रुद्रप्रयाग:मां के नौ रूपों की उपासना के दिन आज से शुरू हो गए हैं. इसी क्रम में सिद्धपीठ कालीमठ और कालीशिला में बड़ी संख्या में भक्त मां काली के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. माना जाता है कि जो भी भक्त मां काली के मंदिर में सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कालीशिला को 64 शक्तिपुंजों की शिला माना गया है. कालीशिला के शीर्ष भाग पर अनेक मंत्र लिखे गए हैं. अनेक तंत्र-मंत्रों से युक्त यह शिला सिद्धि प्राप्ति के लिए सिद्धस्थल मानी गई है. लोगों का मानना है कि आज भी उपासकों को यहां वनदेवियों, यक्ष, गंधर्व, नाग समेत अन्य देवी-देवताओं के दर्शन होते हैं. धैर्यवान भक्त ही इस शिला की परिक्रमा कर सकता है.
असुर शक्तियों से देवतागण थे प्रताड़ित:शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल में जब असुर शक्तियों से देवतागण प्रताड़ित होने लगे तो देवताओं ने भगवान शिव की तपस्या की. कई वर्ष बाद शिव प्रसन्न हुए, तब देवताओं ने राक्षसों के उत्पात से बचने का उपाय पूछा. भगवान शिव ने असमर्थता जाहिर करते हुए कहा कि मां काली की तपस्या करो, वो ही तुम्हें मुक्ति का उपाय बता सकती हैं. देवताओं ने मां काली की उपासना की. देवताओं की तपस्या से प्रसन्न होकर मां काली ने कालीमठ मंदिर से छह किमी ऊपर कालीशिला स्थान पर प्रकट हुई और उनकी समस्या पूछी.