जबलपुर: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के एक मामले की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में चल रही है. इस मामले में बड़ा डेवलेपमेंट हुआ है. खंडवा सीएमएचओ हाईकोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ के समक्ष प्रस्तुत हुए थे. इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवार को 90 दिनों में भुगतान करने का हलफनामा कोर्ट के समक्ष पेश किया है. बता दें कि मामला वीआरएस लेने का है. साल 1975 में सीहोर सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ जगन्नाथ रावत ने वीआरएस के लिए आवेदन किया था, लेकिन विभाग की ओर से आवेदन स्वीकार नहीं किया गया.
हाईकोर्ट में याचिका पर हुई सुनवाई
बताया गया कि वीआरएस का आवेदन देने के बाद विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई और जगन्नाथ रावत को पेंशन सहित अन्य सेवानिवृत्ति के लाभ भी प्रदान नहीं किए गए. वहीं 2007 में उनकी मौत के बाद पत्नी और बच्चों ने कानूनी लड़ाई जारी रखी है. इस दौरान कर्मचारी की पत्नी का भी निधन हो गया.
कर्मचारी ने वीआरएस के लिए किया था आवेदन
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ललिता रावत व उनकी 3 बेटियों और बेटे की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में उनकी पत्नी ने कहा था कि उनके पति जगन्नाथ रावत की स्वास्थ्य विभाग में साल 1952 में नियुक्ति हुई थी और उनकी पोस्टिंग सीएमएचओ कार्यालय खंडवा में हुई थी. इसके बाद उनका अन्य स्थानों में स्थानांतरण हुआ था. उनके पति ने साल 1975 में सीहोर सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थापना के दौरान स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था, इसके बाद वे ड्यूटी में नहीं गए और विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.
कोर्ट ने 30 दिनों में आवेदन के लिए दिए थे आदेश
याचिकाकर्ताओं ने याचिका में बताया है कि जगन्नाथ रावत की साल 2007 में मौत हो गई थी. विभाग के दौरान उन्हें सेवानिवृत्ति देयकों का भुगतान तथा पेंशन का लाभ प्रदान नहीं किया गया था. जिसके कारण साल 2018 में उनके परिवार की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका का निराकरण करते हुए हाईकोर्ट ने सीएमएचओ को निर्देश जारी किए थे, कि याचिकाकर्ता के आवेदन का निराकरण 30 दिनों में किया जाए. सीएमएचओ ने आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उनके पति के सेवाकाल का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है.