देहरादूनःदुनिया भर में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर कई देश गंभीर हैं. कई शोध भी इसके लिए किए जा रहे है. इस दिशा में देश की सबसे बड़ी अंतरिक्ष संस्था भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भी शोध की तरफ बढ़ रहा है. शनिवार को देहरादून में एक कार्यक्रम में पहुंचे केंद्र सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव व इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने प्रदूषण पर छात्रों की संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण बातें बताई. डॉ सोमनाथ ने कम्बश्चन (दहन) की प्रक्रिया से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर शोध करने का आह्वान किया है.
किए ये बदलाव:डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि कम्बश्चन की प्रक्रिया भी ईंधन जलने की प्रक्रिया की तरह होती है. लेकिन कम्बश्चन में ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन होता है और अधिक मात्रा में एनर्जी रिलीज होती है. इससे यहां भी और अंतरिक्ष में भी प्रदूषण होता है. रॉकेट में 80 प्रतिशत ईंधन होता है और केवल 10 से 20 प्रतिशत स्थान पर इंजन होता है. इसमें इस्तेमाल किए जाने वाला ईंधन एल्यूमीनियम पाउडर से ऑक्साइड के रूप में होता है. ऐसे ही बहुत सारे खतरनाक पदार्थ जिन्हें ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, उनमें हाइड्रो क्लोराइड भी शामिल है. यह बहुत ज्यादा प्रदूषण करता है. रॉकेट इंजन के डिजाइन में ऑटोमाइजेशन होना चाहिए.
इसरो अध्यक्ष डॉ. सोमनाथ ने कहा कि पहले रॉकेट के वापस आने के बाद उसके इंजन दोबारा इस्तेमाल नहीं हो पाते थे. लेकिन अब इंजीनियरिंग ने इसे संभव बना दिया है. अब रॉकेट के इंजन दोबारा उपयोग किए जाने लगे हैं और इनकी डिटेलिंग में भी सकारात्मक बदलाव आए हैं.
शोध की है आवश्यकता:डॉ. सोमनाथ ने कहा कि एनर्जी और कम्बश्चन आज शोध के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं. इनकी क्षमता बढ़ाने के साथ ही प्रदूषण कम करना शोध के विषय हैं. हमारे पास उपलब्ध ग्रीन फ्यूल- हाइड्रोजन, मेथेनॉल, अमोनिया आदि का बेहतर उपयोग और इनसे जुड़ी चुनौतियों पर भी कार्य किया जाना है. कोयला, लकड़ियां आदि ऊर्जा के अच्छे स्रोत हैं, लेकिन इनसे कॉर्बन का उत्सर्जन अधिक होता है. इनको गैस के रूप में बदलकर इनका कैसे उपयोग किया जाए कि प्रदूषण न हो, यह भी रिसर्च का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है. कम्बश्चन में जीरो उत्सर्जन पर जाने का उद्देश्य लेकर कार्य किए जा रहे हैं.
पूरी दुनिया विपदा से परेशान: डॉ. सोमनाथ ने कहा कि उत्तराखंड ही नहीं पूरी दुनिया में ऐसी आपदाएं इसी कारण आ रही हैं. कार्बन डाई ऑक्साइड और ग्रीन हाउस गैसों की वजह से ये सब हो रहा है. इसके लिए हम जिम्मेदार हैं. डॉ. सोमनाथ ने कहा कि हमने विज्ञान और तकनीकों को विकसित कर लिया है. इनसे होने वाले प्रदूषण के लिए हम जिम्मेदार हैं. रॉकेट, एयरक्राफ्ट आदि में इस्तेमाल होने वाले आईसी इंजन की कम्बश्चन की प्रक्रिया को कंट्रोल करने पर हमें ध्यान देना चाहिए. मोबिलिटी, इंडस्ट्री, थर्मल पावर प्लांट, केमिकल प्रोसेस और कम्बश्चन प्रोसेस से कैसे कम से कम प्रदूषण हो, इसके लिए सॉल्यूशन कम है. इन क्षेत्रों में रिसर्च की बहुत आवश्यकता है.