इंदौर। मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर में सड़कों पर यातायात के लिए चुनौती बन रहे ई-रिक्शा की संख्या पर नियंत्रण की तैयारी हो गई है. दरअसल शहर की सड़कों पर बेतरतीब तरीके से चलने वाले रिक्शा चालकों ने जिला प्रशासन, नगर निगम और ट्रैफिक समिति के सुझाव पर निश्चित रूट पर चलने से इनकार कर दिया. तो शहर में ई-रिक्शा की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अब बिक्री पर ही रोक लगाने का फैसला किया गया है. यह पहला मौका है जब किसी शहर में वाहनों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए उनकी बिक्री और रजिस्ट्रेशन रोकने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा जाएगा.
यात्रियों की जान खतरे में डाल रहे ई-रिक्शा चालक
दरअसल, इंदौर शहर में फिलहाल ई रिक्शा की संख्या 6000 से पर हो चुकी है. इन वाहनों को लेकर कोई भी स्टॉपेज अथवा गाइडलाइन नहीं होने के कारण कोई भी रिक्शा चालक किसी भी सड़क मार्ग पर आजीविका के लिए इसका संचालन कर रहे हैं. सड़कों पर चलने के दौरान ई-रिक्शा चालकों द्वारा लगातार यातायात नियमों को उल्लंघन के साथ मुख्य मार्ग में तेज गति अथवा असुरक्षित परिवहन के कारण इनमें सवारी करने वाले यात्रियों की जान खतरे में डालते नजर आते हैं. इसके अलावा शहर के व्यस्ततम इलाकों में सवारियों को बिठाने के लिए एक ही जगह एकत्रित होने के कारण अन्य वाहनों के साथ उनकी दुर्घटना का अंदेशा भी रहता है.
रिक्शा चालक संघ का विरोध प्रदर्शन
यही वजह थी कि इंदौर नगर निगम और जिला प्रशासन ने शहर की सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में सभी पक्षों से चर्चा के बाद ई रिक्शा चलाने के लिए शहर के 23 रूट निर्धारित किए थे. लेकिन इन रूटों पर ई रिक्शा चालकों की अपेक्षा के मुताबिक सवारियां नहीं मिलने और कमाई नहीं होने की आशंका के मद्दे नजर सुरक्षा समिति के फैसले का विरोध करते हुए असहमति जताई थी. रिक्शा चालक संघ ने जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के इस प्रस्ताव के खिलाफ इंदौर कलेक्ट्रेट पर रिक्शा चालकों ने विरोध प्रदर्शन किया था.