चंडीगढ़: आयुष्मान योजना के तहत बीपीएल कार्ड सहायता प्राप्त हृदय रोगियों का इलाज करने वाली प्राइवेट कंपनी के बीच उपजे विवाद से हरियाणा सरकार चिंता में है. हरियाणा स्वास्थ्य विभाग पर प्रदेश के चार जिलों में हृदय रोगियों का इलाज कर रही मेडिट्रिना अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का करोड़ों रुपये बकाया है. कंपनी द्वारा ये धनराशि करीब 24 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है. कंपनी के अनुसार धनराशि का भुगतान नहीं होने से स्वास्थ्य सुविधाओं का सुचारू रूप से संचालन कर पाना मुश्किल हो चुका है.
कंपनी की बड़ी रकम बकाया: प्रदेश में साल 2017 से हृदय रोगियों का इलाज कर रही मेडिट्रिना अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अधिकारी जेवी सिंह ने बताया कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग पर वर्ष 2022 से अब तक देय रकम का बड़ा हिस्सा बकाया है. ऐसी स्थिति में उन्होंने हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के साथ काम जारी रखने में परेशानी होने की बात कही. इसका कारण कंपनी का आर्थिक संकट से जूझना बताया.
ओपीडी बंद करने की स्थिति बरकरार: कंपनी के अधिकारी जेवी सिंह ने कहा कि वर्तमान में ओपीडी सुविधा बंद करने की स्थिति बनी हुई है. बावजूद इसके इमरजेंसी केस जरूर कंसीडर किए जाते रहेंगे. आर्थिक संकट गहराने के चलते कंपनी अधिकारी ने हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता से भी पेमेंट क्लियर करने की गुहार लगाई है. इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने जल्द ही समस्या के निदान करने का भरोसा दिया.
कर्मचारियों के वेतनमान समेत सालाना खर्च: मेडिट्रिना अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा पंचकूला, अंबाला, फरीदाबाद और गुरुग्राम के सरकारी अस्पतालों में वर्ष 2017 से हृदय रोगियों का इलाज किया जा रहा है. अधिकारी के अनुसार कर्मचारियों के महीनावार वेतनमान पर काफी खर्च आता है. फरीदाबाद सेंटर पर 22 लाख, अंबाला में 25 लाख, गुरुग्राम में 17 लाख और पंचकूला में 24 लाख रुपये का खर्च केवल सैलरी का है.