प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे को समझौते के आधार पर रद्द करने से इंकार करते हुए सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि विशेष कानून की आपराधिक कार्यवाही को पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता. पाक्सो एक्ट के अपराध में नाबालिग की सहमति मान्य नहीं है. ऐसे मामलों में बाद में पीड़िता द्वारा किया गया समझौता आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसी के साथ कोर्ट ने नाबालिग से रेप के आरोपी के खिलाफ आजमगढ़ की विशेष अदालत पाक्सो एक्ट में चल रही आपराधिक कार्यवाही को समझौते के आधार पर रद्द करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने संजीव कुमार की याचिका पर दिया है. याचिका में दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर केस कार्यवाही रद्द करने की मांग की गई थी. याची का कहना था कि ऐसे ही फकरे आलम के केस में हाईकोर्ट ने समझौते के आधार पर पाक्सो एक्ट के केस की कार्यवाही रद्द कर दी थी. उसी आधार पर इस केस को भी रद्द किया जाए. कोर्ट ने कहा कि दोनों केस के तथ्यों में समानता नहीं है. दोनों के तथ्य अलग हैं. फकरे आलम केस में पीड़िता 18 वर्ष की बालिग थी. उसमें पाक्सो एक्ट गलत लगाया गया था. इस केस में ऐसा नहीं है. इस मामले की पीड़िता नाबालिग है. जिसने बाद में बालिग होने पर समझौता किया है, अपराध शमनीय नहीं है.