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948 सौ साल पुराने वृक्षों से समृद्ध होगी विरासत वाटिका, मेरठ के पांडवान में वन विभाग की खास तैयारी - Heritage Tree Garden

उत्तर प्रदेश में 100 साल पुराने वृक्षों से तैयार पौधों से 11 मंडलों में एक विरासत वाटिका तैयार की जा रही है. उत्तर प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य यह है कि आने वाली पीढ़ियों को हमारे सांस्कृति और आध्यात्मिक महत्व के इन वृक्षों के बारे में जानकारी मिल सके. इस वाटिका को स्थापित करने के लिए मेरठ में की जा रही खास तैयारी.

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 3, 2024, 7:41 PM IST

Updated : Jul 18, 2024, 3:25 PM IST

सौ साल पुराने वृक्षों की दिखेगी समृद्ध झलक
सौ साल पुराने वृक्षों की दिखेगी समृद्ध झलक (PHOTO credits ETV BHARAT)

विरासत सहेजने की योगी सरकार की पहल (video credits ETV BHARAT)

मेरठ: उत्तर प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को देश और दुनिया में स्थान दिलाने के बाद योगी सरकार अब आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के वृक्षों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजने की पहल कर रही है. इसके लिए प्रदेश भर के 948 ऐसे वृक्षों की पहचान की गई है जो सौ साल से ज्यादा पुराने हैं. इनसे पौधे तैयार कर प्रदेश के 11 मंडलों में विरासत वृक्ष वाटिका बना रही है. ऐसा ही एक वृक्ष वाटिका मेरठ में भी स्थापित करने की तैयारी चल रही है. इसमें रुट कटिंग और स्टेम कटिंग के जरिए से पौधा तैयार किया जा रहा.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि, दो साल पहले यूपी सरकार की ओर से विरासत वृक्ष चिन्हिकरण का अभियान चलाया गया था, इसमें उन पेड़ों को शामिल किया गया है, जिनका आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है. पूरे प्रदेशभर में ऐसे कुल 948 वृक्षों की पहचान की गई थी. ऐसे वृक्षों को संरक्षित करने और लोगों को इसे जोड़ने के लिए प्रदेश की 11 मंडलों में विरासत वृक्ष वाटिका बनाई जाएगी. इसमें रूट्स कटिंग, स्टेम कटिंग के जरिए से उन पौधों को उगाया गया है. डीएफओ राजेश कुमार ने कहा कि, इसके लिए हस्तिनापुर में खास वाटिका बनाकर पौधों को उगाया गया है.

डीएफओ राजेश कुमार ने कहा कि, प्रदेश के अलग अलग जिले से जो वृक्षों से संबंधित सामग्री पौधे तैयार करने के लिए हमारे पास आई है. उससे पौधे तैयार किए जा रहे हैं. डीएफओ ने बताया कि इसके पीछे उद्देश्य यही है कि इन पेड़ों की तरफ लोगों की आत्मीयता बढ़े, प्रयास है इस धरोहर को बनाए रखना. इको टूरिज्म के जरिए बाद में इनको विकसित करने की भी योजना है.

मेरठ जिले में भी महाभारतकालीन नगरी परीक्षितगढ़ और हस्तिनापुर में ऐसे कई वृक्ष हैं जिन्हें लोग आस्था के साथ पूजते भी हैं. इतना ही नहीं इन पेड़ों को लेकर तरह तरह की किवदंतियां भी प्रचलित हैं. डीएफओ के मुताबिक, पूरे जिले में इस तरह के 10 वृक्ष हैं जो सौ साल से अधिक उम्र के हैं.

जिले के मेरठ सहित परीक्षितगढ़, सरधना और हस्तिनापुर में ये विरासत वृक्ष मौजूद हैं. इनकी पौध तैयार कर 11 जनपदों में विकसित की जाने वाली विरासत वाटिका में लगाया जाएगा. जो विरासत वाटिका विकसित की जाएगी उस वाटिका में 100 साल से अधिक पुराने इन वृक्षों से तैयार पौध को लगाया जाएगा.

डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि विरासत वृक्षों की मुख्यतः 28 प्रजातियां हैं, मेरठ के हस्तिनापुर के पांडवान वन प्रभाग में यह वाटिका सात हेक्टेयर भूमि पर विकसित की जाएगी ताकि वृक्षों के माध्यम से उत्तर प्रदेश की संस्कृति और एतिहासिकता से परिचित हो सकें. मेरठ में सौ साल या उससे अधिक उम्र के जो वृक्ष हैं उनमें एक वृक्ष मेरठ कालेज में है, चार विरासत वृक्ष श्रृंगऋषि आश्रम परीक्षित गढ़ में तीन हैं, जबकि गांधारी तालाब परीक्षित गढ़ में तीन हैं. इनके अलावा ग्राम छबड़िया सरधना में एक वृक्ष और हस्तिनापुर के पाण्डेश्वर मंदिर में एक विरासत वृक्ष है.

राजेश कुमार ने बताया कि इन पेड़ों से पौध उनके बीज, कलम और जड़ों से बड़े पैमाने पर तैयार की गई है. पौधे के साथ उसके इतिहास और जगह का भी विवरण इन स्थापित होने वाली खास वाटीकाओं में दिया जाएगा. प्रदेश में मेरठ समेत विरासत वाटिका अयोध्या, गोरखपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, बरेली, मथुरा, सीतापुर, चित्रकूट, मिर्जापुर आदि जिलों में स्थापित की जाएंगी.

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Last Updated : Jul 18, 2024, 3:25 PM IST

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