जबलपुर।कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है. कुछ ऐसी ही जरूरत जबलपुर के मनोज कुमार सोनी के सामने खड़ी थी. मनोज सोनी जबलपुर के एक निजी अस्पताल में इलेक्ट्रिशियन हैं. उन्होंने आईटीआई से इलेक्ट्रिकल का डिप्लोमा लिया है. इसलिए उन्हें अस्पताल में इलेक्ट्रिशियन की नौकरी मिल गई लेकिन उनका घर जबलपुर के अधारताल में है और नौकरी जबलपुर के तिलवारा घाट के पास है. घर और अस्पताल के बीच में तकरीबन 25 किलोमीटर का फासला है.
लगातार रिसर्च के बाद मिली सफलता
मनोज कुमार सोनी को बहुत ज्यादा तनख्वाह नहीं मिलती और इस वजह से उन्हें घर से अपनी अस्पताल तक जाने में रोज पेट्रोल का खर्चा बहुत अधिक हो जाता था. इस वजह से मनोज सोनी के मन में चार आया कि क्यों ना इस पेट्रोल के खर्चे को काम किया जाए और उन्होंने अपनी खोज शुरू की. मनोज के पास जो गाड़ी थी, उसी को बैटरी के जरिए चलाना चाह रहे थे. इसलिए उन्हें खोजते-खोजते कुछ ऐसी चीजें मिलीं, जिससे वह अपनी मोटरसाइकिल को बैटरी से चला सकते थे. लेकिन उनकी कोशिश यह थी कि वह अपने पेट्रोल बाइक को ही बैटरी से चला सकें, ताकि यदि कभी जरूरत पड़े तो पेट्रोल के जरिए भी उसे चलाया जा सके. क्योंकि बैटरी से चलने वाली मोटरसाइकिल में चार्जिंग खत्म हो जाने के बाद चलाया नहीं जा सकता.
बैटरी व पेट्रोल से दोनों से चल सकती है बाइक
मनोज ने कुछ ऐसा बनाया जिसमें गाड़ी में दोनों ही विकल्प मौजूद हैं. मनोज की गाड़ी जब न्यूट्रल रहती है तब वह बैटरी से चलती है और यदि उसे गैर लगाकर चलना है तो वह अपने आप पेट्रोल पर ट्रांसफर हो जाती है. ऐसी स्थिति में मनोज जब चाहें, तब इसके ईंधन को बदल सकते हैं. मनोज का कहना है कि इस मोडिफिकेशन में उन्हें लगभग 70 हजार रुपए का खर्च आया लेकिन उनका यह मॉडल एकदम सफल है और इसे अब उनका खर्चा बहुत अधिक बच गया है.