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क्या आपने देखा है एक लाख रुपये का रुमाल ? जानें क्या है लखटकिया रुमाल की खासियत - Chamba Rumal

Specialty of Chamba Rumal: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के सरस मेले में चंबा रुमाल खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. मेले में लगे स्टॉल पर चंबा रुमाल की कीमत 1 लाख रुपए तक की है. वहीं, चंबा रुमाल को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है.

Chamba Rumal
Chamba Rumal

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 13, 2024, 12:51 PM IST

Updated : Mar 13, 2024, 6:00 PM IST

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के सरस मेले में चंबा रुमाल खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

मंडी:आपकी जेब में रखे रुमाल की कीमत क्या है ? 10 रुपये, 20 रुपये या फिर 50 रुपये, चलिये आपको एक खास रुमाल दिखाते हैं जिसकी कीमत एक लाख रुपये हैं. सही पढ़ा आपने, एक लाख रुपये. अगर आपको अपने रिश्तेदारों या दोस्तों के लिए ये रुमाल खरीदना है तो हो सकता है कि आपको बैंक से लोन लेना पड़ जाए. खैर, इस रुमाल को चंबा रुमाल के नाम से जानते हैं. जो इन दिनों हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के सरस मेले में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. चंबा रुमाल के इस स्टॉल पर लोगों की भीड़ लगी हुई है.

1 लाख रुपए का चंबा रुमाल

₹200 से ₹1 लाख तक रुमाल की कीमत

दरअसल चंबा रुमाल हिमाचल की फेमस कला है. मंडी के शिवरात्रि महोत्सव में चंबा जिले की सुनीता ठाकुर अपने बनाए रुमाल लेकर पहुंची हैं. सुनीता ठाकुर ने बताया कि चंबा रुमाल को देखने के लिए स्टॉल में लोगों की काफी भीड़ उमड़ रही है. यह रुमाल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. एक लाख के रुमाल का दीदार करने के लिए दिनभर यहां लोगों की भीड़ लगी रहती हैं. सुनीता बताती हैं कि उनके पास 200 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक की कीमत वाले रुमाल हैं. कुछ लोग रुमाल खरीद भी रहे हैं लेकिन ज्यादातर लोगों की नजर इस एक लाख रुपये के रुमाल पर आकर टिक जाती है, जिसे उन्होंने कोरोना काल में बनाया था.

"मेरे पास 200 रुपये से एक लाख रुपये तक का रुमाल है. हालांकि एक लाख रुपये वाला रुमाल नॉट फोर सेल है. लेकिन इसे देखने के लिए काफी लोग आ रहे हैं. इसे मैंने कोरोना काल में बनाया था. इसपर मैंने रोज नहीं बनाया इसलिये इसे बनाने में 2 साल लग गए." - सुनीता ठाकुर, चंबा रुमाल बनाने वाली कलाकार

200 रुपये से एक लाख तक का चंबा रुमाल मौजूद है

चंबा रुमाल को मिल चुका है GI टैग

वैसे तो चंबा रुमाल अब पहचान का मोहताज नहीं है. चंबा रुमाल को जीआई टैग भी मिल चुका है और इसकी वजह से देश-विदेश में इसकी पहचान बनी है. इस रुमाल को बनाने में काफी वक्त और मेहनत लगती है. सुनीता ठाकुर ने बताया कि वो चंबा जिले में नारायण स्वयं सहायता समूह की संचालक है. इनके साथ 7 और महिलाएं भी जुड़ी हुई हैं, जो चंबा रुमाल पर कारीगरी का काम करती हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 30 सालों से चंबा रुमाल तैयार कर रही हैं और अब तक 50 महिलाओं को चंबा रुमाल तैयार करने की निशुल्क ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं.

"ये रुमाल दोनों तरफ एक जैसा दिखता हैं. इसमें कढ़ाई के दौरान कोई गांठ नहीं लगती. पूरी दुनिया में ऐसी कढ़ाई सिर्फ चंबा में होती है. इसे जीआई टैग भी मिल चुका है. छोटे लेडीज रुमाल को तैयार करने में 2 दिन का वक्त लग जाता है. साइज के हिसाब से वक्त 10 दिन से लेकर 18 दिन और एक महीने का वक्त भी लग सकता है. इसमें रेशमी धागा लगता है, जिसे अमृतसर से लाते हैं. अगर ना मिले तो चंबा से भी धागा मिल जाता है. छोटे रुमाल लोग खरीद रहे हैं और देखने के लिए काफी लोग आ रहे हैं."- सुनीता ठाकुर, चंबा रुमाल बनाने वाली कलाकार

चंबा रुमाल को जेब में नहीं फ्रेम में रखा जाता है

चंबा रुमाल की कहानी

दरअसल चंबा रुमाल एक कशीदाकारी हस्तकला (embroidered handicraft) है. इस कला का संबंध हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले से है. माना जाता है कि सिखों के पहले गुरु रहे गुरु नानक देव जी की बहन बेबे नानकी ने सबसे पहले चंबा रुमाल बनाया था. ये रुमाल आज भी होशियारपुर के गुरुद्वारे में संजो कर रखा गया है.

1641 से 1664 तक चंबा के राजा पृथ्वी सिंह ने चंबा रुमाल की कला को बढ़ावा दिया और कपड़े पर 'दो रुखा टांका' कला की शुरुआत की. इसके बाद राज परिवारों के दौर में चंबा के पूर्व शासकों ने इस कला को संवारने से लेकर विकसित करने और संजोने का काम किया. इन्हीं शासकों की बदौलत आज की पीढ़ी भी इस बेहतरीन कला का दीदार करती है.

चंबा रुमाल की खासियत

सुनीता ठाकुर बताती हैं कि इस रुमाल पर कारीगरी के लिए रंगीन रेशमी धागों का इस्तेमाल होता है. खास बात ये है कि ये रुमाल दोनों तरफ से एक जैसा ही होता है. यानी इस रुमाल में उल्टा या सीधा नहीं होता और यही इसे बहुत खास बनाती है. इस रुमाल पर उकेरी गई कलाकृतियां दोनों ओर से उकेरी जाती हैं. खास बात ये है कि रुमाल पर कारीगरी के दौरान धागों की एक भी गांठ नहीं होती. जो इसे बहुत ही नायाब बनाती है. रुमाल पर दोनों तरफ एक जैसी कढ़ाई होती है, जो दुनिया में और कहीं भी देखने को नहीं मिलती. इसमें में दक्षता के साथ मेहनत और वक्त लगता है. इस रुमाल में रेशमी रंगीन धागों का इस्तेमाल कारीगरी के लिए होता है. इन धागों की मदद से कपड़े पर विभिन्न संस्कृति से लेकर देवी-देवताओं, लोक से जुड़े चित्र उकेरे जाते हैं. खास बात ये है कि धागों की मदद से दोनों ओर से एक ही जैसी कलाकृति उकेरी जाती है.

मंडी के शिवरात्रि मेले में चंबा रुमाल का स्टॉल

बेस्ट गिफ्ट है चंबा रुमाल

अगर आप कोई रुमाल खरीदते हैं तो उसे अपनी जेब में रखते हैं. महिलाएं इसे अपने पर्स में भी रखना पसंद करती हैं लकिन चंबा रुमाल को जेब में नहीं बल्कि फ्रेम में किसी फोटो की तरह रखा जाता है. चंबा रुमाल हिमाचल की कला और संस्कृति का खूबसूरत नमूना है. जब भी राज्य से लेकर राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिमाचल की कला संस्कृति का जिक्र होता है तो देवभूमि हिमाचल के नुमाइंदों में चंबा रुमाल भी नजर आता है. चंबा रुमाल की खूबसूरती इसे सबसे बेहतरीन गिफ्ट आइटम में भी शुमार करती है. यही वजह है कि शादी विवाह के दौरान ये उपहार में दिया जाता है.

सुनीता ठाकुर चंबा रुमाल दिखाती हुईं

चंबा रुमाल बहुत ही लोकप्रिय है. कई बड़े अवसर या अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में भी चंबा रुमाल गेस्ट को तोहफे के रूप में दिया जाता है. पिछले साल हुए जी20 सम्मेलन में भी देशभर के राज्यों की संस्कृति और कला को बढ़ावा देने के लिए दूसरे देशों से आए मेहमानों को कई तोहफे दिए गए थे. इनमें चंबा रुमाल भी शामिल था. हिमाचल आने पर पीएम मोदी से लेकर बॉलीवुड कलाकारों और अन्य गणमान्य अतिथियों के स्वागत में जो चीजें दी जाती हैं उनमें हिमाचली टोपी, कुल्लवी शॉल के साथ-साथ चंबा रुमाल भी शामिल होता है.

सुनीता ठाकुर जैसे कई कलाकर चंबा रुमाल जैसी कला को आज भी संजोकर रखे हुए हैं. इसे बढ़ावा देने वालों में चंबा जिले की ही ललिता वकील भी शामिल हैं. जिन्हें चंबा रुमाल को देश-विदेश में पहचान दिलाने के लिए राष्ट्रपति ने 3 बार सम्मानित किया गया है. साल 2018 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा था.

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Last Updated : Mar 13, 2024, 6:00 PM IST

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