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पहाड़ का बुजुर्ग 'ऑर्गेनिक मैन', इनके पास मिलती हैं कमाल की दालें, दूसरे प्रोडक्ट भी हैं खास

श्रीनगर गढ़वाल में 70 साल के हर्षमणि जोशी बेच रहे ऑर्गेनिक पहाड़ी दालें, रोजगार की तलाश में शहर भाग रहे युवाओं को लेनी चाहिए सीख

Harshmani Joshi Selling Organic Pulses
दालें बेचते हर्षमणि जोशी (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 15 hours ago

Updated : 2 hours ago

श्रीनगर:पहाड़ों में रोजगार की कमी के चलते युवा नौकरी की तलाश में साल दर साल पलायन कर शहरों की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन श्रीनगर में एक ऐसे बुजुर्ग भी हैं, जो 70 साल की उम्र में भी अपनी मिट्टी में ही रोजगार कर रहे हैं. साथ ही अपने आस पास के लोगों को शुद्ध ऑर्गेनिक दालों का स्वाद चखा रहे हैं. इनके पास 12 से ज्यादा किस्मों की पहाड़ी दालें मिलती हैं, जिसे लोग खूब पसंद भी करते हैं.

उत्तराखंड में कई ऐसे लोग हैं, जो पहाड़ी उत्पादों को पहचान दिलाने के साथ अपना रोजगार भी कर रहे हैं. ऐसे ही एक शख्स 70 साल के हर्षमणि जोशी भी हैं. हर्षमणि जोशी मूल रूप से टिहरी जिले के डागर के रहने वाले हैं. जो बीते 10 सालों से श्रीनगर गढ़वाल में पहाड़ी दालों और उत्पादों की छोटी सी दुकान चलाते हैं. उनकी इस छोटी सी दुकान पर गहत, भट्ट, काली दाल, रयांश और झंगोरा, मंडुवे का आटा, जख्या, अदरक समेत कई प्रकार की पहाड़ी दालें मिलती है.

पहाड़ के ऑर्गेनिक अनाज बेचते हैं हर्षमणि जोशी (VIDEO- ETV Bharat)

अपने घर पर भी उगाते हैं ऑर्गेनिक तरीके से दालें और अन्य उत्पाद:वर्तमान समय में बाजार में ऑर्गेनिक उत्पादों की डिमांड काफी तेजी से बढ़ रही है. जिसे देखते हुए हर्षमणि जोशी घर पर खुद भी ऑर्गेनिक तरीके से दालें और चीजें उगाते हैं. इसके अलावा वे गांव के अन्य काश्तकारों से पहाड़ी उत्पादों को खरीद कर उन्हें बाजार बेचते हैं. श्रीनगर में काफी संख्या में लोग उनके पहाड़ी उत्पाद को खरीदते हैं.

श्रीनगर में 70 साल के 'ऑर्गेनिक मैन' (फोटो- ETV Bharat)

70 साल की उम्र में अकेले चलाते हैं छोटी सी दुकान:जहां आजकल के युवा पहाड़ों से दूरी बना रहे हैं तो वहीं हर्षमणि जोशी उम्र के इस पड़ाव में भी सुबह की सर्दी में भी घर से पहाड़ी उत्पादों को लाकर श्रीनगर में छोटी सी दुकान लगाते हैं. इतना ही नहीं बिना किसी की मदद के अकेले दिन भर दुकान संचालित करते हैं. जिससे उनकी आमदनी हो जाती है.

गांव-गांव जाकर लोगों से खरीदते हैं पहाड़ी उत्पाद:ईटीवी भारत से बातचीत में हर्षमणि जोशी ने बताया कि पहाड़ी उत्पादों को बाजार में बेचने का उनका उद्देश्य ऑर्गेनिक उत्पादों को लोगों तक पहुंचाना है. वे 10 सालों से पहाड़ी उत्पादों को बेच रहे हैं. खुद भी पहाड़ी उत्पाद घर पर उगाते हैं और गांव-गांव जाकर लोगों से भी पहाड़ी उत्पाद खरीदते हैं. उसके बाद उनको बाजार में बेचते हैं.

ऑर्गेनिक दालें (फोटो- ETV Bharat)

किफायती दामों में बेचते हैं उत्पादन, श्रीनगर लाना है कठिन:उन्होंने बताया कि उनके पास कोदा, झंगोरा, राजमा, तौर, तिल, भट्ट, जख्या, गहत और अदरक जैसे पहाड़ी उत्पाद उपलब्ध हैं. वो झंगोरा की कीमत 100 रुपए किलो, दालें 200 रुपए से 250 रुपए किलो तक बेच रहे हैं. उन्होंने बताया कि गांवों से दाल लाना बड़ा कठिन काम है. गांव से घोड़े में दालों को इकठ्ठा करते हैं, उसके बाद गाड़ी से श्रीनगर लाते हैं, तब जाकर यहां दालों और अन्य उत्पादों को बेच पाते हैं.

हर्षमणि जोशी ने बताया कि लोगों को पहाड़ी उत्पाद पसंद आ रहे हैं, जो व्यक्ति एक बार उनकी दुकान पर आता है, वो दोबारा जरूर उनसे पहाड़ी उत्पाद खरीदता है. वे कहते हैं आजकल की जीवन शैली में लोगों का खान-पान ठीक नहीं है. इसलिए लोगों को ऑर्गेनिक खाने की जरूरत है. बाजार में ऑर्गेनिक उत्पादों की डिमांड भी है. वो इसी डिमांड को पूरा करने के लिए रोजगार कर लोगों को ऑर्गेनिक उत्पाद दे रहे हैं.

ऑर्गेनिक पहाड़ी दालों का स्वाद होता है लाजवाब (फोटो- ETV Bharat)

स्थानीय लोगों को लगा पहाड़ी उत्पाद का स्वाद:वहीं, स्थानीय निवासी भास्करानंद ने बताया कि लोग श्रीनगर और आसपास के क्षेत्र से हर्षमणि जोशी की दुकान पर पहाड़ी उत्पाद और दालें खरीदने आते हैं. अगर कोई व्यक्ति उनकी दुकान पर आता है तो जरूर दोबारा भी उनसे ही खरीदता है. उनकी दुकान पर पहाड़ी उत्पादों के रेट भी काफी कम हैं. उन्होंने कहा जोशी केवल पहाड़ी उत्पादों को बेचते ही नहीं, बल्कि लोगों को उनके बारे में बताते भी हैं.

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