कोटा :जैन संतों का हाड़ौती के बारां जिले में विहार चल रहा है, जिनमें 14 साल के संत विजय चंद्र सागर भी शामिल हैं. संत विजयचंद्र सागर मूल रूप से कोटा शहर के तिलक नगर के निवासी रहे हैं और उनका परिवार बारां में रहता है. दोनों जगह ही इनके निवास रहे हैं. दरअसल, 8 साल की उम्र में जीव दया की बात सुनने के बाद विजयचंद्र सागर ने संतों के साथ रहना स्वीकारा. उसके चार साल बाद 12 साल की उम्र में दीक्षा ले ली. उसके बाद वो कल्प कुमार बोरडिया से विजयचंद्र सागर बन गए. उन्होंने यह दीक्षा गुजरात में ली थी, जबकि परिवार के साथ कर्नाटक के मैसूर में रहते थे. हाड़ौती और खास तौर पर बारां प्रवास पर उनके दादा भरत कुमार बोरडिया और दादी विमला ने भी इस बात पर खुशी जताई.
उनके चाचा कोटा निवासी विनय कुमार बोरडिया का कहना है कि उनके भाई विजय बोरडिया के पुत्र कल्प का जन्म कोटा में ही हुआ था. विजय अपने व्यापार के लिए कर्नाटक के मैसूर में शिफ्ट हो गए, जहां पत्नी शिल्पा और बड़े बेटे गमन के साथ छोटे कल्प भी रहते थे. उनके भाई का साड़ी के होलसेल व्यापार का काम था और मल्टी में बकरीद के दिन आचार्य नय चंद्र सागर पधारे थे. उन्होंने सभी को कहा कि जीव हत्या के दिन सभी को बिना मिर्च का खाना यानी आयंबिल करना चाहिए. यह जीवों को शांति देता है. इस बात से कल्प प्रभावित हो गया. कल्प तब तीसरी कक्षा में पढ़ता था, उसने संतों के साथ रहने की इच्छा प्रकट की.
8 साल की उम्र में ठानी संत बनने की इच्छा (ETV BHARAT kota) इसे भी पढ़ें -करोड़ों की संपत्ति छोड़ निलेश चला संयम के मार्ग पर... मां भी बेटे की इच्छा पूरा करने को तैयार - NILESH MEHTA JAIN INITIATION
संतों के साथ किया 3000 किलोमीटर का विहार : विनय बोरडिया का कहना है कि कल्प से आचार्य नय चंद्र सागर भी प्रभावित हो गए. उन्होंने 9 साल की उम्र में ही कल्प को शिष्य मान लिया. साथ ही अपने साथ विहार पर रख लिए. उसके बाद 3 साल तक लगातार अपने गुरु के साथ ही उन्होंने पैदल विहार किया और पढ़ाई भी जारी रखी. जैन धर्म के संस्कार और ज्ञान भी आचार्य नय चंद्र सागर ने दिया. उसके बाद 12 साल की उम्र में गुजरात के पालीटाना जैन तीर्थ पर उन्होंने दीक्षा ले ली, तभी वे कल्प बोरडिया से विजय चंद्र सागर बन गए.
लोगों ने लिया आशीर्वाद (ETV BHARAT kota) विहार पर हैं संत विजयचंद्र सागर (ETV BHARAT kota) बारां में जैन तीर्थ पर रुके, कोटा का करेंगे विहार : विजय चंद्र सागर महाराज ने अन्य संतों के साथ रतलाम में ही चातुर्मास किया है. इसके बाद वे बारां के विहार पर हैं, जहां कोटा रोड स्थित जैन तीर्थ पर वो वर्तमान में अन्य 21 साधु-संतों के साथ ठहरे हैं. वो यहां तीन दिन रहने वाले हैं. इसके पहले सोमवार को उनके पैदल विहार के दौरान पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया, बारां जिला प्रमु उर्मिला जैन, समाजसेवी मनोज जैन आदिनाथ के साथ बोरडिया परिवार के लोग सहित अन्य ने उनसे आशीर्वाद लिया. इसके बाद वो कोटा के लिए विहार करेंगे.