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मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम की जमीन नीलामी मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला - MP HIGH COURT

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तय समय अविधि में राशि जमा नहीं करने को गंभीरता से लिया और जुर्माना ठोका.

MP High Court
कोर्ट का समय बर्बाद करने पर याचिका लगाने वाले पर जुर्माना (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 14, 2025, 2:49 PM IST

जबलपुर :मध्यप्रदेश हाई कोर्ट नेभोपाल के बैरागढ़ स्थित सड़क विकास निगम की जमीन की नीलामी मामले में बड़ा फैसला सुनाया. दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने बोली लगाने वाले को 41 करोड़ 41 लाख रुपये की राशि हाईकोर्ट में जमा करने के निर्देश दिये थे. राशि जमा नहीं करते हुए याचिकाकर्ता निखिल गांधी ने हाईकोर्ट में लंबित याचिका वापस लेने का आग्रह किया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय व हाईकोर्ट का समय बर्बाद करने के कारण याचिकाकर्ता निखिल गांधी पर 5 लाख रुपये की कॉस्ट लगाई है.

कम बोली लगाने वाले को जमीन देने का विरोध

निखिल गांधी की तरफ से साल 2022 में दायर की गयी याचिका में कहा गया था "भोपाल के बैरागढ़ स्थित सड़क विकास निगम 6232 वर्ग मीटर जमीन के लिए उसने 29 करोड़ की बोली लगाई. सबसे अधिक बोली होने के बावजूद 21 करोड़ की बोली लगाने वाले व्यक्ति को जमीन दे दी गई." हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगा दी. इसके बाद हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक के खिलाफ सड़क विकास निगम ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की. सर्वोच्च न्यायालय में निखिल गांधी ने जमीन के लिए 41 करोड़ 41 लाख का प्रस्ताव पेश किया.

सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया था

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था "सामान्य परिस्थिति में कानून के अनुसार नीलामी में न्यायालय को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. विशिष्ट परिस्थिति में सुनवाई हो सकती है. हाई कोर्ट ने केवल इस बात को ध्यान में रखा है कि सार्वजनिक प्राधिकरण की संपत्ति की नीलामी में सबसे अच्छा मूल्य प्राप्त किया जा सकता है. सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए ये राशि 3 माह में हाई कोर्ट में जमा करने के आदेश जारी किये.

हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर ठोका जुर्माना

याचिकाकर्ता ने निर्धारित अवधि में ये राशि जमा नहीं की. वहीं, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में लंबित याचिका वापस लेने का आग्रह किया. हाई कोर्ट ने 5 लाख की कॉस्ट के साथ याचिका को खारिज कर दिया. युगलपीठ ने आदेश में कहा है "कॉस्ट की राशि 4 सप्ताह में हाई कोर्ट की विधिक सेवा समिति में जमा की जाए."

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