ललित उपाध्याय के गोल करने पर बनारस में पूरा परिवार खुशी से झूम उठा. (Video Credit; ETV Bharat) वाराणसी : पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को शूटआउट में हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया है. भारत ने रोमांचक शूटआउट में ग्रेट ब्रिटेन को 4-2 से हराया है. इसमें यूपी के दो लड़कों ने बेहतरीन निर्णायक गोल दागे हैं. वाराणसी के ललित कुमार उपाध्याय तीसरा और इसके बाद गाजीपुर के राजकुमार पाल ने चौथा गोल दागकर भारत की जीत सुनिश्चित कर दी. इसी के साथ दोनों खिलाड़ियों के घर-परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई.
मैच के तय समय तक मुकाबला बराबरी का था. उसके बाद क्वार्टर फाइनल का फैसला पेनाल्टी शूट से हुआ. जिसमें ललित और राजकुमार पाल निर्णायक गोल दागकर जीत जीत की पटकथा लिख दी. इसी के साथ पेरिस से लेकर भारत का जश्न शुरू हो गया.
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ललित के पिता बोले- फाइनल भी जीतेंगे :शूटआउट मेंललित के गोल मारने के साथ ही परिवार के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उनके पिता सतीश उपाध्याय काफी प्रसन्न हैं. उनका कहना है कि हम शुरू से इस मैच को देख रहे थे. बीच में थोड़े देर के लिए उम्मीद छूट गई थी, लेकिन फिर हमारे देश के खिलाड़ियों ने मैच ही पलट दिया. हम सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं. यह हमारे लिए बहुत खुशी का मौका हैं. अब हम फाइनल में जीत देख रहे हैं. हमें उम्मीद है कि हम सेमिफाइनल के बाद फाइनल मैच भी जीतेंगे.
मां और बहन ने कहा- पूरी टीम अच्छा खेली :वहीं ललित की माता और बहन ने भारतीय हॉकी टीम को अपनी शुभकामनाएं दी हैं. मां ने कहा कि शूटआउट में टीम अच्छा खेली. मैच को टीवी पर देख रहे ललित के माता- पिता रीता उपाध्याय व सतीश उपाध्याय भावुक हो गए. वहीं घर में मौजूद दूसरे लोगों के साथ वह भी भारत माता की जय के नारे लगाने लगे. ललित की मां रीता उपाध्याय ने कहा कि आज के मैच को लेकर बहुत खुशी है. जब से हम लोग मैच देखने बैठे थे तब से भगवान से यही प्रार्थना रही कि हमारी टीम जीत जाए. जब दोनों टीमों के गोल बराबरी पर पहुंचे तो यही लग रहा था कि एक गोल ये लोग और मार देते तो, लेकिन पेनाल्टी शूटआउट में हम जीत गए. जब से मैच शुरू हुआ था तब से विश्वनाथ जी का नाम जप रहे थे कि टीम इंडिया जीत जाए. अब फाइनल में भी ये लोग पहुंचे और मेडल लेकर आएं.
दिल थामने वाला था मैच :वहीं ललित की बहन अंजली उपाध्याय ने कहा कि आज का मैच दिल थामने वाला मैच था. पेनल्टी शूटआउट में हम जीते, बहुत खुशी है. अब सेमीफाइनल जीत कर हम फाइनल के लिए जाए और गोल्ड मेडल जीत कर लाएं.
ओलंपिक में दूसरी बार हुआ है ललित का चयन : वाराणसी के शिवपुर इलाके के रहने वाले ललित उपाध्याय बनारस का नाम लंबे वक्त से हॉकी में रोशन कर रहे हैं. ओलंपिक में दूसरी बार खेलने के लिए चयनित हुए हैं. वाराणसी में रहकर 2 सालों तक अपने खेल को निखारने के बाद ललित ने प्रशिक्षण लिया और अंतर महाविद्यालयी हॉकी प्रतियोगिता में करमपुर टीम की तरफ से खेलने के बाद देश की टीम में जगह बनाई. ललित ने 2020 में टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था. उस समय टीम ने पदक भी जीता था. ललित फिलहाल पुलिस विभाग में डीएसपी के पद पर तैनात हैं.
वाराणसी से चौथे खिलाड़ी :वाराणसी से ललित चौथे ऐसे हॉकी खिलाड़ी हैं, जो ओलंपिक खेलने जा रहे हैं. इसके पहले वाराणसी से पद्मश्री मोहम्मद शाहिद और विवेक सिंह समेत विवेक के भाई राहुल सिंह ओलंपिक खेल चुके हैं. ललित टीम में सेंटर फारवर्ड पोजीशन में खेलते हैं. अब तक 100 से अधिक गोल कर चुके ललित से सेमीफाइनल में भी काफी उम्मीदें हैं.
ललित ने खेले हैं 162 इंटरनेशनलमैच :ललित उपाध्याय ने बनारस के यूपी कॉलेज से अपने हॉकी करियर की शुरुआत kr. ललित ने अपने 10 साल के करियर में 162 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. जिसमें सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी के तौर पर 44 मैच में गोल किया है. पिछले ओलंपिक में भी ललित में बेहतरीन प्रदर्शन किया था. अभी वो पेरिस ओलंपिक में खेल रहे हैं. जहां उन्होंने क्वार्टर फाइनल में देश के गोल दागकर जीत की राह दिखाई है. उनकी इस जीत से बनारस में भी खुशी देखी जा रही है.
गाजीपुर में राजकुमार के घर जश्न का माहौल :पेरिस ओलंपिक में देश के लिए चौथा गोल दागकर मैच जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले राजकुमार पाल के गृहनगर गाजीपुर में जश्न का माहौल है. खानपुर थाना क्षेत्र का करमपुर गांव में उनके परिवार और स्थानीय लोगों में काफी खुशी देखी जा रही है. भारतीय टीम में शामिल राजकुमार पाल की छोटे से गांव से निकल कर ओलंपिक तक सफर तय करने में बहुत संघर्ष किया है. ड्राइवर पिता की मौत के बाद मां ने मेहनत मजदूरी कर बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाया है.
2011 में उठ गया था पिता का साया :राजकुमार पाल की मां मनराजी पाल ने बताया कि पेशे से ड्राइवर उनके पति का देहांत 2011 में हो गया था. इसके बाद तीन लड़कों के साथ पूरे परिवार का बोझ उनके ऊपर पड़ गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने बताया कि बड़े भाइंयों के साथ राजकुमार पाल ने अपने कैरियर की शुरुआत करमपुर गांव स्थित मेघबरन स्टेडियम से शुरू की थी.
राजकुमार ने ऐसे चढ़ीं कामयाबी की सीढ़ियां :मां मनराजी देवी राजकुमार के संघर्ष के दिनों के बारे में बताती हैं. कहती हैं, जब राजकुमार छोटा था तो भाइयों के साथ स्टेडियम जाने के लिए रोता था. वह बांस के डंडे से खेलता था. 2008 में जब राजकुमार 8 से 9 वर्ष का था तो इसकी लगन को देखते हुए स्टेडियम के कर्ताधर्ता स्वर्गीय तेजू सिंह ने एक साल के लिए पंजाब एकेडमी में भेजा था. उसके बाद लौटने के बाद राकुमार पाल ने हाकी में खूब मेहनत की और ओलंपिक खेलने गए हैं. पेरिस में उसके प्रदर्शन ने सबका दिल जीत लिया है. पिछले 4 सालों से राजकुमार नेशनल टीम के हिस्सा रहे हैं. उनकी लगातार बेहतर परफॉर्मेंस को देखते हुए पेरिस ओलिंपिक की हॉकी टीम में शामिल किया गया है.