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हिमाचल में अब डिपार्टमेंटल एग्जाम देने वाले करवा सकेंगे री-इवेल्यूएशन, जानिए हाईकोर्ट ने रद्द की कौन सी शर्त - Himachal High court

हिमाचल में अब डिपार्टमेंटल एग्जाम देने वाले कर्मचारी अपनी उत्तर पुस्तिका का री-इवेल्यूएशन करवा सकेंगे. पहले शर्त थी कि हिमाचल प्रदेश विभागीय परीक्षा नियम-1997 के तहत अगर कोई कर्मचारी विभागीय परीक्षा में 40 फीसदी से कम अंक पाता है तो वह वह अपनी उत्तर पुस्तिका का री-इवेल्यूएशन नहीं करा सकते हैं. जिसे हिमाचल हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.

Himachal High court
हिमाचल हाईकोर्ट (FILE)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 24, 2024, 6:53 PM IST

शिमला: हिमाचल में विभागीय परीक्षा देने वाले कर्मचारियों के लिए एक राहत की बात है. हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विभागीय परीक्षा नियम-1997 के तहत आंसर शीट यानी उत्तर पुस्तिका के री-इवेल्यूएशन (पुनर्मूल्यांकन) से जुड़ी पात्रता शर्त को गैर कानूनी ठहराया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उक्त शर्त रद्द भी कर दिया है. ऐसे में अब विभागीय परीक्षा देने वाली कोई भी कर्मचारी अपनी आंसर शीट का पुनर्मूल्यांकन करवा सकेगा.

उल्लेखनीय है कि अभी तक की व्यवस्था के अनुसार हिमाचल प्रदेश विभागीय परीक्षा नियम-1997 के तहत परीक्षा देने वाला केवल वही कर्मचारी अपनी आंसर शीट का पुनर्मूल्यांकन करवाने का हक रखता था, जिसने संबंधित परीक्षा में चालीस प्रतिशत या उससे अधिक अंक हासिल किए हों. इस तरह 40 फीसदी से कम अंक पाने वाले कर्मचारी को पुनर्मूल्यांकन वाली सुविधा उपलब्ध नहीं थी. इस शर्त को लेकर मामला अदालत तक पहुंचा तो हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने उपरोक्त फैसला सुनाया.

इस संदर्भ में प्रार्थी मुकेश चौहान ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. मुकेश चौहान की याचिका को मंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने मूल्यांकन करवाने के लिए रखी गई इस पात्रता की शर्त को गैर कानूनी पाया. साथ ही संबंधित विभाग को 4 सप्ताह के भीतर प्रार्थी की उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करने के आदेश जारी किए.
प्रार्थी मुकेश चौहान के अनुसार वह सोलन जिला के कंडाघाट स्थित पॉलिटेक्निक संस्थान में लेक्चरर के पद पर तैनात था. प्रार्थी के अनुसार उसने 14 अक्टूबर 2016 को विभागीय परीक्षा दी. वित्तीय प्रशासन विषय में उसे 33 फीसदी अंक दिए गए. प्रार्थी ने कहा कि वह इतने कम अंकों से संतुष्ट नहीं था और उसने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए अपनी आंसर शीट हासिल की.

प्रार्थी का आरोप था कि वह हिमाचल प्रदेश विभागीय परीक्षा नियम-1997 के नियम 12(3)(आई) के अंतर्गत रखी शर्त के कारण अपनी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करवाने की पात्रता नहीं रखता था. इस शर्त के अनुसार यदि उसके 40 फीसदी या इससे अधिक अंक आते तो ही वह अपनी उत्तरपुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करवाने के लिए पात्र होता. प्रार्थी ने इस शर्त को बिना किसी औचित्य की और भेदभाव पूर्ण ठहराते हुए खारिज करने की गुहार लगाई थी. कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए इस शर्त को गैर कानूनी ठहरा दिया. इस तरह अदालत के फैसले ने डिपार्टमेंटल परीक्षा देने वाले कर्मचारियों के लिए भी नया रास्ता खोला है.

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