रायपुर: स्पीड और 5G के जमाने में घोड़े अगर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाए तो आपको हैरत जरुर होगी. पर जब आप रायपुर के आदित्य से मिलेंगे तो आपको खुद पता चल जाएगा कि कोई फाइव जी के जमाने में भी घोड़ों का दीवाना क्यों है. हॉर्स राइडिंग की क्लब चलाने वाले आदित्य को बचपन से घोड़े पालने और उसके करीब रहने का शौक रहा. जैसे जैसे आदित्य की उम्र बढ़ी वैसे वैसे उनका शौक भी परवान चढ़ता गया. शुरुआत में कुछ घोड़ों को खरीदकर हॉर्स राइडिंग क्लब शुरू की.
शौक जो बना जिंदगी का जुनून: कुछ घोड़ों के साथ शुरु किया गया कारोबार आज बड़े बिजनेस में बदल गया है. आज आदित्य के पास 47 से ज्यादा बेहतरीन नस्ल के घोड़े मौजूद हैं. आदित्य अपने हॉर्स राइडिंग क्लब में लोगों को राइडिंग की ट्रेनिंग भी देते हैं. अपने हॉर्स राइडिंग के कारोबार से न सिर्फ वो अपना रोजगार कर रहे हैं बल्कि कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. उनके हॉर्स राइडिंग क्लब में कई स्टूडेंट हॉर्स राइडिंग की ट्रेनिंग लेने आते हैं. कई राइडर तो ऐसे हैं जो कई हॉर्स राइडिंग इवेंट में पार्टिसिपेट भी कर चुके हैं.
घोड़ों का प्रेम और शौक इतना बढ़ा की जीवन में इसके बिना कोई चीज ही दिखाई नहीं पड़ी. स्पोर्ट्स में भी मेरी रुचि है लेकिन उससे ज्यादा मेरी रुचि घोड़े को पालने में है. घोड़े के प्रेम में मैं इतना पागल हो गया कि मैंने राइडिंग क्लब शुरु कर दिया. अभी हमारे पास 47 मारवाड़ नस्ल के घोड़े हैं -आदित्य प्रताप सिंह, डायरेक्टर, राइडिंग क्लब
मारवाड़ के घोड़ों की खासियत: आदित्य के सरीखेड़ी के अस्तबल में मारवाड़ नस्ल के 47 घोड़े हैं. जिसमें 44 घोड़ी और 3 घोड़े हैं. आदित्य के अस्तबल में 18 घोड़े वर्तमान में मौजूद हैं. 29 घोड़ों को आदित्य प्रताप सिंह ने स्कूल कॉलेज और कम्युनिटी को कॉन्ट्रैक्ट बेस पर दिया है. आदित्य कहते हैं कि मारवाड़ के घोड़े लंबी दूरी तय करने के लिए जाने जाते हैं. मारवाड़ के घोड़ों में मेंटेनेंस का खर्चा कम होता है और उनकी खुराक भी ज्यादा नहीं होती. मारवाड़ के घोड़े काफी फुर्तीले माने जाते हैं.
नए घोड़े लाने के लिए भी फंड एकत्रित करना होता है. स्कूल कॉलेज और कम्युनिटी में मेंटेनेंस का फंड जाता है. कस्टमर राइडिंग क्लब में राइडिंग करने आते हैं, उनकी सर्विस और हॉस्पिटैलिटी के सर्विस का फंड रहता है. मैनेजमेंट कंसलटेंट का भी काम देखना होता है - प्रियांश कंसारी, को फाउंडर, राइडिंग क्लब
रोजगार के मौके भी मुहैया कराए: राइडिंग क्लब का मैनेजमेंट देखने वाली सारा जैन ने बताया कि कंपटीशन बहुत सारे लेवल के होते हैं. मैं खुद स्टेट नेशनल लेवल पार्टिसिपेट की हूं. नेशनल शो जंपिंग करती थी. दिल्ली में 2016 में पार्टिसिपेट की थी. उसके पहले 2005 से राइडिंग स्टार्ट की थी. राइडिंग क्लब से पिछले 1 साल से जुड़ी हुई हूं. यहां पर मैनेजमेंट में मदद करती हूं. राइडिंग क्लब के घोड़े और क्लब की देखभाल करती हूं. राइडिंग क्लब में रोजाना राइडिंग भी करती हूं. पेशे से वकील हूं. बिजनेस फैमिली से बिलॉन्ग करती हूं और उसे भी संभालती हूं.
एक्स आर्मी पर्सन हूं. पिछले दो महीने से राइडिंग क्लब में ट्रेनिंग देने का काम कर रहा हूं. हॉर्स राइडिंग बच्चे एक बार में नहीं समझ पाते हैं. ऐसे में बच्चों को बार-बार समझाना पड़ता है और उस हिसाब से धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं - दिनेश कुमार यादव, ट्रेनर, राइडिंग क्लब