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कोटी वन रेंज में अवैध रूप से काटे थे 416 पेड़, HC ने तलब किया दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई का रिकॉर्ड - Illegal trees cut case - ILLEGAL TREES CUT CASE

High court summoned: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अवैध पेड़ कटान मामले में वन विभाग के दोषी अफसरों के खिलाफ जो विभागीय कार्रवाई की गई है, उसका सारा रिकॉर्ड अदालत में पेश करने के आदेश दिए हैं.

ILLEGAL TREES CUT CASE
अवैध पेड़ कटान मामला (कॉन्सेप्ट इमेज)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 19, 2024, 10:24 PM IST

शिमला: जिला शिमला की कोटी वन रेंज में वर्ष 2015 से 2018 के बीच वन काटुओं ने 416 पेड़ काट डाले थे. मामले का खुलासा हुआ तो पूरे वन महकमे में हलचल मच गई. प्रदेश में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में अभी सरकार बनी ही थी कि ये मामला सामने आया. हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए राज्य सरकार को कई निर्देश जारी किए साथ ही वन विभाग के दोषी अफसरों के खिलाफ कड़े एक्शन के आदेश दिए.

अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए हैं कि इस मामले में वन विभाग के दोषी अफसरों के खिलाफ जो विभागीय कार्रवाई (डिपार्टमेंटल एक्शन)की गई है, उसका सारा रिकॉर्ड अदालत में पेश किया जाए.

कोटी रेंज के तत्कालीन अफसरों पर विभागीय एक्शन:

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार ने दोषी वन अधिकारियों के खिलाफ एक्शन शुरू किया था. विभागीय जांच की गई और अफसरों की लापरवाही नहीं पाई गई. इस तरह सरकार ने लापरवाही न पाने पर अधिकांश अफसरों को दोषमुक्त कर दिया. इस पर अदालत ने कहा कि सैकड़ों की संख्या में पेड़ काट दिए गए. इसके बाद भी अधिकारी दोषी नहीं हैं, ये बात उचित प्रतीत नहीं होती.

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे में अदालत को देखना होगा कि अफसरों के खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई की गई. अदालत ने कहा कि उस कार्रवाई के रिकॉर्ड का अवलोकन जरूरी है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सरकार से 8 अगस्त तक विभागीय कार्रवाई की जानकारी तलब की है.

वन विभाग के 16 अफसरों के खिलाफ हुई थी जांच:

कोटी वन रेंज में 416 पेड़ काटे जाने के मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद वन विभाग ने 16 वन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की थी. इन अधिकारियों में दो वन अरण्यपाल, दो मंडल वन अधिकारी, तीन सहायक वन अरण्यपाल, दो रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर, छह ब्लॉक फॉरेस्ट ऑफिसर और एक फॉरेस्ट गार्ड शामिल थे. यह सभी कर्मी वन रेंज कोटी के तहत वन बीच भलावाग, फॉरेस्ट ब्लाक कोटी, फॉरेस्ट रेंज कोटी, फॉरेस्ट डिविजन शिमला व फॉरेस्ट सर्किल शिमला में वर्ष 2015 से 2018 के बीच तैनात थे. इसी अवधि में कोटी वन रेंज में 416 पेड़ों का अवैध कटान हुआ था.

इस मामले में कोर्ट को बताया गया था कि अनिवार्य फील्ड निर्देशों के अनुसार विभिन्न वन अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे अपने अधीन आने वाले वन क्षेत्र का निरीक्षण करें साथ ही ये पता लगाएं कि कहीं पेड़ों की किसी तरह की कटाई तो नहीं हो रही. अदालत के संज्ञान में आया कि विभाग ने उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय केवल उन कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया, जो सर्विस रैंक में सबसे नीचे थे.

विभाग ने केवल छोटे वन कर्मियों को निशाना बनाया. अदालत ने मामले में सभी पक्षकारों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले में बेशक काटे गये पेड़ों की लकड़ी की लागत वसूल की होगी परन्तु वृक्षों की कीमत का मूल्यांकन नहीं हो सकता. पेड़ न केवल ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि पर्यावरण के सबसे सजग प्रहरी हैं. पेड़ डी-कार्बोनाइजऱ भी हैं. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की अवैध कटाई की भरपाई किसी भी तरीके से नहीं की जा सकती है. अब राज्य सरकार को 8 अगस्त तक सारा रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश करना होगा.

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