शिमला:प्रदेश हाई कोर्ट ने मंडी से मनाली के बीच पुराने नेशनल हाईवे की दयनीय स्थिति पर लोक निर्माण विभाग को कड़ी फटकार लगाई है. मामले की सुनवाई के दौरान लोक निर्माण विभाग (PWD) की ओर से कोई कर्मचारी या अधिकारी कोर्ट में उपस्थित नहीं होने को लेकर भी कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. हाई कोर्ट ने इस स्थिति को खेदजनक बताया.
धूल के कारण गाड़ी के बाहर कुछ नहीं दिखता:मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि पुराने हाइवे पर कई जगह इतनी धूल उड़ती है की गाड़ी से बाहर कुछ भी दिखाई नहीं देता. यह स्थिति वास्तव में व्यथित कर देने वाली है. कोर्ट में एनएचएआई (NHAI) की ओर से बताया गया की पुराने हाईवे का अधिकांश भाग प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है. इसलिए इसका रख-रखाव प्रदेश सरकार को करना है. एनएचएआई ने इसके लिए जरूरी राशि लोक निर्माण विभाग को दे दी है.
बरसात के बाद सड़कों की हालत में क्या सुधार हुआ:इस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा कि पिछली बरसात के बाद सड़कों की हालत में क्या सुधार हुआ है? कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि जब पिछली सुनवाई के दौरान उन्होंने उक्त सड़क के बारे स्थिति ठीक करने को कहा था, तो ऐसा क्यों नहीं किया गया? इन प्रश्नों के उत्तर देने के लिए पीडब्ल्यूडी (PWD) विभाग की ओर से कोर्ट में कोई अधिकारी मौजूद नहीं था. कोर्ट ने खेद जताया कि अनेक सरकारी अधिकारी, जनप्रतिनिधि और अन्य कर्ताधर्ता इन सड़कों का प्रयोग करते रहते हैं परंतु इनकी दयनीय हालत को दुरुस्त करने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.
अगली आपदा से पहले PWD का जागना जरूरी:मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उनके खुद के द्वारा देखी गई सड़कों की दयनीय हालत उजागर करने के बावजूद एनएचएआई और लोक निर्माण विभाग आपस में ब्लेम गेम खेलने में व्यस्त है. सरकार ऐसे मामलों में सक्रिय होने की बजाए प्रतिक्रिया करने लगती है. कोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग का अगली आपदा से पहले जागना जरूरी है, आपदा के बाद जागने से नुकसान की भरपाई ही करनी होती है. जिससे जनता के धन का दुरुपयोग होता है. कोर्ट ने सरकार से सड़कों को मोटरेबल स्थिति में न लाने का कारण पूछा है.