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दिनों-दिन सिमट रहा डीडवाना का पशु मेला, छोटे बछड़ों के परिवहन पर रोक बनी बाधक - Cattle Fair

Didwana Cattle Fair : डीडवाना पशु मेले पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. छोटे बछड़ों के परिवहन पर रोक लगने के बाद मेले में पशुपालकों को मवेशी बेचने और खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

डीडवाना का पशु मेला
डीडवाना का पशु मेला (ETV Bharat Didwana)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 2, 2024, 7:13 AM IST

कुचामनसिटी :देशभर में नागौरी नस्ल के बैलों के लिए मशहूर डीडवाना के पशु मेले पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. पिछले कुछ सालों से इस मेले में पशुओं की आवक लगातार कम हो रही है. दरअसल, अपनी मजबूत कद-काठी और बेहिसाब ताकत के कारण नागौरी नस्ल के बछड़े देशभर में कृषि कार्य के लिए उत्तम माने जाते हैं. दलदली जमीन पर फसलों के बीच हल चलाने में यह बैल लाभकारी होते हैं. इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में नस्ल सुधार के लिए भी इनकी खरीद की जाती है. ऐसे में इस मेले में नागौर जिले के पशुपालक नागौरी नस्ल के बैलों के साथ-साथ अन्य मवेशी बेचने के लिए आते हैं.

नागौरी बैलों को खरीदने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से खरीददार आते हैं. वहीं, 1996 में सरकार ने नागौरी नस्ल के बछड़ों को राज्य से बाहर ले जाने पर रोक लगा दी थी, जिसके कारण इन मेलों में नागौरी बछड़ों की खरीद में भारी कमी आई. अब हालात यह हैं कि पशुपालक चाहकर भी नागौरी नस्ल के बैलों को खरीद नहीं पाते.

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मेले में घटी पशुओं की संख्या :मेला आयोजक गणेश राम विकास अधिकारी पंचायत समिति डीडवाना ने बताया कि पशु मेले की शुरुआती आंकड़ों पर नजर डालें तो 2009 में 46 हजार 22 पशु डीडवाना में बेचने ओर खरीदने के लिए आए थे. सर्वाधिक पशु 2011 में मेले में कुल पशु 9 हजार 102 आए थे. वर्ष 2018 के बाद पशुओं की संख्या में गिरावट आने लगी और मेले का स्वरूप कम होता जा रहा है.

पंचायत समिति डीडवाना की प्रधान सुवटी देवी ने बताया कि बछड़ों के परिवहन पर हाईकोर्ट के आदेश से लगी रोक के कई साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं. पहला सबसे बड़ा साइड इफेक्ट तो पशु मेलों में गोवंश की आवक और बिक्री कम होना है. दूसरा, साइड इफेक्ट लावारिस गोवंश के रूप में सामने आ रहा है. बछड़ों की बिक्री नहीं होने से पशुपालक गोवंश को लावारिस छोड़ देते हैं, जिससे लावारिस गोवंश की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है. इसके कारण किसानों की फसलें चौपट हो रही हैं और पशु मेले की रौनक भी खत्म होती जा रही है.

केंद्र से करेंगे चर्चा : नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार से बात की जाएगी. तीन साल तक के बछड़ों के परिवहन पर लगी रोक हटाने के लिए विधायक रहते हुए विधानसभा में मुद्दा उठाया था. तब सरकार ने मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया था, लेकिन परिणाम नहीं मिला. अब इस मुद्दे को लेकर केन्द्र सरकार से बात करेंगे.

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