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लोकसभा चुनाव 2024: कोडरमा लोकसभा सीट का सफरनाम, जानिए 1977 से लेकर अब तक का इतिहास - कोडरमा लोकसभा सीट का सफरनाम

झारखंड की कोडरमा लोकसभा सीट काफी चर्चित सीट मानी जाती है, यह सीट झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और मौजूदा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की भी पसंदीदा सीट मानी जाती है. फिलहाल इस सीट से सांसद बनीं अन्नपूर्णा देवी केंद्र सरकार में मंत्री हैं. इस कारण यह सीट और भी महत्वपूर्ण हो जाती है.

history of koderma lok sabha seat
history of koderma lok sabha seat

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 22, 2024, 7:00 AM IST

रांची:कोडरमा लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो इसका गठन 1977 में हुआ था. 1977 से 1999 तक रीतलाल प्रसाद वर्मा इस सीट से छह बार जीते और संसद में यहां की जनता का प्रतिनिधित्व किया.

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1977 में हुआ पहला लोकसभा चुनाव

1977 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल के रीतलाल प्रसाद वर्मा कोडरमा लोकसभा सीट से जीते थे और उन्हें कुल 64.8 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य को 20.4 फीसदी वोट मिले.

1980 का चुनाव

1980 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के रीतलाल प्रसाद वर्मा जीते और उन्हें 39.5 प्रतिशत वोट मिले, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जावेद वारसी को 31.3 प्रतिशत वोट मिले.

1984 में कांग्रेस ने जीती सीट

1984 के लोकसभा चुनाव में तिलकधारी सिंह ने इस सीट से जीत हासिल की थी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिलकधारी सिंह को 57 प्रतिशत वोट मिले जबकि भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़े रीतलाल प्रसाद वर्मा को 26.6 प्रतिशत वोट मिले.

1989 में बीजेपी ने फिर हासिल की जीत

1989 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के रीतलाल प्रसाद वर्मा फिर से इस सीट से जीते, उन्हें कुल 44.5 प्रतिशत वोट मिले, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.8 प्रतिशत वोट और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 20.3 प्रतिशत वोट मिले.

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1991 में जनता दल से मुमताज अंसारी हुईं विजयी

1991 के लोकसभा चुनाव में जनता दल ने यहां से जीत हासिल की और उनके उम्मीदवार मुमताज अंसारी को 32.6 फीसदी वोट मिले. जबकि भारतीय जनता पार्टी के रीतलाल प्रसाद वर्मा को 29.7 फीसदी वोट मिले. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिलकधारी प्रसाद सिंह को 25.7 फीसदी वोट मिले.

1996 में फिर जीते रीतलाल प्रसाद वर्मा

1996 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के रीतलाल प्रसाद वर्मा एक बार फिर यहां से जीते. उन्हें 38.7 प्रतिशत वोट मिले जबकि जनता दल के रमेश प्रसाद यादव को 31.2 प्रतिशत, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उमेश चंद्र अग्रवाल को 11 प्रतिशत और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सालखन सोरेन को 7.5 प्रतिशत वोट मिले.

1998 के लोकसभा चुनाव में फिर जीती बीजेपी

1998 के लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई और रीतलाल प्रसाद वर्मा 41.2 फीसदी वोट के साथ विजयी रहे. दूसरे स्थान पर रहे राष्ट्रीय जनता दल के आबिद हुसैन को 26.8 फीसदी वोट मिले जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस के तिलकधारी प्रसाद सिंह को 18 फीसदी वोट मिले.

1999 में जीती कांग्रेस

1999 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीती थी. इसमें तिलकधारी प्रसाद सिंह को 45.4 फीसदी वोट मिले थे, जबकि भारतीय जनता पार्टी के रीतलाल प्रसाद वर्मा को 43.8 फीसदी वोट मिले थे.

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झारखंड बंटवारे के बाद बीजेपी ने हासिल की जीत

झारखंड विभाजन के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी ने जीत हासिल की. 2004 में कोडरमा लोकसभा सीट ही एकमात्र ऐसी सीट थी जहां भारतीय जनता पार्टी विजयी रही थी. दूसरे स्थान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की चंपा वर्मा रहीं थी.

2009 में बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम से हासिल की जीत

2009 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले बाबूलाल मरांडी एक बार फिर कोडरमा लोकसभा सीट से विजयी हुए. झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को 25.6 फीसदी वोट मिले, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लिबरेशन को 19.3 फीसदी वोट, भारतीय जनता पार्टी को 14.8 फीसदी वोट और राष्ट्रीय जनता दल को 14.2 फीसदी वोट मिले.

2014 में मोदी लहर का मिला फायदा

2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर थी और जिसका फायदा भाजपा को मिला. भाजपा उम्मीदवार रवींद्र कुमार राय ने कोडरमा लोकसभा सीट से जीत हासिल की. उन्हें कुल 35.7 फीसदी वोट मिले. जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लिबरेशन दूसरे स्थान पर थी, वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रजातांत्रिक तीसरे स्थान पर थी.

2019 में अन्नपूर्णा देवी ने हासिल की जीत

2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और कभी राष्ट्रीय जनता दल की कद्दावर नेता रहीं अन्नपूर्णा देवी को भारतीय जनता पार्टी ने अपने टिकट पर मैदान में उतारा. यह फैसला बीजेपी के लिए सही साबित हुए. भारतीय जनता पार्टी की अन्नपूर्णा देवी 62.3 फीसदी वोट के साथ विजयी रहीं. जबकि 2004 में भारतीय जनता पार्टी को पहली जीत दिलाने वाले और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, जिन्होंने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक से चुनाव लड़ा था, उन्हें सिर्फ 24.6 फीसदी वोट मिले.

2024 की तैयारी एक बार फिर शुरू हो गई है. राजनीतिक परिवर्तन बड़ा रूप ले चुका है. 2019 में अन्नपूर्णा देवी ने भारतीय जनता पार्टी से जबकि बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़ा था. अन्नपूर्णा देवी को 62.3 फीसदी और बाबूलाल मरांडी को 24.6 फीसदी वोट मिले. अब जब बाबूलाल मरांडी भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बन गए हैं और अन्नपूर्णा देवी भी मोदी सरकार में मंत्री हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कोडरमा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी सुरक्षित है. अब देखना होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता कोडरमा लोकसभा सीट से किस नेता को चुनकर लोकसभा भेजती है.

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