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हिमाचल में अगर शाम 5 बजे के बाद बिजली हुई गुल तो करना होगा अगले दिन का इंतजार, अभी वर्क टू रूल के तहत हैं कर्मचारी - WORK TO RULE

बिजली बोर्ड कर्मचारी युक्तिकरण और अन्य मांगों को लेकर अब वर्क-टू-रूल के तहत काम करेंगे. डिटेल में पढ़ें खबर...

हिमाचल में वर्क-टू-रूल के तहत बिजली कर्मचारी
हिमाचल में वर्क-टू-रूल के तहत बिजली कर्मचारी (कॉन्सेप्ट इमेज)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 22, 2025, 7:38 AM IST

शिमला: हिमाचल में सरकार और बिजली बोर्ड कर्मचारियों के बीच अभी गतिरोध जारी है. बिजली बोर्ड कर्मचारी युक्तिकरण और अन्य मांगों को पूरा किए जाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं जिसके लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री के गृह जिला हमीरपुर और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के गृह जिला में बिजली बोर्ड कर्मचारियों और इंजीनियरों की पंचायत भी हो चुकी है. इस पंचायत में ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने सरकार के खिलाफ अपना गुबार निकाला है लेकिन इसके बाद भी सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन की तरफ से कर्मचारियों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है. नाराज बिजली बोर्ड के कर्मी अब वर्क टू रूल के तहत काम करते रहेंगे.

ऐसे में अगर प्रदेश में शाम पांच बजे के बाद बिजली बंद होती है तो लोगों को अगले दिन सुबह 10 बजे तक बिजली ठीक होने का इंतजार करना पड़ेगा. यानी वर्क टू रूल के नियमों के मुताबिक बिजली बोर्ड के कर्मचारी इमरजेंसी में शाम 5 बजे के बाद से अगली सुबह 10 बजे तक अपनी सेवाएं नहीं देंगे.

मास कैजुअल लीव पर जाने का फैसला टाला

हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड में कर्मचारी संघ ने युक्तिकरण को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. इसमें बोर्ड की ओर से कर्मचारियों का युक्तिकरण, छंटनी और पदों में कटौती के फैसले को गलत बताया गया है. जिस पर अदालत ने बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक को 15 मार्च से पहले कर्मचारी संघ की ओर से 17 फरवरी 2024 और 28 जनवरी 2025 को रखे गए पक्ष पर फैसला लेने के आदेश जारी किए हैं.

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर वह फैसला नहीं ले सकते, तो इस मामले को प्रदेश सरकार को भेजा जाए. अदालत ने साथ ही कहा कि राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड कर्मचारी संघ को अपनी बात रखने को पूरा मौका देगा. मामले में अगली सुनवाई 31 मार्च को होगी. ऐसे में अदालत के इन आदेशों के बाद ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने 24 फरवरी को मास कैजुअल लीव पर जाने के फैसले को टाल दिया है.

वर्क-टू-रूल क्या है?

वर्क-टू-रूल एक ऑन-द-जॉब एक्शन है, यह एक प्रकार का विरोध है जिसमें कर्मचारी लिखित नियमों, प्रक्रियाओं और अनुबंध में बताए गए नियमों के तहत काम करते हैं. वर्क-टू-रूल का मतलब उस काम को करने से इनकार करना नहीं है जिसे करने के लिए कर्मचारी अपने अनुबंध में सहमत हुए थे लेकिन कर्मचारी सिर्फ उन्हीं कार्यों को करते हैं जो उनके अनुबंध में लिखे होते हैं. इसके अलावा वे कोई अतिरिक्त या अनौपचारिक काम नहीं करते (जैसे ओवरटाइम, अतिरिक्त जिम्मेदारियां, या जल्दी काम खत्म करना आदि) ऐसे में कर्मचारी नियमों के मुताबिक ही 10 से 5 बजे तक अपनी सेवाएं देते हैं. वहीं, सरकार पर दबाव बनाने के लिए कर्मचारी वर्क टू रूल के दौरान इमरजेंसी में अपनी अतिरिक्त सेवाएं नहीं देते हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कम हुए राशनकार्ड, जानें क्या है वजह?

शिमला: हिमाचल में सरकार और बिजली बोर्ड कर्मचारियों के बीच अभी गतिरोध जारी है. बिजली बोर्ड कर्मचारी युक्तिकरण और अन्य मांगों को पूरा किए जाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं जिसके लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री के गृह जिला हमीरपुर और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के गृह जिला में बिजली बोर्ड कर्मचारियों और इंजीनियरों की पंचायत भी हो चुकी है. इस पंचायत में ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने सरकार के खिलाफ अपना गुबार निकाला है लेकिन इसके बाद भी सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन की तरफ से कर्मचारियों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है. नाराज बिजली बोर्ड के कर्मी अब वर्क टू रूल के तहत काम करते रहेंगे.

ऐसे में अगर प्रदेश में शाम पांच बजे के बाद बिजली बंद होती है तो लोगों को अगले दिन सुबह 10 बजे तक बिजली ठीक होने का इंतजार करना पड़ेगा. यानी वर्क टू रूल के नियमों के मुताबिक बिजली बोर्ड के कर्मचारी इमरजेंसी में शाम 5 बजे के बाद से अगली सुबह 10 बजे तक अपनी सेवाएं नहीं देंगे.

मास कैजुअल लीव पर जाने का फैसला टाला

हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड में कर्मचारी संघ ने युक्तिकरण को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. इसमें बोर्ड की ओर से कर्मचारियों का युक्तिकरण, छंटनी और पदों में कटौती के फैसले को गलत बताया गया है. जिस पर अदालत ने बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक को 15 मार्च से पहले कर्मचारी संघ की ओर से 17 फरवरी 2024 और 28 जनवरी 2025 को रखे गए पक्ष पर फैसला लेने के आदेश जारी किए हैं.

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर वह फैसला नहीं ले सकते, तो इस मामले को प्रदेश सरकार को भेजा जाए. अदालत ने साथ ही कहा कि राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड कर्मचारी संघ को अपनी बात रखने को पूरा मौका देगा. मामले में अगली सुनवाई 31 मार्च को होगी. ऐसे में अदालत के इन आदेशों के बाद ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने 24 फरवरी को मास कैजुअल लीव पर जाने के फैसले को टाल दिया है.

वर्क-टू-रूल क्या है?

वर्क-टू-रूल एक ऑन-द-जॉब एक्शन है, यह एक प्रकार का विरोध है जिसमें कर्मचारी लिखित नियमों, प्रक्रियाओं और अनुबंध में बताए गए नियमों के तहत काम करते हैं. वर्क-टू-रूल का मतलब उस काम को करने से इनकार करना नहीं है जिसे करने के लिए कर्मचारी अपने अनुबंध में सहमत हुए थे लेकिन कर्मचारी सिर्फ उन्हीं कार्यों को करते हैं जो उनके अनुबंध में लिखे होते हैं. इसके अलावा वे कोई अतिरिक्त या अनौपचारिक काम नहीं करते (जैसे ओवरटाइम, अतिरिक्त जिम्मेदारियां, या जल्दी काम खत्म करना आदि) ऐसे में कर्मचारी नियमों के मुताबिक ही 10 से 5 बजे तक अपनी सेवाएं देते हैं. वहीं, सरकार पर दबाव बनाने के लिए कर्मचारी वर्क टू रूल के दौरान इमरजेंसी में अपनी अतिरिक्त सेवाएं नहीं देते हैं.

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