इंदौर।नगर निगम में हुए घोटाले की परतें रोजाना खुलती जा रही हैं. मामला उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जांच समिति गठित करके रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. सीएम का आदेश मिलते ही समिति ने कार्रवाई की शुरुआत कर दी है. गौरतलब है कि बीते दिनों नगर निगम इंदौर में जल संसाधन तथा ड्रेनेज विभाग के 20 फर्जी बिल पकड़े गए थे. मैसर्स जहान्वी इंटरप्राइजेस, मैसर्स क्षितिज इंटरप्राइजेस, मैसर्स किंग कंस्ट्रक्शन, मैसर्स नीव कंस्ट्रक्शन और मैसर्स ग्रीन कंस्ट्रक्शन के 20 बिल बिना किसी निविदा, अनुबंध और बिना कार्य के वित्त शाखा में प्रस्तुत किये गये थे.
मामला खुलने पर 5 फर्मों को ब्लैकलिस्ट किया
फर्जी बिलों के आधार पर इन फर्मों को इंदौर नगर निगम द्वारा भुगतान किया गया. यह मामला आयुक्त नगर निगम के संज्ञान में आने पर 5 फर्मों को ब्लैकलिस्ट कर भुगतान पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके बाद से जारी जांच में यह घोटाला करीब 100 करोड़ से भी ज्यादा पहुंच चुका है. जांच में पता चला है कि इन 5 फर्मों द्वारा बीते 10 सालों में प्रस्तुत किए गए 188 भुगतान प्रकरण एक जैसे हैं. जिनमें बिना काम और बिना टेंडर के ही फर्जी भुगतान के प्रयास किए गए हैं.
फर्मों के मालिक हिरासत में, पूछताछ जारी
जांच समिति की शुरुआती पड़ताल में दोषी पाये गये 2 कर्मचारी भूपेन्द्र पुरोहित और सुनील भंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए. नगर निगम द्वारा इस मामले में कराई गई एफआईआर के बाद पुलिस ने जाह्नवी इंटरप्राइजेस के राहुल बडेरा, मैसर्स क्षितिज इंटरप्राइज की रेणु बडेरा, मैसर्स किंग कंस्ट्रक्शन के मो.जाकिर और मैसर्स न्यू कंस्ट्रक्शन के मो. साजिद, लेखा विभाग नगर निगम के पूर्व विनियमित क्लर्क राजकुमार साल्वी, उपयंत्री उदय भदौरिया और कम्प्यूटर ऑपरेटर चेतन भदौरिया को हिरासत में लिया है.