नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हेल्थ बिल 2022 के अभी तक लागू नहीं होने पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने इसको लेकर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव को तलब किया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोनों को 21 मार्च को कोर्ट में सशरीर पेश होने का आदेश दिया है.
दरअसल, सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को मिले ई-मेल में यह पाया गया कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को दिल्ली हेल्थ बिल 2022 पर चर्चा के दौरान बुलाया ही नहीं जाता है. उसके बाद कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और स्वास्थ्य सचिव एस. बी. दीपक कुमार को कोर्ट में सशरीर पेश होने का आदेश दिया. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अनुज अग्रवाल ने स्वास्थ्य मंत्री का ई-मेल दिखाया.
हाईकोर्ट ने 30 मई 2022 को दिल्ली सरकार से कहा था कि अगर दिल्ली हेल्थ बिल 2022 को लाने में समय लग रहा है तो वो क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 को लागू करने के बारे में सोचे. तब सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि वो दिल्ली हेल्थ बिल 2022 के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं.
हाईकोर्ट दिल्ली में अनाधिकृत पैथोलॉजिकल लैब का संचालन अयोग्य तकनीशियनों द्वारा करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा कि सभी पक्षों से मशविरा लेकर पैथोलॉजिकल लैब्स पर नियंत्रण को लेकर विधेयक तैयार किया जाएगा. उसके बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा और आम जनता से सुझाव मांगे जाएंगे. लोगों के सुझाव के बाद उसमें जरुरी संशोधन भी किए जाएंगे. याचिका बिजॉन कुमार मिश्रा ने दायर किया है.
याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा कि दिल्ली के पैथोलॉजिकल लैब सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. दिल्ली में बहुत सारे पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं. इसकी वजह से फर्जी और गलत रिपोर्ट जारी होते हैं और इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है. याचिका में ये भी कहा गया कि दिल्ली सरकार जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है.