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आठ रुपए की थाली क्या है पूरी पोषण वाली , महंगाई के दौर में पुराने ढर्रे पर मिड डे मील - mid day meal

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 10, 2024, 12:42 PM IST

Incomplete nutrition due to mid day meal बढ़ती महंगाई के इस दौर में शादी पार्टियों में जहां प्रति प्लेट खाना 1 हजार रुपए तक जा पहुंचा है.वहीं सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की थाली की कीमत 5 रुपए से बढ़कर 8 रुपए तक ही पहुंच सकी है. सरकार ने प्रति कैलोरी के हिसाब से मौसमी फल, पंचरत्न दाल और खीर देने का मीनू तो जारी किया है. लेकिन इसका इंतजाम कैसे होगा इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. इस व्यावहारिक दिक्कत पर किसी की नजर नहीं गई है. thali rate did not increase

Incomplete nutrition due to mid day meal
आठ रुपए की थाली कैसे करेगी पूरा पोषण (ETV Bharat Chhattisgarh)

कोरबा :छत्तीसगढ़ में एक दशक से भी अधिक समय बीत चुका है,लेकिन मध्यान्ह भोजन के लिए तय राशि में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. दाल की कीमत दोहरा शतक लगाने वाली हैं.लेकिन सरकारी चश्में में मध्यान्ह भोजन का कुकिंग कॉस्ट कम है. इसे पकाने वाली समूहों की माने तो एमडीएम के इस दर पर अब सरकारी स्कूल में आने वाले जरूरतमंद बच्चों को पोषण अव्यवहारिक हो चुका है.

आठ रुपए की थाली कैसे करेगी पूरा पोषण (ETV Bharat Chhattisgarh)



मिड डे मील का ये है सरकारी मीनू :सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूल में मध्याह्न भोजन का मीनू तय होता है. सोमवार से शनिवार तक प्रत्येक दिन के अनुसार इसका पालन करने का नियम है. जिसमें प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए चावल और दाल के साथ ही उपलब्धता के आधार पर मौसमी फल, गुड़ और चना देने का प्रावधान है. इसमें 450 ग्राम कैलोरी, 12 ग्राम प्रोटीन होना चाहिए. इसी तरह मिडिल स्कूल के लिए भोजन में 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन होना चाहिए.


बच्चों के लिए खाने का मीनू :प्राथमिक और मिडिल दोनों ही स्तर के बच्चों के लिए चावल, सांभर, मुनगा, पंचरत्न दाल, हरी सब्जी, सोयाबीन बड़ी, वेज पुलाव, टमाटर की फ्राइड चटनी, दूध के साथ खीर और अंकुरित चना के अलावा उपलब्धता के आधार पर मौसमी फल भी दिए जाने का प्रावधान है. लेकिन कम पैसों और व्यावहारिक दिक्कतों के कारण ज्यादातर स्कूल इस मीनू का पालन चाहकर भी नहीं कर पाते.

मध्यान्ह भोजन के लिए कितने पैसों की जरुरत :जिस तरह का मीनू सरकार ने तैयार किया है. उसके लिए प्रति थाली का हिसाब कुछ ज्यादा ही निकलेगा. मध्याह्न भोजन का संचालन करने के लिए स्कूल में दर्ज संख्या के आधार पर समूह को पैसे दिए जाते हैं. प्राइमरी केलिए 5 रुपए 69 पैसा तो मिडिल स्कूल में 8 रुपए 17 पैसे प्रति छात्र के दर से पैसे मिलते हैं. प्रत्येक दिन प्रति छात्र इतनी राशि तय की गई है. इसके अनुसार स्वयं सहायता समूह को राशि दी जाती है. जिसमें उन्हें मध्याह्न भोजन का संचालन करना होता है. समूह को दो रसोईये भी दिए जाते हैं. इसका मानदेय स्कूल शिक्षा विभाग वहन करता है.

क्यों शुरु हुई थी योजना :देश के आजाद होने के बाद शिक्षा को अंतिम छोर तक पहुंचाना बड़ी चुनौती थी. स्कूलों में बच्चों के उपस्थिति कम थी. बच्चों को शिक्षा से जोड़ने और उनकी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की सरकार ने यह महत्वपूर्ण योजना देश भर में लॉन्च की थी. जिसका मकसद था स्कूलों में एक समय का भोजन देकर बच्चों की उपस्थिति बढ़ाना. ताकि अभिभावक कम से कम इसलिए भी बच्चों को स्कूल भेजें कि उन्हें पोषणयुक्त भोजन मिल सके.



कम पैसों में पूरा पोषण मुश्किल :जिले के प्राथमिक शाला बेलगिरी बस्ती में मध्याह्न भोजन का काम करने वाली महिला स्व सहायता समूह की सदस्य ऊषा प्रजापति व्यवस्था से बेहद नाराज है. ऊषा का कहना है कि भोजन पकाने के एवज में उन्हें आज भी प्राथमिक शाला के बच्चों के लिए प्रति छात्र 5 तो मिडिल स्कूल के छात्रों के लिए प्रति छात्र 8 रुपए का भुगतान किया जाता है. महंगाई के दौर में दाल, सब्जी सबकी कीमत बढ़ी हुई है.

''कम कीमत में हमें मीनू का पालन भी करना पड़ता है और अपने लिए भी कुछ बचाना पड़ता है. लेकिन यह राशि नाकाफी है. जैसे तैसे हम मध्यान्ह भोजन का संचालन करते हैं. रसोइया को मिलने वाला मानदेय भी पहले 1200 था. फिर 15, 18 और अब 2000 हुआ है. प्रति छात्र का भुगतान हो या हमें मिलने वाला मानदेय कभी भी यह समय पर नहीं मिलता.''- ऊषा प्रजापति, सदस्य,महिला स्व सहायता समूह


ऊषा की माने तो 2-3 महीने बाद हमें राशि दी जाती है. किसी तरह हम उधार में खाद्य सामग्रियां लाकर बच्चों को मध्याह्न भोजन खिलाते हैं. जिससे हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हम चाहते हैं कि मध्याह्न भोजन के राशि को बढ़ाया जाए. ताकि बच्चों को मीनू के अनुसार अच्छा पोषणयुक्त भोजन मिल सके.


समूह की महिलाएं लगातार करती हैं शिकायत :मिडिल स्कूल में पदस्थ प्रधान पाठक तरुण राठौर का कहना है कि मध्याह्न भोजन की राशि इस महंगाई में भी काफी कम है. जिसके कारण महिला समूह लगातार हमसे शिकायत करती है.

''स्कूलों में इस योजना को ठीक तरह से क्रियान्वयन करवाने के जिम्मेदारी प्रधान पाठकों को दी गई है. अक्सर हमसे समूह की महिलाएं कहती हैं कि पैसे बहुत कम है. पूरे नहीं पड़ते, इतने में बच्चों को अच्छा खाना खिलाना बेहद मुश्किल हो जाता है.''- तरुण राठौर,प्रधान पाठक

आपको बता दें कि शासन ने बच्चों को पोषण देने के लिए मीनू का निर्धारण किया है. लेकिन इस राशि में जितना हो सके उतना समूह की महिलाएं अच्छा भोजन खिलाने का प्रयास करती हैं. कई बार तो दुकान वाले उन्हें उधार देना भी बंद कर देते हैं. जिसके कारण बच्चों को समस्या होती है. ऐसे में शासन को चाहिए कि एक बार मध्यान्ह भोजन को लेकर फिर से रिव्यू करे ताकि नौनिहालों को कम से कम एक वक्त का पोषणयुक्त भोजन मिल सके.

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