रांची: वर्तमान समय में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन से पूरी दुनिया चिंतित है. ऐसे में 2070 तक कार्बन उत्सर्जन जीरो कर पर्यावरण को बचाने में जुटे दुनियाभर के देशों में भारत ने अग्रणी भूमिका निभाने के लिए कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है. इसके तहत झारखंड में देश का पहला सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन फॉर फ्यूचर रेडी विषय पर दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस बुधवार से शुरू हो गया है. जिसमें भविष्य का रोडमैप तैयार किया जा रहा है. रांची के रेडिशन ब्लू होटल में चल रहे इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के पहले दिन झारखंड के मुख्य सचिव एल खियांग्ते और टास्क फोर्स झारखंड के चैयरमैन एके रस्तोगी ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत करते हुए कॉन्फ्रेंस के उद्देश्य पर प्रकाश डाला. उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न विषयों पर कई सत्रों में देश-दुनिया से आए विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी.
भारत सहित 30 देशों के प्रतिनिधि कॉन्फ्रेंस में हुए शामिल
कॉन्फ्रेंस के पहले दिन झारखंड के मुख्य सचिव के अलावे उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर के पदाधिकारी शामिल हुए. कॉन्फ्रेंस में अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, जर्मनी समेत विश्व के 30 देशों की प्रसिद्ध संस्थाओं के विशेषज्ञ कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए और अपनी-अपनी राय रखी.
जलवायु अनुकूल अर्थव्यवस्था के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्धः मुख्य सचिव
इस मौके पर मुख्य सचिव एल खियांग्ते ने कहा कि राज्य सरकार प्रतिबद्ध है कि सस्टेनेबल ट्रांजिशन की इस प्रक्रिया में कोई भी पीछे नहीं छूटे. इसलिए इसे समावेशी और सहभागी बनाया गया है. इसके तहत राज्य में बेहतर नीति निर्धारण को दिशा देने के लिए दुनिया के बेस्ट प्रैक्टिसेज पर चर्चा के लिए आज का दिन विशेष हमारे लिए है. इससे कार्बन न्यूट्रल और जलवायु अनुकूल अर्थव्यवस्था की दिशा में बेहतर परिणाम सामने आएंगे.
जस्ट ट्रांजिशन के संदर्भ में झारखंड बना अग्रणी राज्य
जस्ट ट्रांजिशन के संदर्भ में कॉन्फ्रेंस में आए देश-दुनिया के विशेषज्ञों और पदाधिकारियों ने कहा कि झारखंड इस मामले में अग्रणी राज्य बन गया है. उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने कहा कि जस्ट ट्रांजिशन के संदर्भ में दूरगामी कदम उठाने के लिहाज से झारखंड एक अग्रणी राज्य बन गया है. झारखंड के परिवेश के लिए अनुकूल कम कार्बन से जुड़े नवाचारों और प्रभावी रणनीतियों को अपनाना चाहिए.
स्वच्छ ऊर्जा आधारित बुनियादी ढांचा बनाने पर जोर