रांचीः राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा ईडी के एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज, असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा, अनुपम कुमार, अमन पटेल के खिलाफ दर्ज एसटी-एससी से जुड़े एफआईआर मामले में पुलिस की ओर से जारी नोटिस को चुनौती देने वाली आईए याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है.
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत को बताया गया कि एफआईआर मामले में पीड़क कार्रवाई पर रोक लगाते हुए पहले ही कोर्ट ने अंतरिम राहत दे दी थी. इसके बावजूद पुलिस की ओर से सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी कर पक्ष रखने के लिए बुलाया जा रहा है. ईडी की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई के बाद हेमंत सोरेन के अधिवक्ता ने जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. इसपर हाईकोर्ट ने एक सप्ताह बाद सुनवाई की तारीख तय की है.
ईडी की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि हाईकोर्ट ने पहले ही किसी तरह की पीड़क कार्रवाई पर रोक का आदेश दे रखा है. इसके बावजूद ईडी के अधिकारियों को नोटिस जारी किया जा रहा है, जो गलत है. राहत का आदेश जारी होने के बावजूद नोटिस कैसे जारी किया जा सकता है. हेमंत सोरेन की ओर से अधिवक्ता शंकरण ने ईडी की हस्तक्षेप याचिका पर जवाब देने के लिए समय की मांग की. ईडी की ओर से एएसजीआई एस.वी.राजू और अधिवक्ता ए.के.दास ने अदालत से अगले आदेश तक अंतरिम राहत बढ़ाने का आग्रह किया. इस आग्रह को स्वीकार करते हुए अदालत ने अगले आदेश तक अंतरिम राहत की अवधि बढ़ा दी है.
दरअसल, 31 जनवरी को ईडी की टीम हेमंत सोरेन से कांके स्थित उनके आवास पर पूछताछ के लिए गई थी. इसी दौरान हेमंत सोरेन की ओर से यह कहते हुए एसटी एससी थाने में ईडी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई गई थी कि उनकी अनुपस्थिति में दिल्ली स्थित आवास पर कैसे सर्च ऑपरेशन चलाया गया. उन्होंने आरोप लगाया था कि वह आदिवासी समाज से आते हैं और ऐसा कर उनके और उनके परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल करने की कोशिश की गई है.