जबलपुर: वेतन संशोधन और वित्तीय उन्नयन के बीच का अंतर मालूम नहीं होने पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 4 आईएएस अधिकारियों पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है. एक याचिका पर फैसला देते हुए सरकार पर 50 हजार की कॉस्ट लगाई साथ ही याचिकाकर्ता को 2 माह में बकाया वेतन और पेंशन का भुगतान करने के आदेश जारी किये हैं. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि प्रदेश के 4 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को इस बात की जानकारी क्यों नहीं है कि चौथे केन्द्रीय वेतन आयोग के अनुसार प्रचलित वेतनमान को मध्य प्रदेश वेतन संशोधन नियम 1998 के अनुसार संशोधित कर दिया है.
भोपाल के रिटायर्ड अधिकारी ने लगाई थी याचिका
भोपाल निवासी महेश चंद्र तिवारी की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उनकी नियुक्ति सहायक कोषाधिकारी के रूप में हुई थी. उन्हें साल 1996 में विधि अधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्ति प्रदान की गई थी. इसके बाद साल 1999 में वाणिज्यिक कर विभाग में उन्हें समायोजित कर दिया और वह साल 2021 में सेवानिवृत्त हो गए. याचिका में कहा गया था कि उन्हें सेवाकाल में 3 वित्तीय उन्नयन मिलने चाहिए थे परंतु उन्हें 2 ही प्रदान किये गए.
आवेदन पर गठित हुई थी 4 आईएएस की कमेटी
याचिकाकर्ता ने एक और वित्तीय उन्नयन नहीं मिलने पर विभागीय स्तर पर समाधान के लिए आवेदन दिया था. उनके आवेदन पर 4 आईएएस की कमेटी गठित की गई थी. कमेटी ने आदेश में कहा था कि उन्हें पहले ही 3 वित्तीय उन्नयन का लाभ मिल गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया था कि साल 1999 में हुए वेतन संशोधन को कमेटी ने वित्तीय उन्नयन मान लिया है, जबकि वेतन आयोग के अनुसार वह सामान्य वेतन वृद्धि थी. सरकार के द्वारा उन्हें गलत तरीके से तीसरे उन्नयन से वंचित किया गया है.