्छे व्यवहार करने वाले कैदियों को छोड़ा जाता था. इसी तरह सूर्य सप्तमी एक बड़ा त्योहार होता था, क्योंकि भगवान राम खुद सूर्यवंशी थे. ऐसे में गलताजी से जो सूर्य रथ निकलता था, उसके साथ खुद जयपुर के महाराजा साथ चलते थे.

राम नवमी और सूर्य सप्तमी कुछवाह वंश के प्रमुख त्योहार रहे

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कुश के वशंज कुशवाह : वहीं, सिटी पैलेस के ओएसडी रामू रामदेव ने बताया कि भगवान श्री राम के बड़े पुत्र कुश के वंशज ही कुशवाहा (कछवाहा) कहलाए. भगवान श्री राम के वंशजों की जयपुर राज परिवार सबसे बड़ी गद्दी है. इसके पीछे बड़े बेटे को राज मिलने की परंपरा भी कही जा सकती है. वर्तमान महाराज 309वीं पीढ़ी के हैं. जब भी जयपुर के राजा युद्ध में जाया करते थे, तो भगवान श्री राम का रथ सबसे आगे रखते थे. जो यहां रामद्वारा में अभी भी मौजूद है. मिर्जा राजा मानसिंह ने उस दौर में 77 युद्ध लड़े थे और कभी नहीं हारे. उन्होंने काबुल-कंधार तक जाकर दुश्मनों को हराया था. जहां-जहां मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बना दी गई थी, उन्हें दोबारा मंदिर बनाया गया. इनमें द्वारकाधीश मंदिर भी शामिल है, जो 104 साल तक मस्जिद रहा, उसे मंदिर बनाया गया. इसी तरह के साक्ष्य जगन्नाथ पुरी को लेकर मिलते हैं.

सवाई जयसिंह ने अयोध्या में कराए थे कई निर्माण कार्य

वैष्णव संप्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी जयपुर में : उन्होंने बताया कि उत्तर भारत की वैष्णव संप्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी गलता तीर्थ है. स्टेट पीरियड में तिरुपति बालाजी की भोग प्रसाद जी की व्यवस्था भी यहीं से हुआ करती थी. यही नहीं, इस दौर में भगवान श्री राम के अलग-अलग कोनों पर कई मंदिर बनवाए गए थे. देश के मुख्य धार्मिक स्थल के आस पास जमीन खरीद कर जयसिंहपुर बसाए गए. जय घाट, मान घाट बनाए गए और मंदिरों के संरक्षण का काम किया गया. संरक्षण का काम बालानंद मठ के अंतर्गत होता आया है, जो जयपुर राज परिवार से जुड़ा रहा. उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान में धर्म की रक्षा करने के लिए जयपुर राज परिवार अग्रणी रहा है.

Last Updated : Jan 22, 2024, 2:09 PM IST

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