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Year Ender 2024: भरतपुर में हुई ऐतिहासिक बारिश, 28 सालों का रिकॉर्ड टूटा, जल संकट से राहत - HISTORIC RAIN IN BHARATPUR

साल 2024 में भरतपुर पर मानसून मेहरबान रहा. कई सालों बाद भारी बारिश हुई, जिससे जिले के बांध, नदी और तालाब लबालब हो गए.

साल 2024 में भरतपुर में हुई भारी बारिश
साल 2024 में भरतपुर में हुई भारी बारिश (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 29, 2024, 6:32 AM IST

भरतपुर :जिले में इस साल मानसून ने खूब मेहरबानी दिखाई. जिले में इस बार औसतन 967 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो वर्ष 1996 के बाद सबसे अधिक है. इस भारी बारिश ने जहां जलाशयों को लबालब कर दिया, वहीं कई क्षेत्रों में बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया. हालांकि, इस बारिश ने जल संसाधनों को समृद्ध किया है, जिससे भविष्य में जल संकट में राहत मिलने की उम्मीद है.

साल 2024 में भरतपुर में हुई भारी बारिश (ETV Bharat bharatpur)

जल संसाधन विभाग के एक्सईएन बने सिंह ने बताया कि इस साल जिले में वर्ष 1996 के बाद सर्वाधिक बारिश हुई. भारी बारिश के कारण जिले के 31 में से 21 बांध पानी से लबालब हो गए, और कई बांधों के गेट खोलने पड़े. बने सिंह ने बताया कि करौली जिले के पांचना बांध के गेट इस बार एक महीने से अधिक समय तक खुले रहे. इससे गंभीरी नदी में बाढ़ जैसे हालात बने, जिसने भरतपुर जिले के बयाना, रूपवास, रुदावल और आसपास के क्षेत्रों में जनजीवन को प्रभावित किया.

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फसलों का नुकसान :भारी बारिश और बाढ़ के कारण खरीफ फसलों को बड़ा नुकसान हुआ. बयाना, रूपवास, रुदावल और भरतपुर क्षेत्रों में बाजरा, मूंग और ग्वार जैसी फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा. वहीं,इस बार की भारी बारिश और बाढ़ ने जिले के लगभग 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को भरपूर पानी दिया. बांधों के भरने और बाढ़ के चलते जिले के भूमिगत जलस्तर में सुधार की संभावना है. यह उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा, जहां पानी की कमी आम समस्या रही है.

बारिश से जिले के बांध हुए लबालब (ETV Bharat GFX)

पांचना बांध और हालिया बारिश के चलते जल स्तर में हुई वृद्धि से दीर्घकालिक लाभ होंगे. जलाशयों और नहरों में पानी के स्तर के बढ़ने से कृषि और सिंचाई में सुधार होगा, विशेष रूप से रबी फसलों जैसे गेहूं और सरसों की पैदावार में वृद्धि होगी. जलाशयों का पुनर्भरण भविष्य में जल संकट को कम करने में मददगार साबित होगा. इसके अतिरिक्त, यह बदलाव पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा, विशेष रूप से भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जैसे वन क्षेत्रों में. इससे पक्षियों और जलीय जीवों के लिए एक बेहतर और समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा, जो इन क्षेत्रों के जैवविविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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