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UP स्टेट पॉलिसी साइंस इंस्टीट्यूट के ऑडिटोरियम का उद्घाटन, CM बोले-इस जमीन पर भू माफिया ने कब्जा कर रखा था

संविधान दिवस के अवसर पर पॉलिसी साइंस इंस्टीट्यूट में आयोजित नेशनल कांफ्रेंस में आए एक्सपर्ट्स से मुख्यमंत्री ने किया संवाद

उत्तर प्रदेश स्टेट पॉलिसी साइंस इंस्टीट्यूट में सीएम योगी.
उत्तर प्रदेश स्टेट पॉलिसी साइंस इंस्टीट्यूट में सीएम योगी. (UP Government)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 26, 2024, 11:05 PM IST

लखनऊःआज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है. 26 नवंबर 1949 स्वतंत्र भारत के इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण तिथि है. 2 वर्ष 11 मा 18 दिन में जो भारत का संविधान बना था और जिसके लिए वास्तुकार के रूप में भारत माता के महान सपूत बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने मेहनत की थी. उनके द्वारा बनाए गए संविधान को 75 वर्ष पहले भारत ने आज के दिन अंगीकृत (अपनाया) किया था. ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस बंथरा में विज्ञान एवं साइबर सिक्योरिटी की भूमिका विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कांफ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर कही.

2015 से मनाया जा रहा संविधान दिवसःसीएम ने कहा कि 26 नवंबर 2015 से इस तिथि को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संविधान दिवस के रूप में आयोजित किया जा रहा है. संविधान की प्रस्तावना की शपथ के साथ हम लोग आज इसे मना रहे हैं. सीएम योगी ने कहा कि सुशासन की पहली शर्त होती है कि वहां पर कानून का राज हो. कानून के राज के लिए आवश्यक है कि संविधान की भावनाओं को देश के सभी संवैधानिक संस्थाएं कार्य करें. अपने लक्ष्मण रेखा को भी माने और और समयबद्ध तरीके से एक पीड़ित को न्याय मिल सके. इस दिशा में पहल करें और अपने स्तर पर ईमानदारी पूर्वक प्रयास करें.

यह आपराधिक संहिता नहीं, दंड संहिता नहीं, बल्कि 'न्याय संहिता':मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बार यह देखने को मिला है कि निर्दोष व्यक्ति सजा पा जाता है और दोषी व्यक्ति पूरी तरह से अपराध से मुक्त होकर समाज में स्थापित सत्ता को चुनौती देता है. समय के अनुरूप अपराध की प्रकृति भी बदली है. जब भारत के अंदर यह सभी कानून बने होंगे, उस समय की सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों कुछ और थीं. देश ने अपने आपराधिक कानून अपने सिविल कानून और अपने सभी प्रकार के जो भी कानून बने थे, वह समय के अनुरूप बन नहीं पाए. भारत के हर नागरिक को भारत के अंदर सरकार बनाने के लिए समान मताधिकार की शक्ति प्रदान की. बिना भेदभाव के न जाति का भेद, न क्षेत्र का भेद, ना भाषा का भेद, ना लिंग का भेद किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है.

भारत में नहीं होते लिंग और रंग भेदःयाद करिए दुनिया के अंदर आधुनिक लोकतंत्र का डंका और ढिंढोरा पीटने वाले तमाम देश हैं, उन देशों में मताधिकार की शक्ति में रंग भेद, लिंग भेद भी था. भारत के अंदर पहले दिन से 1952 में पहला आम चुनाव हुआ. भारत में जाति भेद, रंग भेद, क्षेत्र और भाषा के भेद, ना किसी भी प्रकार की महिला और पुरुष उसके भेद को माना बल्कि हर मतदाता को सरकार के गठन में योगदान देने का समान अवसर दिया. दुनिया के अंदर सबसे बड़े लोकतंत्र का गौरव भी भारत को प्राप्त है

तीन नए कानून लाएंगे सुधारःसीएम ने कहा कि हाल ही में तीन नए कानून लागू किए हैं. इन तीनों कानून को लागू के पीछे लागू करने का भाव क्या है, यह आपराधिक संहिता नहीं बल्कि न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा और साक्ष्य अधिनियम है. इसके तहत हम उसी प्रकार साक्ष्य जुटाएंगे और तब अपराधों को कटघरे में खड़ा करेंगे. हम किसी को भी अपराधी नहीं कहते कि हम इसके लिए व्यवस्था दी है. 7 वर्ष के ऊपर के किसी भी ऐसे भी अधिक मामले में फॉरेंसिक साक्ष्य आवश्यक है.

2017 से पहले अपराधी और माफिया चलाते थे सरकारः2017 के पहले उत्तर प्रदेश की स्थिति क्या थी यह किसी से छुपा हुआ नहीं है. उत्तर प्रदेश के नौजवानों के सामने पहचान का संकट था. कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त थी गुंडागर्दी चरम पर थी. एक शरीफ व्यक्ति सड़कों पर नहीं आ सकता था. घर के बाहर आने में डरता था. अपराधी और माफिया समानांतर सरकार संचालित कर रहे थे. उसका परिणाम था कि उत्तर प्रदेश के युवाओं और लोगों के सामने पहचान का संकट था. उत्तर समय उत्तर प्रदेश में सरकार का संचालन करने का दायित्व मेरे को दिया गया तो सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि प्रदेश को दंगा मुक्त गुंडा मुक्त कैसे बनाया जाए. क्योंकि तब सिविल पुलिस में आधे से ज्यादा पद खाली थे.

जहां चाह, वहां राहःपुलिस की भर्ती की प्रक्रिया को पारदर्शित तरीके से संपन्न कारना है, कैसे होगा, इस काम शुरू किया. हम लोग हमेशा इस बात को मानते हैं कि जहां चाह, वहां राह, अपने आप रास्ता बन गया. 154000 से पुलिस कार्मियों की पूरी पारदर्शित तरीके से की भर्ती. अभी हाल ही में 60200 पुलिस कार्मियों की नई भर्ती प्रक्रिया उत्तर प्रदेश में शुरू हुई है. यह प्रक्रिया कितनी पारदर्शित तरीके से हो रही है यह सभी के सामने है. मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश के अंदर फॉरेंसिक लैब की संख्या चार स्थान पर थी. आज उसे हमने बढ़कर हर जोन स्तर एक-एक लैब तैयार कर दिया है. अब उस रेंज स्तर पर ले जाने की तैयारी है. हमारे प्रदेश में 18 रेंज है. साइबर थानों की स्थापना केवल उत्तर प्रदेश में दो थी. एक गौतम बुद्ध जनपद में एक लखनऊ में. हमने पहले चरण में इसे 18 रेंज में शुरू किया. फिर 75 जनपदों में शुरू किया. अब प्रदेश के अंदर सभी 1775 थाने हैं. इनमें आज के दिन में एक-एक साइबर हेल्पलाइन स्थापित कर दिया है.


यूपी पुलिस की जमीन को माफिया नहीं कर रखा था कब्जाःसीएम ने कहा कि जब इस फॉरेंसिक इंस्टिट्यूट की स्थापना की प्रक्रिया शुरू की जा रही थी. यह लैंड कभी उत्तर प्रदेश पुलिस की थी. लेकिन माफिया ने इस लैंड को अपने नाम पर कर लिया था. मेरे पास उत्तर प्रदेश के तात्कालिक पुलिस महानिदेशक एक फाइल लेकर आए और कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की एक लैंड है और उसे पर एक भूफाफिया प्लाटिंग कर चुका है. मैं चकित रह गया था. तब मैंने उनसे कहा कि कितना लैंड है तो उन्होंने बात की 120 एकड़ पर कब्जा है. तब मैंने उनसे कहा कि इसकी पूरी फाइल तैयार करो और किसी को पता नहीं चलना चाहिए. जब फाइल तैयार हो जाए तब आप मुझे दीजिएगा और बाकी लैंड कैसे खाली होनी है, वह मैं देखूंगा.

रिटायरमेंट के 3 महीने बाद सौंपी थी फाइलःइसी दौरान वह पुलिस महानिदेशक रिटायर्ड हो गए लेकिन उन्होंने अपने वादे से मुकरने नहीं. रिटायरमेंट के 3 महीने के बाद एक दिन वह फाइल लेकर मेरे पास पहुंचे. कहा कि यह आपकी फाइल, जिसकी बारे में आपने कहा था. फिर हमने इस कार्रवाई को आगे बढ़ाई. सबसे पहले रेवेन्यू रिकॉर्ड में इसको गलत बताने वाले अधिकारियों से कार्रवाई शुरू की और फिर इस लैंड को वापस पुलिस के नाम पर करने में कामयाब हुआ. उस माफिया के खिलाफ एफआईआर की. जैसे ही उस माफिया के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो सरेंडर कर गया और उसने कहा कि आप यह लैंड ले लीजिए पर मेरे खिलाफ कोई कार्रवाई मत कीजिए.


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