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अवैध खनन पर हाईकोर्ट सख्त, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई पर सरकार से मांगी रिपोर्ट - High Court on Illegal mining

Illegal mining in Asan wetland: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आसन वेटलैंड संरक्षण रिजर्व के 10 किलोमीटर के दायरे में बिना अनुमति खनन करने वालों के कार्रवाई के आदेश दिए हैं. आसन वेटलैंड यमुना और आसन नदी का 444 हेक्टेयर क्षेत्र है.

HIGH COURT
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 31, 2024, 10:38 PM IST

शिमला: अवैध खनन को लेकर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल व उत्तराखंड राज्य की सीमाओं के बीच स्थित आसन वेटलैंड संरक्षण रिजर्व के 10 किलोमीटर के दायरे में बिना अनुमति खनन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं.

इसके साथ ही राज्य सरकार से दोषियों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी मांगी गई है. आसन वेटलैंड यमुना और आसन नदी का 444 हेक्टेयर क्षेत्र है, जो उत्तराखंड के देहरादून जिले में यमुना नदी के साथ संगम तक फैला हुआ है.

कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर

आसन संरक्षण रिजर्व, कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण शीतकालीन स्थल को रामसर साइट घोषित किया गया है. मध्य एशियाई फ्लाईवेज़ (सीएएफ) के भीतर रणनीतिक रूप से स्थित, रिजर्व में पक्षियों की 330 प्रजातियां हैं, जिनमें लुप्तप्राय- सफेद-पंख वाले गिद्ध ( जिप्स बंगालेंसिस ) बेयर पोचार्ड ( अयथ्या बेरी ) लुप्तप्राय- मिस्र के गिद्ध ( नियोफरन पर्कनोप्टेरस ) स्टेपी ईगल ( एक्विला निपालेंसिस ) मार्बल्ड टील ( मार्मेरोनेटा एंगुस्टिरोस्ट्रिस) कॉमन पोचार्ड (अयथ्या फेरिना) इंडियन स्पॉटेड ईगल ( क्लैंगा हास्टाटा ) आदि रूडी शेल्डक के जमावड़े के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है.

इसके अलावा मौजूद अन्य गैर-एवियन प्रजातियों में 49 मछली प्रजातियां शामिल हैं. इनमें से एक लुप्तप्राय पुटिटर महासीर (टोर पुटिटोरा) है. मछलियाँ भोजन, प्रवास और अंडे देने के लिए इस स्थल का उपयोग करती हैं. आसन और यमुना नदियों के संगम पर स्थित इस जैव विविधता वाले पारिस्थितिकी तंत्र को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 36ए के तहत 2005 में संरक्षण रिजर्व घोषित किया गया था.

हर साल यह आर्द्रभूमि अपने शीतकालीन प्रवास के दौरान कई प्रवासी पक्षी प्रजातियों जैसे रूडी शेल्डक, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, गैडवॉल, यूरेशियन विगॉन, नॉर्दर्न शॉवलर, नॉर्दर्न पिंटेल, ग्रेलैग गूज, बार-हेडेड गूज और फेरुगिनस डक आदि की मेजबानी करती है.

लाइसेंस धारकों की सूची तलब

हाईकोर्ट ने इस वेटलैंड के रखरखाव से जुड़े मामले में राज्य सरकार से खनन लाइसेंस धारकों की सूची तलब की थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी यमुना नदी की आद्रभूमि की निशानदेही करने के आदेश दिए थे.

मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ के समक्ष देहरादून निवासी गजेंद्र रावत की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में गुहार लगाई गई है कि वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाई जाए. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जारी लाइसेंस को रद्द किया जाए. मामले पर हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने यमुना नदी की वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में वन्यजीव और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन राष्ट्रीय बोर्ड की स्थायी समिति की अनुमति के बगैर खनन पर रोक लगाने के आदेश पारित किए हैं.

कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति खनन करने वालों के खिलाफ राज्य सरकार कार्रवाई करे. बता दें कि आसन वेटलैंड रिजर्व मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में हाईकोर्ट ने प्रदेश के अन्य हिस्सों की वेटलैंड की देखरेख पर संज्ञान लिया है.

रेणुका जी, खजियार व पोंग डेम वेटलैंड के रखरखाव को केंद्र सरकार ने 421.28 लाख रुपये जारी किए थे. वेटलैंड भूमि का वह क्षेत्र है जिसमें या तो स्थायी रूप से या मौसमी रूप से पानी जमा होता है.

शीर्ष अदालत ने पाया था कि कई वेटलैंड और झीलें गायब हो रही हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने देश में दो लाख से अधिक वेटलैंड की पहचान की है, जिसने 2011 में एक राष्ट्रीय वेटलैंड एटलस तैयार किया था और 2,01,503 वेटलैंड की मैपिंग की गई थी.

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिए थे कि संबंधित उच्च न्यायालय इसकी देखरेख करें. हाईकोर्ट के दखल के बाद प्रदेश सरकार ने वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 बनाया जिसके लिए 15 जून 2017 को राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया था जिसका कार्य वेटलैंड की पहचान और संरक्षण करना था.

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