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हिमाचल यूनिवर्सिटी में गणित के दो एसोसिएट प्रोफेसर्स की नियुक्ति रद्द, नए सिरे से होगी भर्ती प्रक्रिया - HPU Professor Appointment Case

High Court canceled two HPU associate professor's appointments: हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में गणित के एसोसिएट प्रोफेसर के लिए चयनित दो प्राध्यापकों की नियुक्ति को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अयोग्य करार देते हुए रद्द कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (ETV Bharat FILE)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 9, 2024, 3:46 PM IST

Updated : Jul 9, 2024, 8:25 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में गणित विषय के दो एसोसिएट प्रोफेसर्स की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया है. हाईकोर्ट ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं. न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल के समक्ष इस मामले में दाखिल याचिका की सुनवाई हुई. अदालत ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को कानून के अनुसार नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के आदेश भी दिए.

हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर (गणित) के पद पर नियुक्ति रद्द (Himachal High Court copy)

हाईकोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि अदालत को यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि यूनिवर्सिटी कार्यकारी परिषद ने जो शक्ति उसके पास नहीं थी, उसका भी प्रयोग किया. यही कारण है कि वाइस चांसलर ने एसोसिएट प्रोफेसर (गणित) के पद पर निजी प्रतिवादियों को नियुक्तियां प्रदान कीं. ऐसे में निजी प्रतिवादियों की नियुक्तियों को खारिज किया जाता है.

हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर (गणित) के पद पर नियुक्ति रद्द (Himachal High Court copy)

क्या है पूरा मामला:इस मामले में 30 दिसंबर 2019 को यूनिवर्सिटी का तरफ से गणित विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के तीन पदों को भरने के लिए एक विज्ञापन जारी किया. फिर 12 से 14 दिसंबर 2020 तक उम्मीदवारों के साक्षात्कार लिए गए. इसी कड़ी में 14 दिसंबर को प्रार्थी राजेश शर्मा का साक्षात्कार लिया गया. उसके बाद 15 दिसंबर को दो निजी प्रतिवादियों को नियुक्तियां दे दी गई. यह नियुक्तियां वाइस चांसलर के आदेश के अनुसार प्रदान की गई. प्रार्थी ने चयन प्रक्रिया और चयनित उम्मीदवारों से जुड़ी अहम जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगी. चयन प्रक्रिया में कायदे कानूनों को ताक पर रखने के आरोप लगाते हुए प्रार्थी राजेश शर्मा ने दोनों प्रतिवादियों की नियुक्तियां रद्द करने की गुहार लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

प्रार्थी का आरोप था कि दोनों एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्ति के लिए तय पात्रता नहीं रखते और यूनिवर्सिटी ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर उन्हें नियुक्तियां प्रदान की थीं. दोनों प्रतिवादियों को वीसी की ओर से नियुक्ति पत्र 15 दिसम्बर 2020 को जारी किए गए, जबकि वीसी इन नियुक्तियों का अनुमोदन कार्यकारी परिषद ने 31 दिसंबर 2020 को किया. प्रार्थी का आरोप था कि वीसी के पास अध्यापकों की नियुक्तियां करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और न ही उन्हें यह अधिकार ईसी द्वारा दिया जा सकता है.

कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि एचपीयू अधिनियम के प्रावधानों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि जो शक्तियां वीसी को प्रदान की जाती हैं, उनमें शिक्षकों के पद पर नियुक्ति करने की शक्ति शामिल नहीं है. इतना ही नहीं, कानून में जोड़ा गया प्रावधान पूरी तरह से स्पष्ट है कि वाइस चांसलर को दी गई आपातकालीन शक्तियों के प्रयोग में भी, वे किसी भी पद पर कोई नियुक्ति नहीं कर सकते हैं. अधिनियम स्वयं आपातकाल की स्थिति में भी कुलपति को नियुक्ति का कोई भी अधिकार प्रदान करने पर रोक लगाता है.

अधिनियम के तय कानून के अनुसार, कार्यकारी परिषद के पास अस्थायी रिक्तियों को भरने के उद्देश्य से गठित चयन समिति की सिफारिशों पर प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और सहायक प्रोफेसरों को नियुक्त करने की शक्ति है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि कार्यकारी परिषद ने नियुक्ति की शक्ति कुलपति को इस बात को देखे बिना सौंप दी कि इस तरह की पावर्स नहीं दी जा सकती. कारण ये है कि मुख्य अधिनियम कुलपति को कोई भी नियुक्ति करने की पावर नहीं देता है. अब ये भर्तियां नए सिरे से होंगी.

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Last Updated : Jul 9, 2024, 8:25 PM IST

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