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डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वादकारी से मारपीट में हुई पहचान, दस और वकीलों के परिसर में प्रवेश पर रोक लगी - High Court News

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय प्रयागराज में कोर्ट रूम और न्यायिक अधिकारी के चेंबर में घुसकर वादकारियों से मारपीट व न्यायिक अधिकारी से दुर्व्यवहार करने की घटना में दस और वकीलों के जिला न्यायालय परिसर में रोक लगा दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (PHOTO CREDIT ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 14, 2024, 9:55 PM IST

प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय प्रयागराज के कोर्ट रूम और न्यायिक अधिकारी के चेंबर में घुसकर वादकारियों से मारपीट व न्यायिक अधिकारी से दुर्व्यवहार करने की घटना में दस और वकीलों के जिला न्यायालय परिसर में रोक लगा दी है. कोर्ट ने इन सभी वकीलों को आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी करते हुए पुलिस कमिश्नर से इन वकीलों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के साथ इनकी अपराध में संलिप्तता की रिपोर्ट मांगी है. हाईकोर्ट ने जिला जज की रिपोर्ट पर यह कार्रवाई करते हुए पुलिस कमिश्नर को न्यायालय परिसर की सुरक्षा में जिला जज के आदेश के अनुसार सुरक्षा बल तैनात करने का आदेश भी दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने जिला जज द्वारा पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट पर संदर्भित अवमानना रेफरेंस की सुनवाई करते हुए दिया है. इससे पहले कोर्ट ने आरोपी वकील रणविजय सिंह व मोहम्मद आसिफ को नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा था. कोर्ट ने उन्हें बेहतर हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है. कोर्ट ने इन दोनों वकीलों के जिला न्यायालय परिसर में प्रवेश पर पहले ही रोक लगा रखी है.

कोर्ट ने जिला जज से घटना की सीसीटीवी फुटेज देखकर अवमानना करने वाले अन्य वकीलों की संलिप्तता की रिपोर्ट मांगी थी. सीलबंद लिफाफे में पेश रिपोर्ट में दस वकीलों के नाम का खुलासा किया गया. हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता सुधीर मेहरोत्रा ने पक्ष रखा.

गौरतलब है कि जिला न्यायालय प्रयागराज की एक अदालत में मुलायम सिंह बनाम तरसू लाल केस की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रणविजय सिंह भीड़ के साथ कोर्ट रूम में आए और पीठासीन अधिकारी पर केस की तत्काल सुनवाई का दबाव डाला. साथ ही वादकारी मुनीस परवेज व उनकी बीबी से मारपीट की. दोनों बचाव में पीठासीन अधिकारी के चैंबर में भागकर गए तो वकीलों ने उन्हें वहां भी मारापीटा. पीठासीन अधिकारी ने वहां से निकलकर सीजेएम के चैंबर में जाकर अपनी जान बचाई. उन्होंने भी कहा कि उनके जीवन को भय है. उसके बाद एसीपी/एसएचओ को सूचित किया गया. जब पुलिस आई तब पीठासीन अधिकारी अपने चैंबर में जा सकीं. उसके बाद उन्होंने घटना की रिपोर्ट जिला जज को दी. जिला जज ने वह रिपोर्ट हाईकोर्ट को प्रेषित करके कार्यवाही की सिफारिश की. उसके बाद हाईकोर्ट ने अवमानना केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू की.

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