प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजस्व दस्तावेजों में जालसाजी कर एक किसान की जमीन कब्जाने के मामले में कैथोलिक डायोसिस ऑफ गोरखपुर और राज्य सरकार पर 10 लाख रुपए हर्जाना लगाया है. कोर्ट ने सरकार और डायोसिस को बराबर रकम कार्यदायी अदालत के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि चाहे आसमान ही क्यों न गिर जाए, न्याय अवश्य होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि यह कहावत इस विश्वास को दर्शाती है कि परिणामों की परवाह किए बिना न्याय दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि राज्य और अपीलकर्ता संस्था ने एक साथ मिलकर वादी की भूमि पर कब्जा किया. उसे अपनी जमीन के लिए 32 वर्ष तक अदालतों में मुकदमा लड़ना पड़ा. जिला और सचिवालय स्तर पर सरकारी मशीनरी की मदद से दस्तावेजों में हेराफेरी करके वादी और उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी अचल संपत्ति के उपयोग से वंचित कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे में 32 साल बाद यह अदालत राज्य व कैथोलिक डायोसीज पर हर्जाना लगाना उचित समझती है. न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने अध्यक्ष कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर की द्वितीय अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया.
यह था मामला : गोरखपुर के गांव जंगल सालिकराम में भूखंड संख्या 26 रकबा 93 डिसमिल पर वादी भोला की भूमिधारी जमीन थी. कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर की ओर से इस जमीन पर राज्य सरकार से पट्टा प्राप्त करने का दावा करते हुए चहारदीवारी बनाई जाने लगी. इसके विरोध में भोला ने सिविल वाद दाखिल कर दिया. ट्रायल कोर्ट से राहत न मिलने पर भोला ने प्रथम अपील दाखिल की. कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए दर्शाई गई भूमि पर चारदीवारी को हटाने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि वादी के कब्जे में कोई हस्तक्षेप न करें. इसके साथ ही उप रजिस्ट्रार-प्रथम, गोरखपुर के समक्ष 13 जनवरी 1993 को पंजीकृत पट्टा विलेख शून्य और अप्रभावी घोषित कर दिया.