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हरियाणा में नए कलेक्टर रेट 1 दिसंबर से होंगे लागू, चुनाव के कारण रुका था प्रस्ताव - HARYANA NEW COLLECTOR RATES

हरियाणा में नए कलेक्टर रेट 1 दिसंबर से लागू होंगे. ये रेट मार्केट वैल्यू के आधार पर तय किए गए हैं.

new collector rates will be implemented from December 1st
नए कलेक्टर रेट 1 दिसंबर से होंगे लागू (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 25, 2024, 8:04 AM IST

पंचकूला:हरियाणा में 1 दिसंबर 2024 से नए कलेक्टर रेट लागू हो जाएंगे. प्रदेश के रेवेन्यू विभाग की ओर से ये आदेश जारी किया गया है. इन आदेशों की प्रति प्रदेश के सभी मंडल के कमिश्नर और उपायुक्त को जारी किए गए हैं. ऐसे में अब हरियाणा में जमीनों की रजिस्ट्री नए कलेक्टर रेट के अनुसार होगी, जो कि 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ने के आसार हैं.

चुनावों के कारण हुई देरी:दरअसल, हरियाणा में नए कलेक्टर रेट लागू करने में देरी का कारण चुनाव था. नए रेट अप्रैल में लागू किए जाने थे, लेकिन पहले लोकसभा चुनाव और उससे पहले आचार संहिता के चलते मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कलेक्टर रेट बढ़ाने के आदेशों को स्थगित कर दिया था. लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद अब फिर से कलेक्टर रेट लागू किए जाने का फैसला लिया गया है.

एनसीआर से 20% बढ़ोतरी का प्रस्ताव: हरियाणा में सबसे अधिक कलेक्टर रेट बढ़ाने का प्रस्ताव एनसीआर में आने वाले जिलों से आया था. इन जिलों में गुरुग्राम, रोहतक, फरीदाबाद, बहादुरगढ़, पलवल, सोनीपत, पानीपत और करनाल शामिल हैं. सभी स्थानीय जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर रेट में 20 फीसद तक बढ़ोतरी के प्रस्ताव भेजे गए. इन जिलों के एनसीआर में आने के चलते राज्य सरकार और केंद्र सरकार यहां इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर काम कर रही है.

हरियाणा में नए कलेक्टर रेट 1 दिसंबर से होंगे लागू (ETV Bharat)

मार्केट वैल्यू के अनुसार रेट तय:दरअसल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने कार्यकाल में कलेक्टर रेट बढ़ाने के लिए जिलों में मार्केट वैल्यू का पता लगाने के निर्देश दिए थे. इस पर जिला उपायुक्तों ने कलेक्टर रेट के संबंध में सर्वे कर मार्केट वैल्यू के अनुसार रेट तय किए. रेट में बढ़ोतरी से राजस्व तो जरूर बढ़ेगा लेकिन आमजन की जेब पर भी बोझ बढ़ जाएगा.

जमीन की खरीद-फरोख्त पर असर:कलेक्टर रेट में बढ़ोतरी से जमीनों की खरीद फरोख्त पर असर पड़ेगा, क्योंकि अलग-अलग जगहों पर स्थानीय स्थिति और मार्केट रिसर्च के आधार पर वैल्यू कमेटी अपनी रिपोर्ट देती है और फिर रेट बढ़ाने का फैसला लिया जाता है. कलेक्टर रेट तय होने के बाद उससे कम कीमत में जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती.

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