अलीगढ़:यूपी काअलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना का सप्ताहिक दौर चल रहा है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास काफी पुराना है. इसकी शुरुआत अलीगढ़ आंदोलन से हुई थी. भले इस विश्वविद्यालय के नाम मुस्लिम शब्द हो, लेकिन इह विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट करने वाले पहले शख्स हिंदू थे, जिनका नाम इश्वरी प्रसाद था. आईए जानते है इस विश्वविद्यालय से जुड़े कुछ रोचक तथ्य.
क्या है एएमयूका इतिहास:भारत में अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है. इस आवासीय शैक्षणिक संस्थान की स्थापना समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान ने 1875 में की थी, जिसे मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज कहा गया. इसके बाद 1920 में 9 सितबंर के दिन इसे केंद्रिय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया.अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया पहला उच्च शिक्षण संस्थान था.
कैसे एमएयो बना एएमयू:1877 में बने MAO कॉलेज को विघटित कर 1920 में ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के एक्ट के जरिए AMU एक्ट लाया गया. संसद ने 1951 में AMU संशोधन एक्ट पारित किया, जिसके बाद इस संस्थान के दरवाजे गैर-मुसलमानों के लिए खोले गए. साल 1920 में एएमयू को केंद्रिय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया. इस विश्वविद्यालय से कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं, उर्दू लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है. एएमयू से ग्रेजुएट करने वाले पहले शख्स भी हिंदू थे, जिनका नाम ईश्वरी प्रसाद था.
एएमयू के छात्र दुनिया में कमा रहे नाम:इस विश्वविद्यालय से निकले छात्र दुनिया भर में देश का नाम चमका रहे हैं. एएमयू आज मुस्लिम शिक्षा का बड़ा केंद्र बन गया है. सर सैयद अहमद खान ने 9 फरवरी 1873 को बनारस में कहा था कि हम ‘कोई मदरसा नहीं बना रहे, कोई कॉलेज नहीं बना रहे, बल्कि हम भविष्य की यूनिवर्सिटी बनाने का ख्वाब देख रहे हैं. भविष्य की यूनिवर्सिटी वहां बनाऊंगा, जहां की आबोहवा सबसे बेहतर हो. जहां न ही कभी बाढ़ आए और ना ही अकाल. इसके बाद ऐसी जगह की तलाश शुरू हुई. काफी मंथन के बाद अलीगढ़ को चुना गया. क्योंकि अलीगढ़ से गंगा-यमुना नदी काफी दूर हैं. और यहां भूमिगत जलस्रोत 20 फुट के नीचे थे. इसलिए बाढ़ और अकाल से यह शहर अछूता था.
पाकिस्तान के पहले पीएम भी ले चुके है शिक्षा:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में करीब 250 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते है. देश की इस केंद्रिय विश्वविद्यालय में दुनिया के सभी कोनों से छात्र आते हैं. लेकिन यह विश्वविद्यालय विशेष रुप से अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और दक्षिणी पूर्व एशिया के छात्रों को अधिक आकर्षित करता है. अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के साथ कई उपलब्धियां जुड़ी हुईं हैं. पाकिस्तान के पहले पीएम नवाबजादा लियाकत अली खान भी यहीं पढ़े थे. सन् 1951 में रावलपिण्डी में उनकी हत्या हो गयी थी. एएमयू से , 2 भारत, 6 पद्मभूषण, 8 पद्मविभूषण भी निकले हैं.
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एएमयू में 14 लाख किताबेंः एएमयू में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है, जहां 14 लाख किताबें मौजूद हैं. इनमें रामायण और गीता का फारसी अनुवाद भी मौजूद है. मौलाना आजाद लाइब्रेरी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक लाइब्रेरी कई मामलों में बहुत खास है. इसकी 7 मंजिला इमारत 4.75 एकड़ में फैली हुई है. एएमयू से , 2 भारत, 6 पद्मभूषण, 8 पद्मविभूषण भी निकले हैं.
विवि के पूर्व छात्र जिन्हें मिले पुरस्कार:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से भारत को कई महान हस्तियां हुईं हैं. जिन्हें भारत के नागरिक सम्मान मिले हैं. जैसे कि
- भारतरत्न
डॉ. जाकिर हुसैन (1963)
खान अब्दुल गफ्फार खान (1983)
- पद्मविभूषण
डॉ. जाकिर हुसैन (1954)
हाफिज मुहम्मद इब्राहिम (1967)
सैयद बसीर हुसैन जैदी (1976)
प्रो. आवेद सिद्दीकी (2006)
प्रो. राजा राव (2007)