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काशी राजपरिवार की जमीन पर अवैध कब्जा करना पड़ा महंगा, एफआईआर के आदेश - राजपरिवार की जमीन हड़पने की साजिश

वाराणसी (varanasi) के मांडवा डी इलाके के शिवदासपुर एरिया में राज परिवार की जमीन पर अवैध कब्जा करना दो लोगों को महंगा पड़ गया. मामले में कोर्ट के आदेश पर पुलिस अब मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 16, 2024, 12:51 PM IST

वाराणसी: वाराणसी के मांडवा डी थाना इलाके के शिवदासपुर एरिया में राजपरिवार की जमीन पर दो लोगों ने अवैध कब्जा जमा लिया. कोर्ट के आदेश पर पुलिस एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रही है. कोर्ट ने पूरे मामले की जांचकर कार्रवाई करने के आदेश गुरुवार को दिया है.

दो लोगों ने जमीन पर जमाया अवैध कब्जापुलिस ने बताया कि शिवदासपुर के रहने वाले श्याम नारायण सिंह ने काशी राजपरिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह से 2040 वर्ग फुट जमीन की 16 नवंबर 2022 को रजिस्ट्री कराई थी. उसमें तीन खंडहरनुमा कमरे भी थे. आरोप है कि श्याम नारायण सिंह बीते वर्ष 12 जून को उत्तराखंड दर्शन करने गए. तो वहीं के रहने वाले विशुन लाल सिंह और रेनू सिंह ने उस खंडहरनुमा मकान पर अवैध कब्जा कर उसको अपनी संपत्ति बताने लगे. श्याम नारायण सिंह ने जब इसकी शिकायत मंडुवाडीह थाने में की. जिसपर आरोपियों ने 1944 के एक निर्णय दिखाया. आरोपियों का कहना था कि महाराजा डॉ. विभूति नारायण सिंह बनाम भगेलू सिंह और वंशराज सिंह के बीच चले वाद का यह निर्णय है. श्याम नारायण सिंह ने निर्णय को फर्जी बताया और कहा कि उस समय महाराजा डॉ. विभूति नारायण सिंह अवयस्क थे. ऐसे में उनके खिलाफ कोई मुकदमा दाखिल नहीं हो सकता.

कोर्ट ने माना फर्जी दस्तावेज से धोखाधड़ी की गईराज परिवार की जमीन का मामला कोर्ट में पहुंचने पर उसकी जांच कराई गई. जांच रिपोर्ट आई कि उससे संबंधित कोई रिकॉर्ड ही नहीं है. रिपोर्ट के आधार पर श्याम नारायण सिंह ने कोर्ट से फर्जीवाड़ा कर संपत्ति हड़पने के लिए साजिश रचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई. आदालत ने सुनवाई के बाद मामले की फिर से जांचकर कार्रवाई करने के आदेश दिए.

1944 में अवयस्क थे महाराजा डॉ. विभूति नारायण सिंहइस प्रकरण में महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया कि, महाराजा डॉ. विभूति नारायण सिंह 1944 में अवयस्क थे, तब ब्रिटिश शासन ने बनारस स्टेट को संचालित करने के लिए 11 सदस्यों की सिन्हा कमेटी फरवरी 1939 में गठित की थी. इससे फर्जीवाड़े का खुलासा करने में पीड़ित पक्ष को मदद मिली. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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