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मध्यप्रदेश के आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेजों की संचालन प्रक्रिया पर फैसला जल्द

मध्यप्रदेश में संचालित आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेजों में भर्ती व ट्रांसफर से संबंधित मामलों पर जबलपुर हाईकोर्ट अंतिम सुनवाई करने वाला है.

MP High Court
आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेजों की संचालन प्रक्रिया पर फैसला जल्द (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 29, 2024, 7:54 PM IST

जबलपुर :मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा आयुर्वेद ऑटोनॉमस (स्वशासकीय) कॉलेजों में भर्ती, स्थानांतरण सहित अन्य विषयों के संबंध में बनाए गए नियम को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य शासन, हस्तक्षेपकर्ताओं और याचिकाकर्ताओं को लिखित में तर्क पेश करने के निर्देश दिए हैं. मामले की अंतिम सुनवाई 25 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है.

ऑटोनॉमस करने के बाद भी सारे अधिकार सरकार के पास

आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेज भोपाल और इंदौर के सहायक प्राध्यापकों द्वारा याचिका दायर कर चुनौती दी गयी. इसके तहत एक आयुर्वेद स्वशासकीय कॉलेज से दूसरे आयुर्वेद स्वशासकीय कॉलेज में सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर का स्थानांतरण तथा भर्ती में प्रदेश स्तर की रोस्टर प्रणाली लागू की जाएगी. इसके सारे अधिकार सरकार के पास होंगे. याचिका में हस्तक्षेपकर्ता की तरफ से पेश आवेदन में सरकार का निर्णय बताते हुए कहा गया था इससे आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को लाभ होगा. ये कॉलेज 1997 तक मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित होते थे. इसके बाद ऑटोनॉमस बना दिया.

कॉलेजों में भर्ती करने का अधिकार समितियां को दिया

ऑटोनॉमस के बाद इन कॉलेजों के सहायक अध्यापकों और अध्यापकों अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों का वेतन एवं भत्ते मध्य प्रदेश सरकार के संचित निधि पर आधारित होता है. मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2010 में नियम बनाकर इन कॉलेजों में भर्ती करने का अधिकार इन समितियां को दिया था. इस पर मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने आपत्ति जताई थी. मध्य प्रदेश महालेखाकार ग्वालियर द्वारा भी इन ऑटोनॉमस कॉलेज के कर्मचारी एवं अधिकारियों को संचित निधि से वेतन एवं भत्ता दिए जाने पर आपत्ति उठाई गई थी. हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए साल 2022 में स्थानांतरण पर रोक लगा दी थी.

जैतहरी नगर पालिका के मामले में नोटिस जारी

अनूपपुर जिले के जैतहरी नगर पालिका के अध्यक्ष की फर्म द्वारा गुणवत्ताहीन कार्य किये जाने की शिकायत पर जांच के निर्देश जारी किये गए हैं. निर्देश के बावजूद जांच ठंडे बस्ते में डाल दिये जाने में को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

जिम्मेदारों ने एक साल बाद भी रिकॉर्ड नहीं सौंपा

मामले के अनुसार याचिकाकर्ता जय प्रकाश अग्रवाल ने याचिका में कहा कि नगर पालिका अध्यक्ष उमंग गुप्ता की फर्म श्री राम इंफ्रा के द्वारा किये गये गुणवत्ताहीन कार्य के संबंध में उन्होंने सीएम हेल्पलाइन सहित संबंधित अधिकारियों से की थी. शिकायत पर कार्रवाई के निर्देश जारी होने पर सीएम हेल्पलाइन का निराकरण हो गया. इसके बाद संयुक्त संचालक शहरी विकास विभाग ने साल 2023 में कार्यो से संबंधित रिकॉर्ड तलब किया. एक साल गुजर जाने के बावजूद भी नगर पालिका की तरफ से रिकॉर्ड नहीं भेजा गया. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता धीरज कुमार तिवारी ने पैरवी की.

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