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शिक्षा विभाग ने पहली दफा रचा इतिहास, बगैर प्रश्न पत्र के ही ले डाली बच्चों की अर्द्धवार्षिक परीक्षा - EXAM IN GOVERNMENT SCHOOLS

सरकारी स्कूल में बच्चों की परीक्षा बगैर प्रश्न पत्र के ही ले ली गई. अब लोग इस व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं.

EXAM IN GOVERNMENT SCHOOLS
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 6 hours ago

गिरिडीहः भले ही माननीयों की सुविधा में कमी नहीं की जाए लेकिन सरकारी बच्चों को सुविधा देने में जरूर कटौती की जा रही है. ताजा मामला सूबे के सरकारी स्कूलों में ली जा रही अर्द्धवार्षिक परीक्षा से जुड़ा है. इस बार जेसीईआरटी रांची ने विद्यालयों को प्रश्न पत्र उपलब्ध करवाया ही नहीं और न उत्तर पुस्तिका मुहैया करवायी गई. बगैर प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका के ही कक्षा एक से लेकर 7 तक बच्चों की परीक्षा ले ली गई. 16, 17 और 18 दिसंबर, तीनों दिनों तक परीक्षा चली है और परीक्षा लेने में न सिर्फ शिक्षकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है, बल्कि बच्चों को भी दिक्कत उठानी पड़ी है.

ऑनलाइन आया प्रश्न पत्र, ब्लैकबोर्ड पर लिखने में मास्टरजी के छूटे पसीने

इस बार अर्द्धवार्षिक परीक्षा से काफी पहले जेसीईआरटी के निदेशक शशि रंजन ने एक आदेश जारी किया. 27 नवंबर 2024 को जारी किए गए आदेश के अनुसार परीक्षा का प्रश्न पत्र एक दिनों पूर्व 'जे - गुरूजी' एप पर उपलब्ध कराने की बात कही गई. एक विषय के परीक्षा की अवधि दो घंटे की दी गई. आदेश के अनुसार विद्यालय के हेड मास्टर के 'जे - गुरूजी' एप पर एक दिन पूर्व प्रश्न पत्र आ गया.

जानकारी देते संवाददाता अमरनाथ सिन्हा (ईटीवी भारत)

अब शिक्षकों को प्रश्न पत्र कक्षा के ब्लैकबोर्ड पर लिखना पड़ा. फिर उसी प्रश्न को विद्यार्थी अपने पास के कॉपी या पन्ने में उतारते रहे और उसको हल करते रहे. प्रश्न पत्र को ब्लैकबोर्ड में लिखने में आधा घंटा का समय गुजर गया. फिर बाकी बचे समय में ही बच्चों को प्रश्न का हल लिखना पड़ा.

जेसीईआरटी के निदेशक का पत्र (ईटीवी भारत)
जेसीईआरटी के निदेशक का पत्र (ईटीवी भारत)
जेसीईआरटी के निदेशक का पत्र (ईटीवी भारत)
कमरे - शिक्षक की कमी

गिरिडीह के ज्यादातर स्कूलों में शिक्षक के साथ साथ कमरों की कमी है. कई स्कूल ऐसे हैं जहां एक ही कमरे में दो से तीन तीन कक्षा का संचालन होता है, ऐसे में शिक्षक काफी परेशान दिखे. सदर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलाटांड के प्रधानाध्यापक अमृत साव बताते हैं कि उनके यहां एक-एक कमरे में तीन-तीन कक्षा का संचालन होता है. अब सभी की परीक्षा एक ही समय है, आप सोच सकते हैं कि किस तरह से एक ब्लैकबोर्ड और दो से तीन कक्षा का प्रश्नपत्र लिखा गया होगा. बताया कि उनके यहां उन्हें लेकर दो शिक्षक हैं ऐसे में परीक्षा लेने में भी दिक्कत हुई.

क्या कहते हैं स्थानीय

इस मामले पर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्त्ता गणेश ठाकुर का कहना है पहली दफा ऐसा हुआ कि बच्चों को प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका नहीं मिली. कहा कि इस तरह की व्यवस्था में आखिर कैसे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होगा. गणेश ने शिक्षा मंत्री से ऐसे मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.

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