आयुर्वेद में ये है भगंदर का इलाज (ETV Bharat Ajmer) अजमेर.अनियमित जीवनशैली के कारण लोगों में कब्ज की बीमारी आम हो चुकी है. कब्ज को लोग गंभीरता से नहीं लेते, इस कारण कई कष्टदायक रोग उत्पन्न हो जाते हैं. इनमें गुदा मार्ग में स्थानीय संक्रमण के कारण फिस्टुला हो जाता है. इसको आयुर्वेद में भगंदर (नासूर) भी कहते हैं. वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा से जानते हैं भगन्दर (फिस्टुला) के कारण, लक्षण और उपचार संबंधी हेल्थ टिप्स...
अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा बताते हैं कि लगातार कब्ज रहने से मलाशय में मल सूखने से संक्रमण होने लगता है. इस वजह से गुदा द्वार पर एक फोड़ा उभर आता है. शुरुआत में इस फोड़े में से पानी का स्त्राव होता है. इसके बाद फोड़े में मवाद बनने लगता है. यह मवाद बाहर निकालने के लिए त्वचा में सुरंगनुमा रास्ता बनाता है, जो गुदा मुख के पास त्वचा में छिद्र के रूप में होता है. इस छिद्र से लगातार मवाद निकलता रहता है. भगन्दर की तीव्रता होने पर मवाद के साथ खून भी निकलने लगता है.
पढ़ें:मल त्यागते वक्त होती है ये तकलीफ तो हो जाएं सावधान, एनल फिशर हो सकता है, जानिए वरिष्ठ चिकित्सक की राय - Health Tips
डॉ मिश्रा बताते हैं कि भगंदर को नासूर भी कहते हैं. उन्होंने बताया कि अधिक गर्म मसाले युक्त भोजन, अनियमित रूप से भोजन करने की आदत, मैदा, बेसन से निर्मित खाद्य सामग्री के सेवन, ज्यादा बैठक करने, रात्रि को देर तक जागने आदि कारणों से लगातार कब्ज रहने से मलाशय में मल सूखकर संक्रमित हो जाता है. इससे गुदा द्वार पर भगंदर होने की संभावना अधिक रहती है. उन्होंने बताया कि नियमित जीवन शैली जीने वाले लोगों में भगंदर की समस्या आम हो चुकी है.
पढ़ें:Health Tips: कब्ज को हल्के में ना लें वरना भुगतने पड़ेंगे गंभीर परिणाम, जानें क्या कहते हैं वरिष्ठ चिकित्सक
भगंदर के लक्षण:डॉ मिश्रा बताते हैं कि भगन्दर होने पर रोगी के गुदा द्वार पर सूजन आ जाती है. इस कारण असहनीय दर्द और जलन होती है. गुदा द्वार के मुख्य पर बने छिद्र से लगातार पानी अथवा मवाद का स्राव होता रहता है. कई बार मवाद से खून का भी स्राव होने लगता है. रोगी को मल त्याग करने के समय काफी पीड़ा होती है. बार-बार रक्त के स्त्राव से रोगी में खून की कमी भी हो जाती है. रोगी का काम में मन नहीं लगता और मन विचलित रहता है. रोगी को लंबे समय तक बैठने में भी दिक्कत होती है.
पढ़ें:कब्ज से ऐसे पाये छुटकारा
भगंदर का उपचार: डॉ बी एल मिश्रा बताते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार भगंदर के इलाज से पहले रोगी को कब्ज का उपचार दिया जाता है. उन्होंने बताया कि भगंदर की तीव्रता होने पर आयुर्वेद में शार सूत्र से उपचार किया जाता है. साथ ही जात्यादि तेल का पिचू भी रोगी के भगन्दर पर लगाया जाता है. ऐसे जल्द ही रोगी को राहत मिलती है. इसके अलावा रोगी को आयुर्वेद औषधियां भी दी जाती है. साथ ही रोगी को खाने में कुछ चीजों का परहेज भी बताया जाता है.
यह खाएं यह न खाएं: डॉ मिश्रा बताते हैं कि कब्ज आम रोग है, लेकिन लगातार कब्ज रहता है, तो इसका इलाज जरूर लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि रसदार फल, फलों का रस, फाइबर युक्त भोजन, छाछ, दूध, टमाटर या टमाटर का रस, किशमिश, मखाने, मुनक्का, पिंड खजूर, हरी सब्जियां, गुदे वाली सब्जियां (लौकी, टिंडे तुरई, खीरा) का सेवन लाभदायक है. बार-बार पानी पीना भी आवश्यक है.