लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष पेश की गई एक जनहित याचिका में दुर्घटनाओं के नजरिए से शहीद पथ का नाम बदलने की गुजारिश की गई थी. याचिका में दलील दी गई थी कि शहीद पथ के नाम में सड़क दुर्घटनाओं के नजरिए से ‘शहीद’ शब्द से नकारात्मक अनुभूति होती है. संभव है कि इस सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए, लोगों में इसके नाम को लेकर भय उत्पन्न होता है. याचिका में मांग की गई कि शहीद पथ का नाम बदलकर ‘प्रगति पथ’ कर दिया जाए.
न्यायालय ने दलील को तर्कहीन बताते हुए कहा कि हम मात्र इतना कह सकते हैं कि यह अंधविश्वास है और यही नहीं, ऐसा कहना शहीदों का अपमान भी है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने आदर्श मेहरोत्रा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया.
सुनवाई के दौरान याची ने स्वयं ही न्यायालय को बताया कि नगर निगम ने अमर शहीद पथ का नाम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड करने सम्बंधी प्रस्ताव पारित कर रखा है. शहीद पथ का नाम परिवर्तित होना चाहिए, चाहे इसका नाम प्रगति पथ रखा जाए या फिर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड. इस पर न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामले न तो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सुने जा सकते हैं और न ही जनहित याचिका के तहत.