लिवर डे पर जानकारी देते डॉक्टर राजेश शर्मा शिमला:लिवर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. लिवर भोजन को पचाने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहयोगी होता है. ये रक्त प्रवाह से बैक्टीरिया को हटाकर संक्रमण का विरोध करता है. साथ ही रक्त के थक्के को भी नियंत्रित करता है. वहीं हिमाचल प्रदेश में लिवर खराब होने के सबसे ज्यादा मामले नशे और शराब के सेवन करने वालों में पाए गए हैं.
आईजीएमसी गैस्ट्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर राजेश से बताया कि आज के समय में लिवर संबंधी समस्या लोगों को ज्यादा हो रही है. उन्होंने बताया कि 2015 से पहले जो कालापीलिया यानि हेपीटाइटीस सी के एक महीने में तीन से पांच मरीज ओपीडी में आते थे. उनकी संख्या बढ़कर 30 से 35 हो गई है. डॉक्टर ने इसके लिए युवाओं के गलत खान-पान और गलत लिविंग हैबिट्स को जिम्मेदार ठहराया.
लिवर की बीमारी की प्रमुख वजह
डॉक्टर राजेश ने कहा कि "लिवर की बीमारी युवाओं में बहुत तेजी से बढ़ रही है. इसके लिए पहला कारण नशा है. युवा चिट्टा और हेरोइन जैसे मादक पदार्थो का धड़ल्ले से सेवन कर रहे हैं. वहींं लिवर खराब होने का दूसरा बड़ा कारण शराब का सेवन है. शराब लिवर को डैमेज करती है. शराब का अत्यधिक सेवन करने से लिवर खराब होने का खतरा बढ़ जाता है."
इससे बचाव के कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मृत्यु का 10वां सबसे आम कारण लिवर की बीमारी है. ऐसे में फैट वाले भोजन से परहेज कर स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर लिवर को स्वस्थ्य रखा जा सकता है. साथ ही नशे का सेवन और शराब से दूरी रखने से लिवर हेल्दी बना रहता है. लिवर के स्वास्थ्य का हमेशा ध्यान रखना चाहिए. अगर लिवर संबंधी किसी तरह की बीमारी का शक हो तो इसके लिए जांच करवाएं. ये जांच अल्ट्रासाउंड के रूप में हो सकती है या फिर ब्लड जांच से लिवर के स्वास्थ्य का पता चल जाता है. ऐसी स्थिति में मरीज को डॉक्टर की सलाह का पालन करना चाहिए.
लिवर ट्रांसप्लांट की चुनौतियां
डॉक्टर राजेश ने बताया कि "लिवर ट्रांसप्लांट जितना बोलना आसान है उतना करना नहीं. हिमाचल में लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है. ऐसे में मरीजों के बाहरी राज्य भेजा जाता है. लीवर ट्रांसप्लांट का खर्च भी बहुत आता है. दूसरी समस्या डोनर की है. अगर डोनर नहीं मिला तो ट्रांसप्लांट नहीं हो सकता."
लिवर पेट के दाहिने तरफ रिब केज के नीचे मौजूद मानव शरीर का एक आवश्यक अंग है. लिवर पित्त का उत्पादन करता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है. इन सबके अलावा लिवर शरीर के कई कार्यों में भी अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में लिवर से जुड़ी कोई समस्या या बीमारी न केवल पाचन तंत्र को प्रभावित करती है, बल्कि गुर्दे, फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क के कार्य पर भी प्रभाव डालती है.
समस्या के शुरुआती लक्षण
लिवर में आ रही समस्या का आमतौर पर शुरुआत में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं उभरता. ऐसे में नियमित अंतराल पर जांच से इसका पता लगा सकते हैं. लिवर की बीमारी में कुछ लक्षण होते हैं, जिसे लेकर सतर्क हो जाना चाहिए. खासकर, सीधे हाथ में ऊपर की तरफ करने में थोड़ा भारीपन महसूस हो सकता है. आमतौर पर लिवर की बीमारी एडवांस चरण में पकड़ में आती है. गंभीरता बढ़ने पर पैरों में सूजन, पेट का आकार बढ़ने, पेट में पानी इकट्ठा होने जैसे लक्षण होने लगते हैं.
स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या होने पर हेपेटाइटिस बी और सी की भी स्क्रीनिंग करा लेनी चाहिए. कभी जाने-अनजाने में ड्रग्स के प्रयोग, असुरक्षित यौन संबंध जैसे कारणों से भी हेपेटाइटिस की आशंका रहती है. इस बीमारी का बचाव संभव है, बशर्ते सही समय पर जांच हो और सही उपचार हो. वर्तमान में हेपेटाइटिस सी के लिए आसानी से उपचार उपलब्ध है.
खानपान और व्यायाम के नियम
डॉक्टर राजेश ने बताया कि "लिवर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है अच्छी डाइट और पर्याप्त एक्सरसाइज. भोजन में चीनी, फैट कम से कम रखने से लिवर की परेशानी से बचा जा सकता है. प्रोटीन का अनुपात बढ़ाकर रखना चाहिए. डॉक्टर ने कहा कि अगर शाकाहारी हैं तो पनीर, सोया, बादाम, अखरोट, अन्य ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना लाभदायक होगा. अगर मांसाहारी हैं, तो रेड मीट का सेवन कम करें, इससे बेहतर मछली और अंडे हैं. चिकन का सेवन हफ्ते में एक या दो बार ही करें. रोजाना कम से कम 15 मिनट की हेवी एक्सरसाइज करना जरूरी है. ब्रिस्क वॉक, वजन उठाने वाले एक्सरसाइज, साइकिलिंग, पैडलिंग आदि लिवर को सेहतमंद रखने में उपयोगी होते हैं."
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