मेरठ: उत्तर प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को देश और दुनिया में स्थान दिलाने के बाद योगी सरकार अब आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के वृक्षों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजने की पहल कर रही है. इसके लिए प्रदेश भर के 948 ऐसे वृक्षों की पहचान की गई है जो सौ साल से ज्यादा पुराने हैं. इनसे पौधे तैयार कर प्रदेश के 11 मंडलों में विरासत वृक्ष वाटिका बना रही है. ऐसा ही एक वृक्ष वाटिका मेरठ में भी स्थापित करने की तैयारी चल रही है. इसमें रुट कटिंग और स्टेम कटिंग के जरिए से पौधा तैयार किया जा रहा.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि, दो साल पहले यूपी सरकार की ओर से विरासत वृक्ष चिन्हिकरण का अभियान चलाया गया था, इसमें उन पेड़ों को शामिल किया गया है, जिनका आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है. पूरे प्रदेशभर में ऐसे कुल 948 वृक्षों की पहचान की गई थी. ऐसे वृक्षों को संरक्षित करने और लोगों को इसे जोड़ने के लिए प्रदेश की 11 मंडलों में विरासत वृक्ष वाटिका बनाई जाएगी. इसमें रूट्स कटिंग, स्टेम कटिंग के जरिए से उन पौधों को उगाया गया है. डीएफओ राजेश कुमार ने कहा कि, इसके लिए हस्तिनापुर में खास वाटिका बनाकर पौधों को उगाया गया है.
डीएफओ राजेश कुमार ने कहा कि, प्रदेश के अलग अलग जिले से जो वृक्षों से संबंधित सामग्री पौधे तैयार करने के लिए हमारे पास आई है. उससे पौधे तैयार किए जा रहे हैं. डीएफओ ने बताया कि इसके पीछे उद्देश्य यही है कि इन पेड़ों की तरफ लोगों की आत्मीयता बढ़े, प्रयास है इस धरोहर को बनाए रखना. इको टूरिज्म के जरिए बाद में इनको विकसित करने की भी योजना है.
मेरठ जिले में भी महाभारतकालीन नगरी परीक्षितगढ़ और हस्तिनापुर में ऐसे कई वृक्ष हैं जिन्हें लोग आस्था के साथ पूजते भी हैं. इतना ही नहीं इन पेड़ों को लेकर तरह तरह की किवदंतियां भी प्रचलित हैं. डीएफओ के मुताबिक, पूरे जिले में इस तरह के 10 वृक्ष हैं जो सौ साल से अधिक उम्र के हैं.